Fri. Mar 29th, 2024



अमेरिका के मिड-टर्म चुनाव इस बार बेहद चर्चा में हैं। इसे सीधे-सीधे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की साख से जोड़कर देखा जा रहा है। कार्यकाल के बीच में होने वाले इन चुनावों से ट्रंप की सत्ता पर भले कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन उनकी प्रतिष्ठा पर प्रभाव जरूर पड़ेगा। इसके अलावा ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी को 100 सदस्यों वाले उच्च सदन यानी सीनेट में बहुमत गंवाने का डर भी है। अगर सीनेट में डेमोक्रेट्स का बहुमत हो गया, तो अपने बाकी कार्यकाल में ट्रंप को फैसले लेने में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। अभी सीनेट में रिपब्लिकन की 51 सीटें हैं।

अखबार ने की ट्रंप के खिलाफ वोट करने की अपील
वाशिंगटन पोस्ट ने अपने संपादकीय में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी के खिलाफ वोट डालने की अपील की है। अखबार ने कहा कि ट्रंप लोगों को शांत करने में नहीं, उन्हें भड़काने में यकीन रखते हैं। अखबार ने लिखा, ‘उनका पहला अघोषित लक्ष्य है यह साबित करना कि उनकी आग लगाने वाली राजनीति सफल है। ऐसा करके वो रिपब्लिकन पार्टी पर अपना प्रभुत्व मजबूत करेंगे। दूसरा और ज्यादा बड़ा लक्ष्य है यह साबित करना कि शिष्टता वाली राजनीति पर टिके रहने की उनके विपक्षियों की नीति किसी काम की नहीं है।’अखबार ने कहा कि मतदाताओं के पास मौका है कि वे ऐसे नेताओं को खारिज कर दें जो ट्रंप की गलत नीतियों का समर्थन करते हैं।

मिड-टर्म चुनावों का इतिहास
अमेरिका में मिड-टर्म चुनावों का इतिहास रहा है कि राष्ट्रपति की पार्टी प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स) की औसतन 30 सीटें और सीनेट की चार सीटें गंवा देती है। पिछले दो दर्जन मिड-टर्म चुनावों में केवल दो बार ऐसा हुआ है, जब दोनों सदनों में राष्ट्रपति की पार्टी की सीटें बढ़ गईं। इस बार हो रहे मिड-टर्म चुनावों को लेकर विशेषज्ञ दो हिस्सों में बंटे नजर आ रहे हैं। एक वर्ग है जिसका मानना है कि टंप अपने स्वभाव और फैसलों के कारण लोकप्रियता खो रहे हैं।



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