Thu. Mar 28th, 2024

सर्प पर विराजमान देवी मनसा और कामाख्‍या का रहस्य जानिए

 



 

देवियों को उनके वाहन से पहचाना जाता है। देवियों के परिचय की इस श्रंखला में जानिए की सर्प पर सवार देवी मनसा और कामख्‍या देवी आखिर कौन हैं या किसका रूप हैं।

मनसा देवी : मनसा देवी सर्प और कमल पर विराजित दिखाया जाता है। कहते हैं कि 7 नाग उनके रक्षण में सदैव विद्यमान हैं। उनकी गोद में उनका पुत्र आस्तिक विराजमान है। कहते हैं कि वे वासुकी की बहन है। आस्तिक ने ही वासुकी को सर्प यज्ञ से बचाया था। इनका प्रसिद्ध मंदिर हरिद्वार में स्थापित है जोकि एक शक्तिपीठ है।

कहते हैं कि मनसा देवी भगवान शिव की मानस पुत्री है इसीलिए उन्हें मनसा कहते हैं। परंतु कई पुरातन धार्मिक ग्रंथों में इनका जन्म कश्यप के मस्तक से हुआ हैं इसीलिए मनसा कहा जाता है। यह भी कहा जाता है कि यहां पर माता सती का मन गिरा था इसलिए यह स्थान मनसा नाम से प्रसिद्ध हुआ।
हरिद्वार शहर में शक्ति त्रिकोण है। इसके एक कोने पर नीलपर्वत पर स्थित भगवती देवी चंडी का प्रसिद्ध स्थान है। दूसरे पर दक्षेश्वर स्थान वाली पार्वती। कहते हैं कि यहीं पर सती योग अग्नि में भस्म हुई थीं और तीसरे पर बिल्वपर्वतवासिनी मनसादेवी विराजमान हैं।

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कामाख्या देवी : कामाख्‍या देवी की सवारी भी सर्प है। 51 शक्तिपीठों में से एक कामाख्या देवी शक्तिपीठ असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर कामाख्या में है। यह शक्तिपीठ तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है। कामाख्या से 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुण्ड) स्थित है।
यह देवी माता सती का ही एक रूप है।



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