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गणेश चतुर्थी गणेश चौथ  एवं गणेशोत्पत्ति : 24 जनवरी गुरुवार को

आचार्य राधाकान्त शास्त्री । “माघ कृष्ण चतुर्थ्याम् तु प्रादुर्भूतो गणाधिपः”
 श्री गणेश चतुर्थी गणेश चौथ  एवं गणेशोत्पत्ति :- 24 जनवरी गुरुवार को ,
चन्द्र दर्शन एवं अर्घ्य :- रात्रि 9:10 बजे ,
अर्घ्य मंत्र :-
ॐ ऐं क्लीं सोमाय नमः ।।
 भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना गया है। कहा जाता है कि जो श्रद्घालु कल के माघी गणेश चतुर्थी का व्रत कर श्री गणेशजी की पूजा-अर्चना करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। इस माघी गणेश चौथ में तिल अर्पण का भी  विशेष महत्व है ।
जो श्रद्घालु नियमित रूप से चतुर्थी का व्रत नहीं कर सकते यदि वे कल के इस माघी चतुर्थी का व्रत कर लें, तो उन्हें साल भर की चतुर्थी व्रत का फल प्राप्त हो जाता है।
 चतुर्थी पर जहां गणेश मंदिरों में भक्तों का तांता लगेगा, वहीं घरों मे भी विशेष आयोजन सफल एवं फलदायी होंगे। श्रद्धालु लंबोदर के समक्ष शीश नवाएंगे उनका विशेष पाठ पूजन अर्चन कर उनका विशेष आशीष पाकर अपने संकटों को दूर कर सकेंगे ।
कल के माघी चौथ के अवसर पर घरों एवं गणेश मंदिरों में विशेष पूजन व्रत व मनमोहक श्रृंगार के आयोजन होंगे तथा प्रसाद वितरण किया जाएगा। चतुर्थी का व्रत रख श्रद्घालु रात्रि 9:10 पर चंद्रदर्शन के बाद भोजन करेंगे ।
व्रतधारी श्रद्घालुओं को चंद्रदर्शन और गणेश पूजा के बाद व्रत समाप्त करना चाहिए। इसके अलावा पूजा के समय भगवान गणेश के इन बारह नामों का जप करने से फल अवश्य मिलता है।
 चिंताहरण गणेश के बारह नाम :-
1-वक्रतुंड
2-एकदंत
3-कृष्णपिंगाक्ष
4-गजवक्त्र
5-लंबोदर
6-विकट
7-विघ्नराज
8-धूम्रवर्ण
9-भालचंद्र
10-विनायक
11-गणपति
12-गजानन।
व्रतधारी यह भी करें :-
कल के माघी चतुर्थी का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत करने वाले श्रद्घालुओं की समस्त मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
-सुबह गणेश पूजा करें।
-पूजा के साथ यदि अथर्वशीर्ष का पाठ किया जाए तो अति उत्तम।
-गणेश द्वादश नामावली का पाठ करें। या संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ भी विशेष लाभकारी होगा ।
-दिन में अथवा गोधूली वेला में गणेश दर्शन अवश्य करें।
-शाम को सहस्र मोदक या स्वेच्छानुसार लड्डुओं का भोग अर्पित करें।
-सहस्र या 108 दुर्वा अर्पण करें।
-हो सके तो सत या  सहस्र मोदक से हवन अवश्य करें।
श्री सिद्धि विनायक आपको सभी सिद्धियां प्रदान करें,
आचार्य राधाकान्त शास्त्री ।
 सकट नाशन चौथ 2019 :-
 सकट नाशन चौथ कल 24 जनवरी गुरुवार को, संकट हारिणी है, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी एवं गणेश जी की पूजन,  व्रत कथा :-
तीर्थराज प्रयाग में चल रहे कुम्भ स्नान का सबसे अति महत्वपूर्ण पर्व सकट नाशन गणेश चौथ कल 24 जनवरी गुरुवार को है। वक्रतुण्डी चतुर्थी, माघी चौथ अथवा तिलकुटा चौथ भी इसी को कहते हैं।  शुभता के प्रतीक, विवेकमय बनाने वाले गणेश जी का पूजन किए बिना कोई भी देवी-देवता, त्रिदेव-ब्रह्मा, विष्णु, महेश, आदिशक्ति, परमपिता परमेश्वर की भक्ति-शक्ति प्राप्त नहीं कर सकता। इनकी पूजा मात्र से ही परमपिता परमेश्वर प्रसन्न हो उठते हैं। यह अपनी भक्ति उन्हीं को प्रदान करते हैं, जो माता-पिता और सास-ससुर की निश्छल सेवा करते हैं।
सूर्योदय से पूर्व स्नान के पश्चात गणोश जी को उत्तर दिशा की तरफ मुंह कर नदी में 21 बार, तो घर में एक बार जल देना चाहिए। सकट चौथ व्रत संतान की लंबी आयु हेतु किया जाता है। कृष्ण की सलाह पर धर्मराज युधिष्ठिर ने इस व्रत को किया था। व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पूर्व करें। पूजा में गुड़, तिल, गन्ने, मटर या छिम्मी और मूली का उपयोग करना चाहिए।
 चतुर्थी के दिन मूली नहीं खानी चाहिए, धन हानि की आशंका होती है। देर शाम चंद्रोदय के समय व्रत करने वाले को तिल, गुड़ आदि का अघ्र्य चंद्रमा, गणेश जी और चतुर्थी माता को अवश्य देना चाहिए। अघ्र्य देकर ही व्रत पूर्ण किया जाता है। इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत भी करती हैं। सूर्यास्त से पहले गणेश संकष्ट चतुर्थी व्रत कथा-पूजा होती है। इस दिन तिल का प्रसाद चढ़ाना व खाना चाहिए। दूर्वा, शमी, बेलपत्र और गुड़ में बने तिल के लड्डू चढ़ाने चाहिए।
कथा के अनुसार, सतयुग में महाराज हरिश्चंद्र के नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार उसने बर्तन बनाकर आंवा लगाया पर आंवा पका ही नहीं, बर्तन कच्चे रह गए। बार-बार नुकसान होते देख उसने एक तांत्रिक से पूछा तो उसने कहा कि बच्चे की बलि से ही तुम्हारा काम बनेगा। तब उसने तपस्वी ऋषि शर्मा की मृत्यु से बेसहारा हुए उनके पुत्र को पकड़ कर माघ कृष्ण चौथ के दिन ही आंवा में डाल दिया। लेकिन बालक की माता ने उस दिन गणेश  जी की व्रत पूजा की थी। बहुत तलाशने पर जब पुत्र नहीं मिला तो गणेश जी से प्रार्थना की। सबेरे कुम्हार ने देखा कि आंवा पक गया, लेकिन बालक जीवित और सुरक्षित था। डर कर उसने राजा के सामने अपना पाप स्वीकार किया। राजा ने बालक की माता से इस चमत्कार का रहस्य पूछा तो उसने गणेश पूजा के विषय में बताया। तब राजा ने उस संकट नाशन गणेश चौथ की महिमा स्वीकार की तथा पूरे नगर में गणेश पूजा करने का आदेश दिया। और तब से ही माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकट हारिणी या संकट नाशन चतुर्थी  माना जाने लगा ।
श्री गणेश आपकी सभी मनोकामनाएं पुर्ण करें, और सबके संतान सुख को सुरक्षित एवं पूर्ण करें ।।
आचार्य राधाकान्त शास्त्री ।

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