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पाकिस्तान-प्रशासित कश्मीर में रहने वाली शगुफ्ता को जब ये पता चला कि उनके परिवार ने उनकी शादी किसी ब्रितानी से तय की है तो वो बहुत उत्साहित हुई थीं.



क्यों न हो. ब्रिटेन जाना और एक नई ज़िंदगी की शुरुआत से अच्छा और क्या होता.शगुफ्ता कहती है, ‘‘उस समय मैं बहुत खुश थी. मुझे लगा ब्रिटेन में ज़िंदगी बेहतरीन होगी. मुझे लगा कि मेरे पति बहुत अच्छे होंगे.’’

लेकिन ऐसा हो न सका. शादी के 11 साल बाद शगुफ्ता फिर एक बार मीरपुर में हैं और अपनी बच्ची की तस्वीर को सीने से लगाए रो रही हैं.

शगुफ्ता के अनुसार उनके पति ने उन्हें पाकिस्तान में छोड़ दिया और इकलौती बेटी को भी अपने साथ ले गए.शादी का बर्बादी

वो बताती हैं, ‘‘मेरे पति मुझसे बेहद बुरा बर्ताव करते थे. जब मैं ब्रिटेन पहुंची तभी से समस्या शुरु हुई. सास ससुर और पति सब साथ में थे. मेरे पति मुझे पीटते थे और मार डालने की धमकी देते थे. मुझे घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी.’’

शगुफ्ता अब अपनी एक साल की बच्ची को गले लगाकर रोती ही हैं.

शगुफ्ता बताती हैं कि उनकी बेटी की पैदाइश के बाद हालात और ख़राब हो गए.

बच्ची जब एक साल की हुई तो शगुफ्ता को ये कह कर पाकिस्तान लाया गया कि उनकी मां की मौत हो गई.

शगुफ्ता के अनुसार जब वो पाकिस्तान पहुंची तो उनके ससुराल वालों ने उनका पासपोर्ट छीन लिया और शगुफ्ता के भाइयों को बुलाकर शगुफ्ता को ले जाने को कहा.

जब बीबीसी ने ब्रिटेन में शगुफ्ता के पति से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया.

शगुफ्ता की कहानी कोई एक अकेली कहानी नहीं है. ब्रिटेन में वकील, चैरिटी संगठन और इस्लामाबाद में ब्रिटिश उच्चायोग के अनुसार ऐसी महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिन्हें उनके पति पाकिस्तान में छोड़े दे रहे हैं.’जबरदस्ती शादी’
औरंगजेब खान


मैं क्रूर नहीं कहूंगा इसे. मेरी शादी ज़बर्दस्ती हुई थी और मैंने इसका विरोध बाद में किया”

इस मुद्दे पर काम करने वाली संस्था रीयूनाइट डील के अनुसार 2012 में ही कम से कम ऐसे 20 मामले सामने आए हैं. संस्था की प्रमुख एन मैरी हचिनसन कहती हैं कि ये संख्या एक बहुत बड़ी समस्या का बस एक छोटा हिस्सा है.

वो कहती हैं, ‘‘असल में बहुत कम ही हैं जिन्हें मदद मिल पाती है. मुझे लगता है कि एक बड़ी संख्या है जिनसे कोई संपर्क नहीं कर पाता. जो ब्रिटेन में हैं वो तलाक के बाद गुजारा भत्ता पाती हैं लेकिन पाकिस्तान में तो कोई भत्ता भी नहीं मिल सकता.’’

वो बताती हैं कि जब किसी औरत को पाकिस्तान में छोड़ा जाता है तो आस पास का समाज भी औरत की मदद नहीं करता है.

ब्रिटेन में पैदा हुए पाकिस्तानी युवाओं पर दबाव होता है कि वो पाकिस्तान से पारंपरिक लड़की के साथ शादी करें लेकिन शादी के बाद परिवार के साथ दिक्कतें होती हैं क्योंकि आम तौर पर लड़कियां न तो अंग्रेज़ी बोल पाती हैं और न ही वहां के जीवन से तुरंत एडजस्ट कर पाती हैं.

ब्रैडफोर्ड के औरंगजेब खान कहते हैं कि जब उनकी शादी हुई (अपने ही दूर की एक रिश्तेदार से) तो उनके हाथ बंधे थे और वो कुछ नहीं कह पाए थे.

वो कहते हैं, ‘‘हम दोनों बिल्कुल अलग ते. मैं ब्रिटेन में पैदा हुआ हूं. यहीं मेरे दोस्त हैं.’’

पांच साल के बाद औरंगजेब ने अपनी पत्नी को छोड़ दिया. हालांकि बाद में औरंगजेब ने उन्हें अपने साथ फिर रखा.

वो कहते हैं, ‘‘मैं क्रूर नहीं कहूंगा इसे. मेरी शादी ज़बरदस्ती हुई थी और मैंने इसका विरोध बाद में किया.’’
बढ़ती समस्या

सादिया अब पाकिस्तान में रहने को मजबूर हैं और उन्हें कोई गुज़ारा भत्ता भी नहीं मिलता है.

बीबीसी की मुलाकात इसी बीच एक और लड़की सादिया से हुई. सादिया के अनुसार उन्होंने ब्रिटेन में तीन बच्चों को जन्म दिया.

वो कहती हैं, ‘‘जब बच्चे पैदा हो गए तो मेरे ससुराल वालों ने कहा कि उन्हें अब हमारी ज़रूरत ही नहीं है.’’

सादिया को छुट्टी मनाने के नाम पर पाकिस्तान लाया गया और फिर पाकिस्तान आते ही उनका पासपोर्ट छीन लिया गया.

सादिया के अनुसार उनके पिताजी ने उन्हें दोबारा शादी करने पर मज़बूर किया क्योंकि वो उसका खर्चा नहीं उठा पा रहे थे.

जब बीबीसी ने सादिया के पति से ब्रिटेन में बात की थी, तो उनका कहना था कि सादिया पागल है और वो अच्छी पत्नी नहीं थी.

ब्रिटेन में ये समस्या व्यापक पैमाने पर बढ़ रही है लेकिन इसे रोकने के कोई पुख्ता उपाय नहीं हो पाए हैं.



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