हनुमान जयंती पर जानिए कुछ विशेष बातें और कीजिए हनुमान जी काे प्रसन्न
१९ अप्रैल
महावीर हनुमान को सबसे शक्तिशाली देवता के रूप में पूजा जाता है। बजरंगबली अमर और चिरंजीवी है। इनकी भक्ति करने से मनुष्य को शक्ति, बुद्धि और आरोग्य प्राप्त होता है।
चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। हनुमान जी का जन्म सुबह 4 बजे मां अंजना की कोख से हुआ। वे भगवान शिव के 11वें अवतार हैं, जो वानरदेव के रूप में इस धरती पर रामभक्ति और राम कार्य सिद्ध करने के लिए अवतरित हुए। हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं। हनुमानजी की मूर्तियों पर सिन्दूर और चांदी का वर्क चढ़ाया जाता है।
हनुमान जयंती के दिन शाम के समय दक्षिणमुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर हनुमानजी के चमत्कारिक मंत्रों का जाप किया जाए तो यह बहुत फलदायी होता है।
1. इस दिन मनोकामना पूर्ति के लिए हनुमान जी को पान का बीड़ा जरूर चढ़ाना चाहिए।
2. इमरती के भोग से भी संकटमोचन अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
हनुमानजी को प्रसन्न करना बहुत सरल है। राह चलते उनका नाम स्मरण करने मात्र से ही सारे संकट दूर हो जाते हैं। जो साधक विधिपूर्वक साधना से हनुमानजी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें कुछ नियमों का पालन करना चाहिए।
* हनुमान साधना में शुद्धता एवं पवित्रता अनिवार्य है। प्रसाद शुद्ध घी का बना होना चाहिए।
* हनुमानजी को तिल के तेल में मिले हुए सिन्दूर का लेपन करना चाहिए।
* हनुमानजी को केसर के साथ घिसा लाल चंदन लगाना चाहिए।
* लाल व पीले बड़े फूल अर्पित करना चाहिए। कमल, गेंदे, सूर्यमुखी के फूल अर्पित करने पर हनुमानजी प्रसन्न होते हैं।
* नैवेद्य में प्रात: पूजन में गुड़-नारियल का गोला और लड्डू, दोपहर में गुड़, घी और गेहूं की रोटी का चूरमा अथवा मोटी रोटी अर्पित करना चाहिए। रात्रि में आम, अमरूद, केला आदि फलों का प्रसाद अर्पित करें।
* साधना काल में ब्रह्मचर्य का पालन अति अनिवार्य है।
* जो नैवेद्य हनुमानजी को अर्पित किया जाता है, उसे साधक को ग्रहण करना चाहिए।
* मंत्र जप बोलकर किए जा सकते हैं। हनुमानजी की मूर्ति के समक्ष उनके नेत्रों की ओर देखते हुए मंत्रों के जप करें।
लेकिन स्त्री उनकी आंखों में न देखकर चरणों की तरफ देखें।
लेकिन स्त्री उनकी आंखों में न देखकर चरणों की तरफ देखें।
Loading...