आचार संहिता के बहाने वाक स्वतंत्रता पर रोक
काठमांडू, २६ अक्टूबर – अभिव्यक्ति स्वतंत्रता या वाक स्वतंत्रता किसी भी व्यक्ति या समुदाय द्वारा अपने मत और विचार को प्रकट करने का अधिकार है ।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अपने भावों और विचारों को व्यक्त करने का एक राजनीतिक अधिकार है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति न सिर्फ विचारों का प्रचार–प्रसार कर सकता है, बल्कि किसी भी तरह की सूचना का आदान–प्रदान करने का अधिकार रखता है। हालांकि, यह अधिकार सार्वभौमिक नहीं है और इस पर समय–समय पर युक्ति–नियुक्ति निर्बंधन लगाए जा सकते हैं ।
काठमांडू, निर्वाचन आयोग ने दल के शीर्ष नेताओं पर छींटाकसी करके, अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त कर फेसबुक पेज और ग्रुप बनाकर रखते है उसे तत्काल बन्द करने का निर्देशन दिया है ।
‘नो नट अगेन’ आदि नाम से बने फेसबुक गु्रप में शीर्ष नेताओं के उपर व्यंग्य करने का काम शुरु से होता आया है ।
मंसिर ४ गते को होने वाले चुनाव के लिए उम्मीदवारी दर्ता होने के सन्दर्भ में इस तरह के ग्रुप द्वारा किए गए लाञ्छनायुक्त अभिव्यक्ति, भ्रामक और द्वेषपूर्ण श्रव्य दृश्य सामग्री विद्युतीय कारोबार ऐन के दफा ४७, निर्वाचन कसूर तथा सजाय ऐन २०७३ के दफा २३ के अनुसार कसूर माना जाएगा । ये आयोग ने जानकारी दी है । आयोग ने यह भी जानकारी कराई है कि इस तरह की गतिविधियां निर्वाचन आचार संहिता के विपरीत है ।
आयोग के प्रवक्ता शालिग्राम शर्मा पौडेल ने जानकारी कराई है कि इस तरह के कसूरजार को एक लाख रुपया तक जुर्माना वा पाँच वर्ष तक दोनों सजा हो सकती है ।
आयोग ने इस तरह के पेज और रुप को तत्काल हटाने और अब से इस तरह की कोई गतिविधि नहीं करने का भी आग्रह किया है ।
निर्वाचन आयोग के इस फैसले का बहुत से लोगों ने विरोध भी किया है । एक तरह से कहें तो ये वाक् स्वतंत्रता के उपर प्रतिबंध लगाना है ।
कभी कभी आम नागरिक बहुत आक्रोश में रहकर बहुत कुछ गलत भी लिख देते हैं । तो ऐसी अवस्था में कार्यवाही होनी चाहिए लेकिन पूर्णत वाक् स्वतंत्रता पर रोक लगाना क्यों ?
‘नो नट अगेन’ जैसे पेज और ग्रुप को तत्काल हटाने का आयोग ने आग्रह किया है ।