पूजा का छठवां दिन, करें माँ कात्यायनी की आराधना
कंचनाभा वराभयं पद्यधरां मुकुटोज्जवलां ।
स्मेरमुखीं शिवपत्नी कात्यायनी नमोस्तुते ।।
काठमांडू, १ अक्टूबर–आज पूजा का छठवां दिन और माँ कात्यायनी की पूजा अर्चना । देवी ने यह रुप महिषासुर का वध करने के लिए धारण करती हैं । इसलिए माँ कात्यायनी को महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है । कहते हैं भगवती की आराधना से जीवन में आनेवाली सभी बाधाएं दूर होती है । कहते हैं माँ कात्याययनी की पूजा अर्चना या ध्यान मात्र कर लेने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं ।
माँ कात्यायनी की चार भुजाएं हैं । माँ कात्यायनी बाघ की सवारी करती हैं । माता के एक हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल के फूल हैं । इन्हें ईश्वरी, गौरी, उमा, काली, रमा, हेमावती, कल्याणी आदि नामों से भी जाना जाता है ।
देवी में अपनी आस्था और श्रद्धा रखने वाले जो किसी से अपनी बातों को कहते हैं वो भगवती के सामने निःसंकोच रख देते हैं या ये भी कह सकते हैं कि सभी अपनी दुखों की पोटरी जो कहीं नहीं खोलते वो माँ भगवती के दरबार में बिना किसी संकोच, बिना किसी भय के रख देते हैं इसी आस्था और विश्वास से की ये तो अन्तरयामी हैं, जगतजननी हैं हमें कैसे कष्ट में देख पाऐंगी । साथ ही हमें यह विश्वास भी रहता है कि इसका निवारण भी वहीं करेंगी । अपने भक्तों को, अपने बच्चों को मईया कैसे कष्ट में देख पाएगी ? भगवती सबका कल्याण करें । जय माँ ।