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पिछले 16 वर्षों में 13 सरकारें, एमाले का समर्थन वापस, प्रचंड ने इस्तीफा देने से किया इनकार

काठमांडू

नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा ने बुधवार को प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ से इस्तीफा देने और एक नयी सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करने को कहा। सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी सीपीएन-यूएमएल ने प्रचंड को हटाने के लिए सबसे बड़ी पार्टी (नेपाली कांग्रेस) के साथ सत्ता-साझेदारी समझौते के बाद समर्थन वापस ले लिया है। देउबा ने काठमांडू  बूढ़ानीलकंठ स्थित अपने आवास पर हुई एक अहम बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ”प्रधानमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि सबसे बड़ी पार्टियों नेपाली कांग्रेस और यूएमएल ने कहा है कि वे साथ मिलकर नई सरकार बनाएंगे।”

दोनों पूर्व प्रधानमंत्री, देउबा (78) और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष के. पी. शर्मा ओली (72), ने नयी सरकार बनाने के लिए सत्ता-साझेदारी समझौते पर सोमवार रात हस्ताक्षर किए। वे संसद के शेष कार्यकाल के लिए बारी-बारी से प्रधानमंत्री पद साझा करने पर सहमत हुए।

इस बीच, सत्तारूढ़ गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने प्रधानमंत्री प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया। यूएमएल की प्रचार समिति के उप प्रमुख बिष्णु रिजाल ने कहा, ”हमारी पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।” प्रचंड के मंत्रिमंडल में सीपीएन-यूएमएल के आठ मंत्री हैं, जिनमें उपप्रधानमंत्री और बुनियादी ढांचा एवं परिवहन मंत्री रघुबीर महासेठ भी शामिल हैं। सीपीएन-यूएमएल सरकार में पांच मार्च को शामिल हुई थी।

रिजाल ने कहा कि यूएमएल के सभी मंत्रियों ने प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। कुल 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के 89 सदस्य हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के 78 सदस्य हैं। इस तरह, उनका संयुक्त संख्या बल 167 है जो निचले सदन में बहुमत के लिए आवश्यक 138 सीट से अधिक है। वहीं, प्रचंड की पार्टी के 32 सदस्य हैं।

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नेपाली कांग्रेस सेंट्रल वर्क परफॉरमेंस कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की दिन में देउबा के आवास पर बैठक हुई, जिसमें वर्तमान राजनीतिक स्थिति और पार्टी की आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में पार्टी प्रवक्ता डॉ. प्रकाश शरण महत ने कहा, ”बैठक में, देश में राजनीतिक स्थिति की समीक्षा की गई और आगे की रणनीति पर चर्चा की गई।” उन्होंने कहा कि बैठक में देउबा और ओली के बीच एक नया गठबंधन बनाने और प्रधानमंत्री का पद बारी-बारी से साझा करने के लिए हुए समझौते का भी समर्थन किया गया। बैठक में मुख्य रूप से नयी गठबंधन सरकार के गठन के एजेंडे और तौर-तरीकों पर चर्चा हुई।

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सोमवार रात देउबा और ओली के बीच हुए सात-सूत्री समझौते में दोनों दलों के बीच संसद के शेष तीन साल के कार्यकाल को साझा करना, विभागों का बंटवारा, प्रांतीय नेतृत्व की भूमिकाएं और प्रधानमंत्री का पद बारी-बारी से संभालना शामिल हैं। पहले ओली प्रधानमंत्री का पद संभालेंगे और डेढ़ साल बाद नेपाली कांग्रेस को सरकार का नेतृत्व मिलेगा।

बैठक के बाद महत ने कहा, ”प्रधानमंत्री को सबसे बड़े दलों – नेपाली कांग्रेस और यूएमएल – के साथ मिलकर नयी सरकार बनाने की बात कहने के बाद इसका मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। यह भी निर्णय में शामिल है।” अन्य दल भी नये नेपाली कांग्रेस-यूएमएल गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं। इसलिए, नेपाली कांग्रेस सीडब्ल्यूसी ने प्रधानमंत्री से नयी सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त करने का अनुरोध किया है। महत ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री नयी सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त नहीं करते हैं तो संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से इसका गठन किया जाएगा।

इस बीच, जनता समाजवादी पार्टी (जेएसपी) नेपाल के प्रवक्ता मनीष सुमन ने कहा कि उनकी पार्टी नये गठबंधन का समर्थन करेगी लेकिन सरकार में शामिल होने पर अभी तक फैसला नहीं किया है। जेएसपी नेपाल के पांच सांसद हैं। प्रतिनिधि सभा में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के 14 और लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के चार सदस्य हैं। इन दोनों दलों ने भी नये गठबंधन को समर्थन देने का संकेत दिया है।

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हालांकि, संकट का सामना कर रहे प्रधानमंत्री प्रचंड ने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है और कहा है कि वह संसद में विश्वास मत का सामना करना चाहेंगे। संवैधानिक प्रावधान के अनुसार, सदन में बहुमत खोने वाले प्रधानमंत्री को 30 दिनों के भीतर बहुमत साबित करना होगा। सत्ताधारी गठबंधन द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रधानमंत्री को विश्वास मत हासिल करना होगा।

सीपीएन-यूएमएल ने प्रधानमंत्री प्रचंड से पद छोड़ने का आग्रह किया है ताकि संवैधानिक प्रावधान के अनुसार नयी सरकार बनाई जा सके। उसने सभी राजनीतिक दलों से देश में राजनीतिक स्थिरता को मजबूत करने के लिए ओली के नेतृत्व में ”राष्ट्रीय सरकार” में शामिल होने की भी अपील की। नेपाल में पिछले 16 वर्षों में 13 सरकारें बनी हैं।

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