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समाजवादी पार्टी में विभाजन, रेणु यादव के नेतृत्व में ‘राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी’, सांसद् प्रदीप यादव बन रहे मन्त्री

काठमांडू, २३ अप्रील । उपेन्द्र यादव नेतृत्व में रहे समाजवादी पार्टी नेपाल अब विभाजित हो गया  है । उक्त पार्टी से अलग होकर पार्टी उपाध्यक्ष रेणु यादव के नेतृत्व में ‘राष्ट्रीय समाजवादी पार्टी’ निर्वाचन आयोग में दर्ता के लिए निवेदन पंजीकृत की गई है ।



 

चर्चा है कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजपा) नेपाल बीच बुधबार रात में ही एकीकरण संबंधी सम्झौता होने की खबर सार्वजनिक होते ही नवगठित पार्टी ने भी ई–मेल मार्फत निर्वाचन आयोग में दल दर्ता के लिए निवेदन पंजीकृत की है । नव गठित पार्टी में रहे नेताओं का दावा किया है कि सभामुख अग्निप्रसाद सापकोटा को भी रात में ही इसके बारे में जानकारी दी गई है ।

दल विभाजन संबंधी नयां अध्यादेश जारी होते ही समाजवादी और राजपा के भीतर राजनीतिक गर्मी सिर्जना हुई थी । बुधबार दिनभर पार्टी विभाजन के लिए क्रियाशील रहनेवाले समूह के कारण समाजवादी और राजपा के शीर्ष नेता दवाब में पड़ गए थे । इधर पार्टी विभाजन के लिए क्रियाशील समाजवादी के एक समूह ने बुधबार रात में ही ई–मेल मार्फत निर्वाचन आयोग में पार्टी दर्ता के लिए निवेदन पंजीकृत किया है । स्मरणीय है, कुछ ही दिन पहले निर्वाचन आयोग ने ई–मेल मार्फत पार्टी दर्ता संबंधी नियम जारी किया गया था । इधर रात में ही समाजवादी और राजपा के बीच भी पार्टी एकता संबंधी घोषणा भी हो गई ।

बताया गया है कि समाजवादी से अलग होनेवालों ने रेणु यादव के नेतृत्व में नयां पार्टी निर्माण किया हैं । स्मरणीय बात यह है कि बुधबार दिनभर अशोक राई के नेतृत्व में नयां पार्टी निर्माण संबंधी चर्चा बाजार में आई थी । कहा जाता है कि नयां पार्टी में इस्तियाक राई वरिष्ठ नेता हैं । समाजवादी से अलग होनेवालों को एक मन्त्री और एक राज्यमन्त्री देने की तैयारी में ओली सरकार है । पर्सा निर्वाचन क्षेत्र नं. १ से निर्वाचित सांसद् प्रदीप यादव को मन्त्री बनाने के लिए लगभग सहमति हो चुकी है । नयां पार्टी निर्माण में क्रियाशील समूह का दावा है कि समाजवादी से कम से कम ८ से १० सांसद् नयां पार्टी में आने के लिए तैयार हैं ।

नयां परिस्थिति संबंधी जानकारी के लिए हिमालिनी ने सांसद् प्रदीप यादव से की गई टेलिफोन संपंर्क सफल नहीं हो सका । नव गठित पार्टी से आबंद्ध कहनेवाले अन्य नेताओं से भी संपर्क नहीं हो रहा है ।

इधर राजपा के भीतर ऐसी ही चर्चा है । कहा जाता है कि अध्यक्ष मण्डल के सदस्य रहे अनिल झा और राजकिशोर यादव राजपा से अलग होने की मनस्थिति में थे । लेकिन उन लोगों के पास बहुमत सांसद् ना होने के कारण कोई निर्णय नहीं कर पा रहे थे । ऐसी ही अवस्था में समाजवादी और राजपा के बीच पार्टी एकता संबंधी घोषणा हो गई है । लेकिन कानूनी रुप में इस एकता को मान्यता मिलेगी या नहीं ? प्रतीक्षा का विषय है ।

कहा जाता है कि राजपा से अलग होकर अगर नयां पार्टी बनती है तो उसको भी एक मन्त्री और उप–सभामुख देने की तैयारी सरकार ने की है ।



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