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जल्द ही अंग्रेजी बोलने वालों को होगी शर्मिंदगी : अमित शाह

नई दिल्ली, 19 जून 2025 ।  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि जल्द ही देश में अंग्रेजी बोलने वालों को शर्मिंदगी महसूस होगी। एक पुस्तक विमोचन समारोह में बोलते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय भाषाएं देश की पहचान का मूल हैं और इनका विदेशी भाषाओं पर प्राथमिकता होनी चाहिए।
शाह ने कहा, “इस देश में अंग्रेजी बोलने वाले जल्द ही शर्मिंदगी महसूस करेंगे। ऐसी समाज की रचना अब दूर नहीं है। मैं मानता हूं कि हमारी भाषाएं हमारी संस्कृति के रत्न हैं। अपनी भाषाओं के बिना हम सच्चे भारतीय नहीं रह सकते।”
उन्होंने देशभर में भारत की भाषाई विरासत को पुनर्जनन देने के लिए नए सिरे से प्रयास करने का आह्वान किया। शाह ने यह भी भविष्यवाणी की कि अंग्रेजी को विश्व भर में औपनिवेशिक गुलामी के प्रतीक के रूप में नकारा जाएगा।
उन्होंने कहा, “हमारे देश, संस्कृति, इतिहास और धर्म को समझने के लिए कोई विदेशी भाषा पर्याप्त नहीं हो सकती। आधी-अधूरी विदेशी भाषाओं के माध्यम से पूर्ण भारत की कल्पना नहीं की जा सकती।”
‘हिंदी थोपने’ का विवाद
शाह का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ दक्षिणी और विपक्ष शासित राज्यों ने केंद्र पर नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत ‘तीन-भाषा फॉर्मूले’ के जरिए हिंदी थोपने का आरोप लगाया है। तमिलनाडु, जो इस मुद्दे पर केंद्र के साथ सबसे आगे है, ने दावा किया है कि बीजेपी एनईपी का उपयोग शिक्षा सुधार के लिए नहीं, बल्कि चुपके से हिंदी को बढ़ावा देने के लिए कर रही है। पश्चिम बंगाल जैसे अन्य राज्यों ने भी इस मुद्दे पर बीजेपी की आलोचना की है।
इस विवाद के बीच, शाह ने पहले कहा था कि दिसंबर से उनका गृह मंत्रालय राज्यों के साथ उनकी मूल भाषाओं में संवाद करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि भाषा को लेकर देश में पहले ही काफी विभाजन हो चुका है और अब ऐसा नहीं होना चाहिए।
भारतीय भाषाओं में आत्मसम्मान
शाह ने कहा, “मैं जानता हूं कि यह लड़ाई कितनी कठिन है, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय समाज इसे जीतेगा। एक बार फिर आत्मसम्मान के साथ हम अपने देश को अपनी भाषाओं में चलाएंगे और विश्व का नेतृत्व भी करेंगे।”
अभिषेक दे द्वारा इंग्लिश में प्रकाशित आलेख से 

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