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जनकपुरधाम देश का ‘कोहीनूर’ : कैलाश दास

राज्य की बदनीयत दृष्टि हमेशा जनकपुरधाम पर रही है । जबकि जनकपुरधाम का नाम नेपाल में ही नही, जहाँ—जहाँ भी हिन्दु धर्मावलम्बी लोग है अवश्य जानते होंगे 



जानकी मन्दिर को विश्व सम्पदा सूची में सूचीकृत कराने की बात भी जोरशोर से आगे बढ़ चुकी है । और इस बार नेपाल सरकार की सोच भी सकारात्मक कदम की ओर है 

हिमालिनी, मई अंक, 2018 । सीरिया के द्वन्द्वकालीन शहर की तस्वीरें और जनकपुरधाम के विकास के क्रम में हुई तोड़फोड़ वाली तस्वीरों को अगर देखा जाए तो फिलहाल कोई अन्तर नहीं दिखाई देता है । अन्तर केवल इतना है कि सिरिया में द्वन्द्व और हिंसा से जनता कांप रही है और जनकपुरधाम की जनता फिलहाल व्यापार नही चलने की चिन्ता तथा तहस—नहस सड़कों से परेशान है । सिरिया की संरचना डूबता हुआ सूर्य है, तो जनकपुर की संरचना उगता हुआ सूर्य ।

रामायण सर्किट’ का मतलब राम और सीता के पाँव जहाँ—जहाँ पड़े हैं जनकपुर का सम्बन्ध उन सभी धार्मिक स्थलो से जोड़ना । इससे दैनिक रूप में कहा जाए तो यहाँ पर हजारों पर्यटकाें का आना जाना लगा रहेगा
यह लिखना इसलिए आवश्यक है कि स्थानीय सरकार बनने के बाद भी कुछ मिडियाकर्मियों ने जनकपुर को अनेक नजरो से देखने का प्रयास किया है । कभी मच्छरों की राजधानी तो कभी गन्दगी की नगरी जनकपुरधाम । लेकिन कभी यह नही लिखने का प्रयास किया गया है कि ‘कोहिनूर’ बनने की अपार सम्भावना है जनकपुरधाम’ । फिलहाल की तस्वीरे सिरिया जैसी लगती हो, किन्तु आने वाले दिन में विकास की जो गति है सिंगापुर जैसी स्पष्ट रूप में दिख रही है ।
हा, यह भी सही है कि अभी तक जनकपुरधाम गाँवो का शहर के नाम से जाना जाता था । क्योंकि यहाँ पर अधिकतर लोग गाँवो से ही आया करते थे । इसके कई कारण भी है —राज्य की बदनीयत दृष्टि हमेशा जनकपुरधाम पर रही है । जबकि जनकपुरधाम का नाम नेपाल में ही नही, जहाँ—जहाँ भी हिन्दु धर्मावलम्बी लोग है अवश्य जानते होंगे । लेकिन इसका कुछ भी प्रतिशत पर्यटकों को जनकपुरधाम में लाने का प्रयास राज्य द्वारा हुआ ही नही । जनकपुरधाम की दुर्दशा राणाकाल, शाहीकाल और प्रजातन्त्र में भी यथावत रही है । विकास के नाम पर राजनीति तो हुई है किन्तु आर्थिक उन्नति और रोजगारी का सभी संरचना ध्वस्त कर दिया गया है । यहाँ का जनकपुर चुरोट कारखाना, नेपाल रेलवे, राराब क्याम्पस का अध्ययन अध्यापन, धार्मिक संरचना का संरक्षण सहित आर्थिक स्रोत ही बन्द हो चुका है ।
कहते हंै—निराशा के बाद आशा और विनाश के बाद विकास होता ही है । अब वह दिन दूर नहीं रही । स्थानीय सरकार और प्रादेशिक सरकार की जो योजना और नीति जनकपुर के विकास प्रति है इससे स्पष्ट होता है कि जनकपुरधाम नेपाल का ही ‘कोहिनूर’ बनेगा । वैसे भी इस प्रदेश का पर्यटन, कृषि, उद्योग और शिक्षा का भण्डार है जनकपुरधाम । कहने का मतलब है जनकपुरधाम में विश्व का पर्यटक को लाया जा सकता है उसके लिए प्रदेश और स्थानीय सरकार ही नही सभी राजनीति दल की सोच साकारात्मक रखनी होगी ।
जनकपुर उपमहानगरपालिका ने पर्यटकीय दृष्टि से जनकपुर नगर भीतर में तोड़फोड़ पश्चात बनने वाले घरों का नक्सा एक जैसा होना चाहिए, उतना ही नही प्रत्येक घर में केसरिया रंग से पेन्टिङ्ग करने का आदेश जारी भी कर दी है, जो सबसे बडी ऐतिहासिक नगरी को रूप में स्थापित होने की सम्भावना है । जानकी मन्दिर को विश्व सम्पदा सूची में सूचीकृत कराने की बात भी जोरशोर से आगे बढ़ चुकी है । और इस बार नेपाल सरकार की सोच भी सकारात्मक कदम की ओर है 
हमने कई बार जनकपुरधाम को नेपाल का ‘कोहिनूर’ कहकर उल्लेख किया है । क्योंकि पाँच वर्ष में जो विकास करने की रफ्तार है, उससे स्पष्ट होता कि अब नेपाल की जनता नहीं विश्व की जनता जनकपुरधाम में आना चाहेगी । बल्कि इसके लिए राजनेता और सरकार को इमानदारी बरकरार रखनी होगी ।
पाँच वर्ष में बहुत सारी ऐसी योजनाएँ हैं जो विश्व के पर्यटकों को जनकपुरधाम में लाने में सफल रहेगी । लेकिन जो योजनाएँ हैं उस पर निरन्तरता आवश्यक है । जैसे की ‘अन्तर्राष्ट्रीय श्री राम जानकी स्टेडियम’ बनने की बात भी आगे बढ़ चुकी है । उसके के लिए गुठी संस्थान केन्द्रीय कार्यालय काठमाडौं ने करीब १७ बीघा जमीन भी उपलब्ध करा दिया है । भारत सरकार और नेपाल सरकार के संयुक्त सहयोग में करीब ६ अर्ब १९ करोड़ के निवेश में यह स्टेडियम बनेगा । इसमें एक साथ ७ गेम खेले जा सकते हैं ।
श्री राम जानकी खेलकूद विकास परिषद के अध्यक्ष दिनेश पूर्वे का कहना है कि यह स्टेडियम ‘मोडुलर’ डिजाइन में तैयार किया जाऐगा, जिससे वर्षा और गर्मी दोनो मौसम में गेम पर कोई प्रभाव नही पड़ेगा । इसके लिए राष्ट्रीय खेलकूद परिषद द्वारा २० लाख बजट भी निकाला जा चुका है । राम और सीता के साथ जो सम्बन्ध है वही सम्बन्ध नेपाल और भारत के साथ रखने में यह स्टेडियम सक्षम होगा । स्टेडियम का उद्घाटन दोनों देश के प्रधानमन्त्री करें ऐसा उनका मानना है ।
स्टेडियम निर्माण के बाद ‘इन्टरनेशनल खिलाडी’ जनकपुरधाम में आने के लिए ‘इन्टरनेशनल एयरपोर्ट’ का निर्माण कार्य भी आगे बढ़ चुका है । नेपाल सरकार सातों प्रदेश में विमान स्थल निर्माण करेगी । नेपाल का सभी राज्य और विदेश से हवाई मार्ग यात्रा द्वारा जनकपुरधाम आने में सहज हुआ तो जनघनत्व क साथ–साथ आर्थिक उन्नति भी होगी । इससे यहाँ का व्यापार और वातावरण में अपार परिवर्तन की सम्भावना है । यह राज्य और देश के आर्थिक विकास मे सबसे बड़ी कड़ी बनेगी ।
फिलहाल कहा जाए तो नेपाल और भारत का साँस्कृतिक, धार्मिक, वैवाहिक, राजनीतिक सम्बन्ध को और प्रगाढ बनाने के लिए ‘रामायण सर्किट’ पर नेपाल—भारत सरकार द्वारा सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है । यह दोनों देश के लिए आर्थिक रूप से भी फायदेमन्द होगा ।
‘रामायण सर्किट’ का मतलब राम और सीता के पाँव जहाँ—जहाँ पड़े हैं जनकपुर का सम्बन्ध उन सभी धार्मिक स्थलो से जोड़ना । इससे दैनिक रूप में कहा जाए तो यहाँ पर हजारों पर्यटकाें का आना जाना लगा रहेगा । उसके लिए नेपाल—भारत सरकार सवारी सन्धि भी कर चुकी है । जनकपुरधाम से ही भारत के धार्मिक स्थलो पर बस वा रेल द्वारा यात्रा किया जा सकता है । अब यहाँ आने के लिए हवाई जहाज, रेल और बस की यात्रा आसान हो जाएगी ।
एशियाली विकास बैंक के करीब २ अर्ब के ऋण सहयोग में जनकपुर उपमहानगरपालिका नाला और सड़क विस्तार पर्यटकीय और राजधानी की दृष्टि से कर रही है । इससे तत्काल जनकपुरवासी को अरबों का नुकसानी तो है, लेकिन आनेवाला दिन बहुत ही ‘उज्ज्वल’ है । सड़क, मकान और नाला अच्छे शहर की पहचान होती है, और इसके निर्माण में जनकपुर उपमहानगरपालिका लग चुका है । वैसे जनकपुरधाम के संरचना का परिवर्तन करने लिए यह कोई बड़ी रकम नही है, लेकिन जो प्रयास हुआ है बहुत ही अहम रखता है ।
नेपाल सरकार का खानेपानी मन्त्रालय और जनकपुर उपमहानगरपालिका ने २ अर्ब रुपया केवल यहाँ के गली—गली में ५५ किलोमीटर सड़क निर्माण का बजट भी दिया है । उतना ही नही ‘५२ पोखरी ७२ कुण्ड’ के नाम से पहचाना जाने वाला जनकपुर के २९ पोखरी का सौन्दर्यीकरण भी किया जाऐगा । उसके बाद नगर भीतर में कम से कमं एक सौ डिलक्स घुम्ती शौचालय भी होगा ।
नगर प्रमुख लालकिशोर साह का कहना है कि २० वर्ष से जनकपुरधाम अभिभावक विहीन था । जनकपुरधाम नेपाल का ही ‘कोहिनूर’ बनने की पुरी सम्भावना होते हुए भी नेपाल सरकार उपेक्षित थी । जनकपुरधाम के विकास से देश का विकास होगा ऐसी मनःस्थिति कभी लायी ही नही गई । अब हम लोग गणतान्त्रिक लोकतन्त्र में है, सोच में परिवर्तन होगी तभी देश विकास में परिवर्तन होगा । जनकपुर के विकास से देश, जनता और समाज का विकास है । भारतीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी का जो नारा है ‘सबका साथ सबका विकास’ विचार के साथ जनकपुर के विकास में आगे आने के लिए उन्होने सबसे आग्रह भी किया है ।



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