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श्रीलंका में बवाल, तीन मस्जिदों पर हमला, कर्फ्यू लागू

कोलंबो, प्रेट्र/रायटर। 



 

श्रीलंका के पश्चिमी तटवर्ती शहर में एक विवादित फेसबुक पोस्ट के बाद बवाल हो गया। उग्र भीड़ ने तीन मस्जिदों और मुस्लिमों की कुछ दुकानों पर पथराव किया। एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की भी खबर है। घटना के बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

सुरक्षा अधिकारियों ने भंडारनायके इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 47 साल के एक मौलाना को गिरफ्तार किया है। वावुनिया का रहने वाला यह मौलाना सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी विचारों वाले वीडियो पोस्ट कर देश की शांति और सद्भाव भंग करने के आरोप में वांछित था। मौलाना की पहचान उजागर नहीं की गई है।

पश्चिमी तटवर्ती शहर चिलाव में पहले सुबह छह बजे तक के लिए कर्फ्यू लगाया गया था। बाद में उसे चार बजे तक कर दिया गया। दरअसल, फेसबुक पर सिंहली भाषा में एक पोस्ट किया गया, जिसमें कहा गया कि सिंहलियों को रुलाना मुश्किल है। इसके जवाब में 38 वर्षीय अब्दुल हमीद मोहम्मद हसमर ने अंग्रेजी में पोस्ट करके कहा, ‘ज्यादा खुश मत हो, एक दिन तुम्हें रोना पड़ेगा।’

इस पोस्ट के बाद लोग भड़क गए और मस्जिदों और दुकानों पर हमला कर दिया। हमले में एक मस्जिद को ज्यादा नुकसान पहुंचा है। बाद में पुलिस ने हसमर को गिरफ्तार कर लिया।

वहीं, मौलाना को शनिवार को एयरपोर्ट पर उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया जब वह मक्का से हज करके देश लौटा था। श्रीलंका सरकार ने कुछ दिन पहले मस्जिदों में नफरत फैलाने के उद्देश्य से की जाने वाली सभाओं पर रोक लगा दी है। मस्जिद के ट्रस्टियों को वहां होने वाली धार्मिक तकरीरों की रिकॉर्डिग जमा कराने के भी आदेश दिए गए हैं।

उल्लेखनीय है कि ईस्टर के दिन चर्च और होटलों में हुए आत्मघाती धमाकों के बाद से समूचे श्रीलंका में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। इन धमाकों में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने इन धमाकों की जिम्मेदारी ली है।

श्रीलंका सरकार का कहना है कि इन धमाकों को स्थानीय आतंकी संगठन नेशनल तौहीद जमात ने अंजाम दिया था। इन धमाकों के बाद हुई तलाशी में मस्जिदों से भारी मात्रा में तलवार और अन्य हथियार बरामद किए गए थे। इसी वजह से उन पर सख्ती की जा रही है।

ईस्टर धमाकों के बाद चर्च में पहली बार सामूहिक प्रार्थना सभाएं

श्रीलंका में पिछले महीने ईस्टर के दिन हुए आत्मघाती धमाकों के बाद रविवार को पहली बार चर्चो में सामूहिक प्रार्थना सभाएं आयोजित की गईं। इसके लिए चर्च के भीतर और बाहर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। चर्च में प्रवेश से पहले लोगों को गहन सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ा। पहचान पत्र देखने के बाद ही उन्हें चर्च के भीतर जाने दिया गया। सुरक्षा के मद्देनजर चर्च के पार्किग स्थल बंद रखे गए। सुरक्षा इंतजाम देखने के लिए पुलिस के अलावा सेना के जवान भी तैनात थे।



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