Tue. Dec 10th, 2024

रेशम चौधरी का मुद्दा सर्वोच्च द्वारा अस्वीकृत क्यों ?

काठमांडू | प्रतिनिधि सभा सदस्य में निर्वाचित हुए रेशम चौधरी ने वारिस के मार्फत प्रमाणपत्र लेने के सम्बन्ध मे मुद्दा दायर किया किया था जिसे सर्वोच्च न्यायलय ने शुक्रबार को अस्वीकृत कर दिया है । मंसिर २१ गते हुए प्रतिनिधि सभा सदस्य के निर्वाचनअन्तर्गत कैलाली क्षेत्र नं. १ से प्रत्यक्ष निर्वाचित हुए राष्ट्रिय जनता पार्टी (राजपा) के उम्मेदवार रेशम चौैधरी ने विजयी सभासद को प्रमाणपत्र पाने के लिए वारेस मार्फत गत बुधबार सर्वोच्च मे उत्प्रेषण मुद्दा दर्ता कराया था । चौधरी के तरफ से वारेसनामा मार्फत कपिलवस्तु के सुनील कुमार चौहान ने उस मुद्दा को दर्ता कराया था । चौधरी ने प्रमाणपत्र पाने के लिए निर्वाचन आयोग विरुद्ध मुद्दा दर्ता कराया था । चौधरी ने प्रतिनिधि सभा मे विजयी हुुए प्रमाणपत्र लेने के लिए वारेसनामा मार्फत रन्जिता चौधरी को भेजा था । मगर निर्र्वाचन कार्यालय कैलाली ने वारेसनामा के आधारपर प्रमाण पत्र देने से इन्कार कर दिया | और रन्जिता को वापस खाली हात भेजा दिया । निर्वाचन प्रणाली बमोेजिम निर्वाचन के दफा १५० बमोजिम निर्वाचन परिणाम घोषणा होने के बाद निर्वाचित उम्मेदवार को अनुसूची ८२ बमोजिम प्रमाण पत्र देने की व्यवस्था है मगर निर्वाचन कार्यालय कैलाली ने नही देकर ‘संंविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार का हनन हुआ हैै’ उल्लेख करते हुए वारेस मार्फत चौधरी ने उस मुुद्दा को दर्ता कराया था ।

यह भी पढें   आज पहला मैच लुंबिनी लायंस और सुदुरपाशिम रॉयल्स के बीच, लुम्बिनी पहली जीत की तलाश में

वि.सं. २०७२ भदौ ७ गते कैलाली के टीकापुर मे आन्दोेलनरत थरुहट के कार्यकर्ता और प्रहरीबीच झडप होने पर एसएसपी सहित ७ सुरक्षाकर्मी ओर एक बालक की जान गयी थी । ‘ उसी घटना के विषय को लेकर मेरे उपर अभियोग लगाया गया है , उस घटना मे मेरा किसी तरह का कोई संलग्नता नहीे है’ चौधरी द्वारा दर्ता कराये गए मुद्दा में उल्लेख है । शुक्रबार उस मुद्दा को देखते हुए सर्वोच्च ने दरपीठ किया है । ‘उस घटना के अभियोग लगा दिख रहा है , मुुलकी ऐन अ.वं. ९४ नंं. मे कर्तब्य ज्यान लगायत के विभिन्न मुद्दा का भी आरोप लगा है इस प्रकृति का मुद्दा मुलुकी ऐेन अ.बं. ११८ नं. बमोेजिम हिरासत मे रख कर पुर्पक्षा करना वा नकरना वा जमानत लगेगा वा नही लगेगा ऐसा आदेश होना था , निवेदक स्वयं खुद उस बमोजिम के प्रक्रिया मे समावेश नही हूँ ऐसा उल्लेख कर कर इस तरह के स्थितिमे अ.वं. ६५ (१) नं. बमोजिम वारेस भी नही लगेगा इस लिए कारवाही प्रक्रिया आघे नही बढेगा कहते हुए सर्वोेच्च न्यायलय के मुख्य रजिष्ट्रार नहकुल सुवेदी द्धारा हुए आदेश से मुद्दा दरपीठ किया गया है । रेशम चौधरी निकट व्यक्तिओ के अनुसार अब रेशम उस दरपीठ मुद्धा के विरुद्ध भी मुद्दा दायर करने के तयारी मे है । इसबीच पूर्व न्यायधीश गिरीशचंद लाल द्वारा भुझाये गये रिपोर्ट में भी चौधरी को दोषी नही ठराया गया है | फिर भी उसे प्रमाण्पत्र देने से बंचित रखना यह कहाँ तक न्यायोचित है ?

About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com
%d bloggers like this: