हसीन लम्हों के घेरे___ बचपन की हसीन वादियों में छाई हो तुम : लालिमा घोष
हसीन लम्हों के घेरे___
लालिमा घोष
बचपन की हसीन वादियों में छाई हो तुम
प्रेरणा और अपनेपन का एहसास हो तुम
मौज मस्ती और अल्हड़पन में साथ निभाई हो तुम
दोस्ती और कट्टीश की धूप छांव में दिखी हो तुम
स्कूल की हर सीढ़ी को पार करते वक्त थी तुम
किताबों की झोली, कंधे पर लादे साथ चलती थी तुम
बाजार और चौक की गलियारों में साथ रहती थी तुम
गुडडे और गुड़ियों की शादी रचाने के खेल में थी तुम

न्यू ईयर की ठंडी शाम की पिकनिक में शामिल थी तुम
सरस्वती पूजा की पीली साड़ी में लिपटी थी तुम
स्कूल में झूले की जंजीरों को जकड़ी थी तुम
क्लास की छुट्टी की घंटी को सुन घर जाने की दौड़ में तुम
गर्मी छुट्टी को मजे के साथ बिताने में भी वही तुम
स्वतंत्रता दिवस की पैरेड में हिस्सा लेने में साथ तुम
फिल्मी गानों को सब एक साथ मिल गाने में माहिर तुम
26 जनवरी के मेले में छुपकर मस्ती में आगे तुम
सावन में हरी चूड़ी और मेहंदी में भी पास तुम
अरसों बाद फेसबुक में ढूंढा वही स्नेह फिर से तुम
वादा करो इस दोस्ती को यूं ही निभाएंगे हम और तुम
काजल लगा के इस प्यार को नजर उतारेंगे हम और तुम