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एकादशी का व्रत करते हैं ताे रखें कुछ बाताें का खयाल

एकादशी का हर व्रत पवित्र माना जाता है। एकादशी व्रत में कुछ नियमों का पालन आवश्यक है। जानिए, एकादशी के दिन क्या करें और क्या न करें-
1
ब्रह्मचर्य का पालन करें तथा भोग विलास से भी दूर रहें।
2
एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और अंगुली से कंठ शुद्ध कर लें।
3
वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें।
4 स्नानादि कर मंदिर में जाकर गीता पाठ करें या पुरोहितादि से श्रवण करें।
5 प्रभु के सामने इस प्रकार संकल्प करें – ‘आज मैं चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करुंगा और न ही किसी का दिल दुखाऊंगा। गौ, ब्राह्मण आदि को फलाहार व अन्नादि देकर प्रसन्न करुंगा। रात्रि को जागरण कर कीर्तन करुंगा, ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जाप करुंगा, राम, कृष्ण, नारायण इत्यादि विष्णुसहस्रनाम को कण्ठ का भूषण बनाऊंगा।’ ऐसी प्रतिज्ञा करके श्रीविष्णु भगवान का स्मरण कर प्रार्थना करें कि : ‘हे त्रिलोकपति ! मेरी लाज आपके हाथ है, अत: मुझे इस संकल्प को पूरा करने की शक्ति प्रदान करें।’ मौन, जप, शास्त्र पठन, कीर्तन, रात्रि जागरण एकादशी व्रत में विशेष लाभ पंहुचाते हैं।
6 एकादशी के दिन अशुद्ध द्रव्य से बने पेय न पिएं। कोल्ड ड्रिंक्स, एसिड आदि डाले हुए फलों के डिब्बाबंद रस को न पिएं।
7 दो बार भोजन न करें। आइसक्रीम व तली हुई चीजें न खाएं।
8 फल अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा थोड़े दूध या जल पर रहना विशेष लाभदायक है।
9 व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) -इन तीन दिनों में कांसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, चावल, मसूर, उड़द, चने, शाक, शहद, तेल और अधिक जल का सेवन न करें। व्रत के पहले दिन (दशमी को) और दूसरे दिन (द्वादशी को) हविष्यान्न (जौ, गेहूं, मूंग, सेंधा नमक, कालीमिर्च, शर्करा और गोघृत आदि) का एक बार भोजन करें।
10 फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए।
11 आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए।
12 जुआ, निद्रा, पान, पराई निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए।
13 बैल की पीठ पर सवारी न करें।
14 भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाए तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा मांग लेनी चाहिए।
15 एकादशी के दिन घर में स्वयं झाडू नहीं लगाएं, इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है।
16 इस दिन बाल नहीं कटाएं।
17 मधुर बोलें, अधिक न बोलें, अधिक बोलने से न बोलने योग्य वचन भी निकल जाते हैं।
18 सत्य भाषण करना चाहिए।
19 इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसी का दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें।
20 प्रत्येक वस्तु प्रभु को भोग लगाकर तथा तुलसीदल छोड़कर ग्रहण करनी चाहिए।



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