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जानिए क्या है पारिजात पौधे का धार्मिक महत्तव ? आज लगेगा रामजन्मभूमि परिसर में पारिजात



परिजात के पौधे का धार्मिक महत्व है। इसके फूलों से भगवान हरि का श्रृंगार होता है। इस औषधिय पौधा हिमालय के नीचे के तराई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। आज भारत के पीएम मोदी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का भूमि पूजन करेंगे। इस दौरान पीएम मोदी श्रीराम जन्मभूमि परिसर में पारिजात का पौधा लगाएंगे। परिजात के पौधे के धार्मिक महत्व के कारण ही इसे भूमि भूजन कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है।

क्या है मान्यता: आज से हजारों वर्ष पूर्व द्वापर युग में स्वर्ग से देवी सत्यभामा के लिए भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा धरती पर लाए गए पारिजात वृक्ष की कथा प्रचलित है। यह देव वृक्ष समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ था। 14 रत्नों में यह एक विशिष्ट रत्न रहा है। सौभाग्य और हर्ष की बात यह है कि यह वृक्ष कुशभवनपुर (सुलतानपुर) की पावन धरती पर गोमती नदी के तट पर स्थित अतीत की अनोखी कहानी सुना रहा है। यह भी कहा जाता था कि इस पेड़ को छूने मात्र से इंद्रलोक की अपसरा उर्वशी की थकान मिट जाती थी। पारिजात धाम आस्था का केंद्र है। सावन माह में यहां श्रद्धालुओं का मेला लगता है। महाशिवरात्रि व्रत पर यहां कई जिलों से श्रद्धालु जल चढ़ाने पहुंचते हैं।

अधिकतर पारिजात का पेड़ 10 से 15 फीट ऊंचा होता कहीं, कहीं इसकी ऊंचाई 25 से 30 फीट भी होती है। इस पेड़ पर सफेद रंग के फूल आते हैं ।



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