भारत-नेपाल न्यायिक सहयोग में नया अध्याय: भारत और नेपाल के सर्वोच्च न्यायालयों के बीच हुआ समझौता
नई दिल्ली, 7 अप्रैल 2025 – भारत और नेपाल के मैत्रीपूर्ण संबंधों में एक और महत्वपूर्ण पहल जुड़ गई है। आज भारत और नेपाल के सर्वोच्च न्यायालयों के बीच न्यायिक सहयोग (Judicial Cooperation) को सुदृढ़ करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
यह समझौता नई दिल्ली में माननीय भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, नेपाल के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति प्रकाश मान सिंह राउत, और भारत सरकार के स्वतंत्र प्रभार विधि एवं न्याय राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
यह समझौता भारत और नेपाल के बीच लंबे समय से चले आ रहे सौहार्दपूर्ण संबंधों को एक संस्थागत ढांचा प्रदान करता है, जो न्यायिक सहयोग के क्षेत्र में प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, अनुभव साझा करना और सर्वोत्तम न्यायिक प्रक्रियाओं का आदान-प्रदान जैसे विविध पहलुओं को समाहित करता है।

मुख्य बिंदु:
- प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: दोनों देशों के न्यायिक अधिकारियों और न्यायाधीशों के लिए लघु और दीर्घकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- जानकारी और अनुभव का आदान-प्रदान: न्याय और विधि के क्षेत्र में हो रहे नवीनतम विकासों की जानकारी साझा की जाएगी।
- तकनीकी सहयोग: न्यायालयों में तकनीक के प्रयोग, लंबित मामलों के शीघ्र निपटान और सेवाओं की दक्षता बढ़ाने से संबंधित अनुभवों और तकनीकों का आदान-प्रदान किया जाएगा।
- संयुक्त कार्य समूह का गठन: इस सहयोग को व्यवस्थित और क्रियाशील रूप से आगे बढ़ाने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह का गठन किया जाएगा, जिसमें दोनों देशों के न्यायिक अधिकारियों को सम्मिलित किया जाएगा।
यह उल्लेखनीय है कि भारत पहले भी इज़राइल, सिंगापुर, बांग्लादेश, भूटान, ट्यूनिशिया, ज़ाम्बिया, मोरक्को, मालदीव आदि देशों के साथ न्यायिक सहयोग के क्षेत्र में ऐसे समझौते कर चुका है। यह नया MoU भारत और नेपाल के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों को और गहराई प्रदान करता है।
इस समझौते से दोनों देशों के न्यायिक तंत्र को आधुनिक बनाने, पारदर्शिता बढ़ाने और न्याय तक शीघ्र और सुगम पहुंच सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी। साथ ही, यह पहल क्षेत्रीय न्यायिक सहयोग का एक आदर्श मॉडल भी प्रस्तुत करती है।