Tue. Apr 29th, 2025

आन्दोलन और दाँव पर मधेशी छात्र का भविष्य : मुक्तिनाथ शाह

मुक्तिनाथ शाह, जनकपुर, ३१ दिसम्बर २०१५ |
तराई, मधेश में चार महिनों से अधिक दिनों से चल रहे आन्दोलन के कारण वैसे तो सभी क्षेत्र प्रभावित हैं पर शैक्षिक क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित है।स्कूल, कालेज की लगातार बन्दी के कारण छोटे छोटे बच्चे सहित कालेज के बिधार्थियों का अध्ययन अध्यापन के साथ साथ मानसिक अवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।चार महीने से अधिक दिनों से लगातार चल रहे आन्दोलन के क्रम में नारा जुलुश होना,रैली निकलना, आन्दोलनकारी९पुलिस के बीच झडप होना, टायर जलना, दो तरफा रोडा पत्थरबाजी होना, पुलिस के द्वारा लाठी बरसाना,अश्रु गैस एंव गोली चलना लगभग रोजमर्रा हो गया है । इस अवस्था में अध्ययन अध्यापन की कल्पना तक नही की जा सकती है।क्योंकि बच्चों के मन मे एक भय,त्रास और डर बसा हुआ है और अध्ययन अध्यापन में अपने आप को केन्द्रित नहीं कर पाते। साथ ही साथ बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिवावकगण भी चिंतित रहते हैं।अभिवावक के पास दूसरा विकल्प भी नहीं इस लिए बच्चों को कैदी के रूप मे घरों मे बन्द करके रखते हैं।पर दुसरी ओर डर भी रहता है उनको कि कहीं बच्चे स्कूल नहीं जा पाने के कारण और घर पर कैदी के रूप मे रहने से कहीं मानसिक रूप से बीमार ना पड जाए, मानसिक विकृति ना आ जाए उन में।पर यह अंधी और बहरी सरकार लेश मात्र भी संवेदनशील नही है मधेश के बच्चों के भविष्य भी चिन्ता उन्हें नहीं है । बस वो अपने स्वार्थ को देख रहे हैं और अपनी जिद पर अडे हुवे है।

यह भी पढें   आज का पंचांग: आज दिनांक 25 अप्रैल 2025 शुक्रवार शुभसंवत् 2082

1b
शिक्षित युवा वर्ग किसी भी राष्ट्र और समाज के लिए पूंजी होती है, देश का भबिष्य होता है। शिक्षा ही एक ऐसा निवेश है जिसका प्रतिफल कई बर्षों बाद पर कालान्तर तक मिलता है।मधेश के बच्चों पर हो रहे नकारात्मक प्रभाव का असर कई बर्षों बाद तक दिखेगा यह कटु सत्य है।अस्त व्यस्त शैक्षिक अवस्था को देखते हुए आन्दोरत मोर्चा आन्दोलन के तीन महिने के बाद सुबह ११बजे तक स्कूल, कालेज संचालन के लिए स्वीकृति दिया पर यह प्रभावकारी नही रहा।मौसम परिवर्तन के साथ बढ रही ठण्ड और शीतलहर के कारण छोटे छोटे बच्चे सुवह की कक्षा मे अनुपस्थित रहे।अतः स्कूल, कालेज प्रभावकारी ढंग से संचालन नही हो पाया। एक तरफ मोर्चा द्वारा समयानुकुल समय में स्कूल, कालेज संचालन के लिए स्वीकृति नही देना और दूसरी तरफ बन्द,हडताल,सभा,नारा,जुलुस,झडप,लाठी चार्ज,अश्रु गैस गोली प्रहार जैसी गतिविधि जारी रहना भी मधेश के शैक्षिक माहौल के बिगडने का मुख्य कारण है। सरकार एस एल सी परीक्षा की समय तालिका प्रकाशित कर चुकी है पर मधेश के विधार्थी का अध्ययन अध्यापन लम्बे समय से ठप्प है।इसलिए भी विधार्थी एंव अभिवावक चिंतित हैं।मधेश के स्कूल,कालेज का आलम यह है कि विभिन्न दबावों के कारण स्कूल, कालेज तो संचालन होती है पर २,४ दिन में ही कुछ न कुछ घटना घटने की वजह से फिर बन्द कर दिया जाता है। इस से विधार्थी,अभिवावक,स्कूल,कालेज संचालक दुविधा की स्थिति में रहते हैं कि अब कब खुलेगा और आगे क्या होगा।अभी कुछ दिन पहले ही सर्वसम्मति से स्कूल, कालेज संचालन हुवे दो चार दिन ही हुआ था कि विराट नगर में सदभावना पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र महतो पर राज्य द्वारा किया गया संघातिक हमला के विरोध में आन्दोलन मे तीब्रता आई और फिर से अनिश्चितकाल के लिए स्कूल,कालेज बन्द कर दिया गया
।किसी भी घटना के लिए सर्वप्रथम स्कूल, कालेज बन्द करना कराना एक प्रकार से हमारी संस्कृति बन गयी है।

यह भी पढें   प्रधानमंत्री के ही कारण गर्वनर नियुक्ती में विलम्ब हो रही है – प्रकाशशरण महत

2b
शैक्षिक सत्र के शुरूवात बैशाख मे आए महाभूकम्प के कारण एक महीना के बन्दी का मार झेल रहे विधार्थी इस आन्दोलन के कारण हो रहे बन्दी से और भी ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए बच्चों के भविष्य के प्रति ईमान्दारी दिखाते हुए सरकार और आन्दोलनकारी दोनों पक्षों की तरफ से स्कूल,कालेज को निर्वाध रूप से संचालन के लिए उपयुक्त वातावरण बनाने की आवश्यकता है।

About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.