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नाकाबन्दी की नदी मे डुबकी लगाकर सारे चोर, चण्डाल देश प्रेमी और राष्ट्र भक्त बन गए है : बिम्मीशर्मा

बिम्मीशर्मा, काठमांडू , ५ अक्टूबर | (व्यग्ंय)



जब से हमारे देश में यह अघोषित या तथाकथित नाकाबन्दी लगा है तब से सारे चोर, चण्डाल सुधर कर बड़े देश प्रेमी और राष्ट्र भक्त बन गए है । जैसे श्रावण मास में सभी शिवभक्त शाकाहारी हो जाते हैं वैसे ही सारे देशवासी राष्ट्रवादी हो गए हैं । इसे कहते हैं बहती गंंगा मे हाथ धो कर अपने पाप को पखारना । और सभी इस मौके का सदुपयोग करते हुए चौका और छक्का मार रहे हैं ।

बहती गंगा में हाथ धोने वाले सभी कह रहे हैं भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी इस देश का सिक्किमी करण कर रहे हैं । और कोई कोई लाल बुझक्कड़ कह रहे है अरे नहीं, नहीं मोदीजी इस देश को फिजी जैसा बनाना चाहते हैं । और उससे भी ज्यादा डलरवादी एलिट दो हाथ आगे बढ़ कर कह रहे हैं कि मोदी जी इस देश का मोदीकरण कर हे हैं । अब जितनी मुँह उतनी बातें ।
जितने भी चरित्रहीन और भ्रष्टाचारी, सरकारी पैसे में ऐश करने वाले और अख्तियार द्धारा काली सूची मे रखे गए लोग हैं उन में अचानक से देश के प्रति श्रद्धा भाव उमड़ आया है । तब यह श्रद्धा भाव और देशभक्ति कहां गया था जब वह भ्रष्टाचार और गलत काम कर रहे थे ? उस समय भी अच्छा ही सोचते और अच्छा कर्म करते तो शायद आज का दिन आता ही नहीं ।

1जब मधेश बन्द था, मधेशी अपने अधिकार के लिए लड़ रहे थे । उस समय नेपाल की पुलिस उन्हें इस के बदले गोली उपहार में दे रही थी । तब उस समय क्यों नहीं प्रशासन और पुलिस को यह खून की होली न खेलने के लिए सरकार को दबाव दिया गया ? उस समय तो मधेशी मरे या जिए, संविधान में तराई और मधेश का नाम नहीं रहने दिया गया । ओली सहित अन्य नेताओं को मधेश और मधेशी से चिढ हो गया । अब जब नाकाबन्दी हो रहा है तो क्यों विलाप कर रहे हो ?

मधेश की जनता जब अच्छा शान्ति का संदेश देने वाला सकारात्मक काम करती है तो ओली महाशय को उस मे षड्यन्त्र नजर आता है । क्योंकि वह खुद डलर की चाशनी मे डूब कर षडयन्त्र कर रहे हैं । वह मानव जंजीर को मक्खी का जाल समझते हैं । जिस के आंख मे डलर का चश्मा चढा हुआ हो वह तो अपने चारों तरफ मक्खी की भिनभिनाहट ही देखेगा और सुनेगा । जिस का एक हाथ न चलता हो, जिस की एक ही किडनी हो और जिसने मेट्रिक की पढ़ाई भी पूरी नहीं की हो । वह प्रधानमन्त्री पद का आकांक्षी और प्रवल दावेदार है । मधेशी जनता की हित को दाव में लगा कर यह मुहावरे का धनी आदमी सत्ता रोहण करना चाहता है । इस का चेहरा जो अकडा हुआ है और बोली जो गोली की तरह छलनी करती है । दोनो से डलरवाद और यूरोवाद की बू आती है ।

कहां गया यूरोपियन यूनियन, अमेरिका, चाइना और बांकी अन्य देश ? जो नेपाल में आइएनजिओ खोल कर यहां की जनता को डलर और यूरो से खरीद कर देश प्रेम का नारा लगवा रही है ? क्यों नहीं यह सभी अपने देश से तेल और गैस दे कर पीड़ित हम सब को सहयोग कर रहे है ? क्यों एक ही देश का विरोध कर रहे और उस के न देने से प्यासे पंक्षी की तरह फड़फड़ा रहे हो ? क्या दुनिया में एक यही देश है जिसने हम सब की आवश्यक्ता की परिपूर्ति का ठेका ले रखा है ?

मुश्किल के समय एक पड़ोसी सहयोग न करें तो क्या हुआ बांकी पूरव, पश्चिम और उत्तर दिशा में इतने सारे सम्पन्न पड़ोसी हैं । वह क्यो नहीं मदद कर रहे है ? क्योंकि इस देश के नेता और जनता के बड़बोलेपन के कारण ही कोई मदद नहीं करता । यहां के नेता और निठल्लू जनता, बातें तो बड़ी, बड़ी करते हैं पर काम से मक्खी नहीं मारते । जिस देश में बेरोजगारी ज्यादा हों उस देश में जनता बातों की उखाड़, पछाड़ के अलावा कुछ नहीं करती ।

हद तो तब होती है जब इस मुश्किल वक्त में भी कुछ व्यापारी कालाबजारी करते हुए उपभोग्य सामान का बढ़ा, चढ़ा कर दाम ले रहे हैं और बेशर्मी से जनता बोल रही हैं कालाबजारी करने वाला व्यापारी ठीक है । उसका साथ देगें वह जितना चाहे लोगों का जेब काटे पर पड़ोसी का विरोध जरुर करेगें । यह तो वही वाली बात हो गई यदि पड़ोसी की दोनो आंख फूटेगी तो अपना एक आंख फूटने या खोने का कोई मलाल नहीं है । इसे कहते है ‘अपना काम बनता तो भांड में जाए जनता ।’

अभी सभी भ्रष्टों की चांदी है, जनता पड़ोसी का विरोध करने मे कमर कस के लगी हुई है । ‘मन से रद्धी और बाहर से खादी’ ओढ़ कर यह बखुबी अपना पाप पखार रहे हैं । और जनता इनको मौन सम्मति दे कर फलने, फूलने का मौका दे रही है । इस देश की जनता यानी राजधानी काठमाण्डूं के नागरिक जो किसी न किसी एनजिओ और आइएनजिओ से जुड़े हुए हैं । वह डलर का खाद , पानी पा कर फलफूल रही हैं उनका काम ही है पड़ोस का विरोध करना, देश को धर्म निरपेक्ष बनाने के लिए चाल चलना । क्योंकि उनका जमीर डलर की जमीन में परिणत हो चुकी हैं ।

सब से हंसी की बात है नेपाल सरकार कह रही है नाकाबन्दी नहीं हुई है । पड़ोसी भी कह रहा है नाकाबन्दी नहीं हुआ है । धरने में बैठे मधेशी दल भी कह रहे हैं नाकाबन्दी हमने किया है पड़ोसी ने नहीं । पर डलर में बेसुध देश के नागरिक को अपनी तीसरी आंख से नाकाबन्दी लगी हुई दिखती है । और मजे की बात तो यह है कि नाकाबन्दी भी यह खुद लगाते हैं और पड़ोसी कि तरफ से किसी वैधानिक पत्र को भेजे बिना ही यह नाकाबन्दी अपने आप खुला भी देते है । और नेपाल की मीडिया आग मे घी और नमक मसाला लगा कर इस ‘नाकाबन्दी’ को चटपटा और मजेदार बना रही है ।

सभी को जीवन मे अपना पाप पखारने का मौका मिलता है । १७हजार जनता के हत्यारे प्रचण्ड हो या झापा काण्ड के आरोपी ओली सभी इस नाकाबन्दी रुपी नदी मे डुबकी लगा कर अपना पाप पखार रहे हैं । फिर यह मौका मिले या न मिले । आखिर में इस देश का प्रधानमन्त्री भी तो बनना है । इसलिए आप सभी भ्रष्टाचारी, रेपिस्ट, चरित्रहीन, चुगलखोर और अन्य अपराधी । आप सबको इस नाकाबन्दी की नदी मे कुदने और डुबकी लगाइए और पड़ोसी को खूब कोस कर और भद्धी गालियां दे कर अपने सभी पाप पखार कर ‘शुद्ध’ और ‘संत’ बन कर खुब पूण्य कमाइए ।



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