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जिंदा ही नहीं, मुर्दा लड़कियों से भी ये शख्स करता था रेप, मिली फांसी की सजाजिंदा ही नहीं, मुर्दा लड़कियों से भी ये शख्स करता था रेप, मिली फांसी की सजा
जब इलाके में अंधेरा छा जाता था तो वह लड़कियों को पकड़कर लाता और उनका मुंह बांध कर उनसे दुष्कर्म करता था।

गाजियाबाद (जेएनएन)। दिल्ली से सटे नोएडा के निठारी गांव में हुए दुष्कर्म और हत्या के 9वें मामले में दोषी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को गाजियाबाद की विशेष सीबीआइ अदालत ने शुक्रवार को फांसी की सजा सुनाई है। दरअसल, निठारी कांड के मुख्य दोषी सुरेंद्र कोली को नेक्रोफीलिया नामक मानसिक  बीमारी थी, जिसकी वजह से वह इतना जघन्य अपराध करता था।जांच से जुड़े पुलिस अधिकारी के मुताबिक, सुरेंद्र कोली के मालिक मोनिंदर पंढेर की कोठी में अक्सर कॉलगर्ल्स आती थीं। इस कोठी में आने वाली कॉलगर्ल्स के खाने-पीने की व्यवस्था घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली ही करता था। इस दौरान वह धीरे-धीरे नेक्रोफीलिया नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित होता गया। इस वजह से वो छोटे बच्चों के प्रति भी आकर्षित होने लगा।

जानकारी सामने आई थी कि जब इलाके में अंधेरा छा जाता था तो कोठी से गुजरने वाली लड़कियों को वो पकड़कर लाता और उनका मुंह बांध कर उनसे दुष्कर्म करता था। इतना ही नहीं, वह हत्या करने के बाद शव के साथ भी दुष्कर्म करता था।

जानकारों की मानें तो नेक्रोफीलिया नामक मानसिक बीमारी 10 लाख व्यक्ति में से किसी एक को होती है, लेकिन जिसको भी होती है वह ऐसी जघन्य वारदात को अंजाम देता था। वह नेक्रोफीलिया बीमारी से पीड़त व्यक्ति शव के साथ दुष्कर्म करता है, लेकिन उसे ये पता नहीं होता है कि वह ऐसा क्यों कर रहा है।

आठ मामलों में हो चुकी है फांसी

सीबीआइ ने दोनों के खिलाफ कुल 19 मामले दर्ज किए थे। 16 मामलों में सीबीआइ ने चार्जशीट दी थी। तीन मामलों में सुबूत नहीं मिलने पर क्लोजर रिपोर्ट लगा दी गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। 16 मामलों में से कुल आठ मामलों में सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा हो चुकी है। एक मामले में राष्ट्रपति दया याचिका खारिज कर चुके हैं। मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार द्वारा फांसी में देरी करने पर मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था।

जानिए क्या था निठारी कांड और कब क्या हुआ

– 2005 में नोएडा के सेक्टर-31 के पास निठारी गांव के घर के पास पानी की टंकी के पास से बच्चों के गायब होने की घटनाएं हो रही थीं। लोगों ने पुलिस में शिकायत की लेकिन कुछ पता नहीं चला।
– 7 मई, 2006 को निठारी में ही 20 साल की लड़की पायल भी गायब हो गई। गायब बच्चों के मामले को देख रही टीम को ही ये मामला सौंपा गया। पायल के पिता ने पुलिस पर जांच का दबाव बनाया। पिता ने बार-बार कहा कि पायल के गायब होने में पंढेर का हाथ है।
– निठारी गांव के निवासियों ने दावा किया कि गायब बच्चों का टंकी के पास एक बिजनेसमैन मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी नं. डी-5 का कुछ लेना-देना है। उनका कहना था कि वो जानते हैं कि बच्चों के गायब होने के पीछे बंगले के नौकर सुरेंद्र कोली का हाथ है।
– 2006, दिसंबर में जांच में पायल के मोबाइल के जरिए पुलिस कोली तक पहुंची। कोली को उसके गांव अल्मोड़ा से पकड़ा गया। उसने कबूल किया कि उसने पायल का कत्ल करके घर के पीछे नाले में फेंक दिया था।
– पुलिस जांच में नाले से कई लाशें निकलने लगीं। 29 दिसंबर को पुलिस ने पंढेरी और कोहली को गिरफ्तार कर लिया।
– 1 जनवरी, 2007 को हत्याओं को लेकर गांव वालों का पुलिस के साथ संघर्ष हुआ। चंडीगढ़ में पंढेर के परिजनों से पूछताछ।
– 5 जनवरी को अभियुक्तों का नार्को टेस्ट।
– 10 जनवरी को सीबीआइ ने मामले की जांच का जिम्मा संभाला।
– 11 जनवरी को सीबीआइ की पहली टीम निठारी पहुंची, 30 और हड्डियां बरामद।
– पंढेर और कोली से सीबीआइ ने की पूछताछ।
– 8 फरवरी को सीबीआइ की स्पेशल कोर्ट ने पंढेर और सुरेंद्र कोली को 14 दिन के लिए सीबीआइ की हिरासत में भेजा।
– 28 फरवरी और 01 मार्च को सुरेंद्र कोली ने दिल्ली में एसीएमएम में अपने बयान दर्ज कराए। बयानों की वीडियोग्राफी हुई।
– 22 मई को सीबीआइ ने गाजियाबाद की अदालत में मामले में पहला आरोप पत्र दाखिल किया। मोनिंदर सिंह पंढेर पर हल्के आरोप लगाए गए। सुरेंद्र कोली पर बलात्कार, अपहरण और हत्या के आरोप लगे।
– 01 मई, 2008 में निठारी हत्याकांड के तीन पीड़ितों के पिता मुख्य अभियुक्त पंढेर को हत्या और अपहरण के आरोपों से मुक्त करने को लेकर सीबीआइ के खिलाफ अदालत पहुंचे।
– 11 मई को गाजियाबाद की अदालत ने सीबीआइ को हत्याओं में पंढेर की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया।
– 1 नवंबर को हाईकोर्ट ने एक पीड़ित के रिश्तेदार के आरोपों पर सीबीआइ को नोटिस भेजा। सीबीआइ पर पंढेर को बचाने के आरोप लगे।
– 13 दिसंबर को गाजियाबाद की विशेष सीबीआइ ने मोनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ दो बच्चियों से बलात्कार और हत्या के मामले में आरोप तय किए। 12 फरवरी, 2009 में सीबीआइ स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज ने पंढेर और कोली को बलात्कार व हत्या का दोषी ठहराया।
– 13 फरवरी को 19 हत्याओं में से एक 14 साल की रिम्पा हलदर के साथ रेप और हत्या के लिए विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को मौत की सजा सुनाई।
4 मई 2010 – सीबीआइ की विशेष अदालत ने कोली को 7 साल की आरती की हत्या का दोषी करार दिया।
28 अक्तूबर 2014 – सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका खारिज की, मौत की सजा को बरकरार रखा, कोली को 12 सितंबर से पहले फांसी दी जानी थी। लेकिन वकीलों ने एक बार फिर से पुनर्विचार याचिका दायर की, जिसके बाद मामले को कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजा।
12 सितंबर 2014 – सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर तक के लिए फांसी पर रोक लगाई। लेकिन 28 जनवरी 2015 को रिंपा हत्याकांड में आरोपी सुरेंद्र कोली की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।

दैनिक जागरण से



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