Fri. Mar 29th, 2024
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शनि एक अच्‍छा ग्रह है। यदि इसके स्वभाव के अनुरूप कार्य होगा तो शनि के दुष्प्रभाव का किंचित मात्र भी असर नहीं होगा। रवि और गुरु द्वारा शनि पराजित होता है। यह तुला, मकर
तथा कुंभ राशि में स्त्री स्थान में, स्वग्रह में, शनिवारको अपनी दशा में, राशि के अंत भाग में, युद्ध के समय, कृष्णपक्ष में तथा वक्री हो, इस समय, किसी भी स्थान पर हो बलवान होता है।
शनि के उपाय, जीवन में अपनाएं
(1) प्रात:काल सूर्य उदय होने से पूर्व उठकर सूर्य भगवान की पूजा करें, गुड़ मिश्रित जल को चढ़ाएं।
(2) माता-पिता और घर के बुजुर्गों की सेवा करें।
(3) गुरु या गुरुतुल्य के आशीर्वाद लेते रहें।
(4) किसी को अकारण कष्ट नहीं दें और प्रत्येक को भगवान का स्वरूप समझें।
(5) पारिवारिक भरण-पोषण के लिए ईमानदारी और मेहनत से कमाए धन का सदुपयोग करें।
(6) अपने ईष्ट पर अटूट श्रद्धा और विश्वास रखें और नियमित रूप से उनकी पूजा-अर्चना करें।
(7) जो व्यक्ति कर्म और मन से सात्विक हो, परोपकार वृत्ति हो, गरीबों को अपनी समर्थता के अनुसार दान करता हो उन्हें शनि परेशान नहीं करते।
(8) दुर्व्यसन से परहेज करें।
शनि के प्रभाव से फिर भी डर लगता हो, तो ऐसे व्यक्ति को माणक या पुखराज धारण करना चाहिए।

बीमारी अवस्था में एक कटोरी में मीठा तेल लेकर अपना चेहरा देखें, फिर उस कटोरी को आटे से भरकर गाय को खिला दें। बीमारी से राहत मिलने लगेगी।

ग्रह शांति के लिए प्रत्येक अमावस, पूर्णिमा की शाम एक दोने में पके हुए चावल लें। उस पर दही डाल दें। अपने मकान में लेकर घूमें, फिर यह दोना किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर रख आएं। शनि को अपना हमसफर मानें और उसके स्वभाव के अनुसार चलकर स्वयं का जीवन और परिवार का जीवन सुखमय बनाएं।



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