इसी तिथि पर राजा जनक के हल चलाते समय पृथ्वी माता से देवी सीता प्राप्त हुई थी
1 मई, को ही वैशाख शुक्लपक्ष की नवमी तिथि मनाया जाएगा। कल प्रातः 8:21 तक अष्टमी तिथि है और उसके बाद से नवमी हो जाएगा।इसी दिन सीता नवमी है। जानकी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इसी तिथि पर राजा जनक के हल चलाते समय पृथ्वी माता से देवी सीता प्राप्त हुई थी।
3 मई,वैशाख शुक्ल पक्ष एकादशी रोज रविवार को मोहिनी एकादशी है। इस व्रत के प्रभाव से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और व्रत करने वाले पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है। तथा पितरों को तृप्ति प्राप्त होती है।
5 मई,वैशाख शुक्लपक्ष के प्रदोष व्रत हर तरह के संकट दूर करने वाला होता है। इस बार ये व्रत मंगलवार को होने से भौम प्रदोष का संयोग बन रहा है। इस व्रत को करने से कर्जा और बीमारियों से छुटकारा मिलता है।
6 मई,वैशाख शुक्ल चतुर्दशी तिथि रोज बुधवार को भगवान नृसिंह रूप लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया और उसे मोक्ष प्रदान किया था।
7 मई,वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को ब्रह्मा जी ने श्वेत तथा कृष्ण तिलों का निर्माण किया था। इसलिए इस दिन सफेद और काले तिलों को पानी में डालकर स्नान करना चाहिए, अग्नि में तिलों की आहुति देकर शहद और तिलों से भरा हुआ मिट्टी का बर्तन दान देना चाहिए,
बेतिया, के अनुसार 24 अप्रैल से 7 मई तक वैशाख शुक्ल पक्ष का समस्त शुभ पुण्य कारक व्रत प्रभाव से राष्ट्र सहित सम्पूर्ण देश वासियों का सभी रोग शोक संकट समाप्त हो और वैशाख मास का सम्पूर्ण व्रत पर्व सबके लिए अत्यन्त पुण्य फल दायक हो।
आचार्य राधाकान्त शास्त्री, 9934428775,