वनारस से प्रवेसिका परिक्षा पास किये हैं खिलराज रेग्मी ।
काठमाडू, १ चैत्र : खिलराज रेग्मी का जन्म पाल्पा जिल्ला के पोखराथोक गाविस वाड नम्बर ६ मे २००६ जेठ १७ गते को हुआ था । २०२८ साल मे सर्वोच्च अदालत मे शाखा अधिकृत के रुप मे न्याय सेवा मे प्रवेश करके रेग्मी २०३० फागुन १८ गते को जिल्ला न्यायाधीश हुये थे ।
जिल्ला न्यायधीश बनने के एक बर्ष मे ही वे राज पत्रांकित प्रथम श्रेणी के सरकारी कर्मचारी मे पदोन्नति पाकर उपरजिष्ट्रार बनगयें । ६ बर्ष अर्थात २०४८ साल तक वे उपरजिष्ट्रार का जिम्मेवारी सम्हालकर उसके बाद बिभिन्न पुनरावेदन अदालत मे न्यायाधीश रहकर प्रमुख न्यायाधीश बनगये ।देवानी संहिता उन्ही के नेतृत्व मे तैयार किया गया था ।
वे २०६४ मे ‘तराई मधेस घटना सम्बन्ध मे गठित उच्चस्तरीय न्यायिक जाँचबुझ समिति’ के अध्यक्ष भी थे । सर्वोच्च के तत्कालिन प्रधानन्यायाधीश रामप्रसाद श्रेष्ठ के उमेर के कारणले अनिवार्य अवकाश पाने के बाद २०६८ साल बैसाख २३ गते खिलराज रेग्मी प्रधानन्यायाधीश मे पदोन्नति हुये थे ।
त्रिभूवन विश्वविद्यालय से २०२८ साल मे स्नातकोत्तर करके रेग्मी ने कानुन मे भी स्नातक किया है ।
प्रधानन्याधीश रेग्मी के ही इजलाश ने इससे पहले संविधानसभा की तिथि मनपरी नही बढाने का भी फैसला किया था । सर्वोच्च के उसी फैसला के कारण संविधानसभा २०६८ जेठ १४ गते के बाद विघटन हो गया था ।
पिता ढुण्डिराज रेग्मी ज्येष्ठ पुत्र के रुप मे पैदा हुये खिलराज के दो भाइ और ४ बहने थी । स्थानीय नेपाल राष्ट्रिय जनता प्राथमिक विद्यालयमा प्रारम्भिक शिक्षा हासिल करके रेग्मी आगे का अध्ययन के लिये भारत के वनारस गयें ।
वनारस से प्रवेसिका परिक्षा पास करके वे फिर पोखराथोक ही वापस आये थे । त्यस के बाद भारत के उत्ततर प्रदेश से सन् १९६६ मे प्रमाणपत्र तह पुरा किये थे ।
रेग्मी २०२६ साल के आसपास स्थानीय विष्णु आवासीय विद्यालय मे करीब दो वर्ष प्रधानाध्यापक भी रहें । उनके व्दारा अध्यापन किया गया विद्यालय अभी विष्णु उच्च माध्यामिक विद्यालय के रुप मे सञ्चालित है ।
२०३२ साल मे शान्ता रेग्मी के साथ विवाह बन्धन मे बाँधें रेग्मी दो पुत्र और एक पुत्री के के पिता हैं । उनका एक पुत्र और एक पुत्री अभी अमेरिका मे है ।
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