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अनन्त चतुर्दशी की पूजाविधि

२३सितम्बर
अनंत चतुर्दशी का व्रत करने के लिए व्रती को सुबह स्नान करके व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए।
शास्त्रों में, अनंत चतुर्दशी का पूजन किसी भी नदी, सरोवर के किनारे करने का विधान बताया गया है।
अगर ऐसा न हो तो घर में पूजा गृह के पास या पूजा गृह में कलश स्थापित करें और शेष नाग की शैय्या पर लेते भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र रखें।
उसके बाद चौदह गांठों से बंधा हुआ डोरा (सूत्र) रखें।
उसके बाद “ॐ अनंताय नमः” मंत्र से भगवान विष्णु तथा अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा करें। पूजा करने के बाद अनंत सूत्र का मंत्र पढ़कर पुरुष अपने दाहिने हाथ पर और स्त्री बाएं हाथ पर बांध लें।
अनंत सूत्र का मंत्र
अनंत सागर महासमुद्रेमग्नान्समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंत रूपे विनियोजितात्माह्यनन्त रूपाय नमोनमस्ते॥
पूजा पाठ के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें। पूजन के बाद व्रत कथा अवश्य पढ़ें या सुनें। क्योंकि माना जाता है बिना कथा पढ़ें व्रत संपूर्ण नहीं होता और उसका फल नहीं मिलता।

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