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मैं उत्तराखंड के दिव्यांग खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलते हुए देखना चाहता हूं-हरीश चौधरी



पिछले दिनों हिमालिनी दिल्ली ब्यूरो प्रमुख एस.एस.डोगरा ने उत्तराखंड के अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ी एवं पैरा एथलीट हरीश चौधरी से वार्ता की. प्रस्तुत है बातचीत प्रमुख अंश
अपने जन्म, परिवार और पढाई के बारे में बताएँ?
मेरा जन्म 4 जनवरी,1983 को माता आशा रानी तथा पिता भगवान दास के घर रुद्रपुर ही में हुआ. मैंने कक्षा 5 तक की पढ़ाई सरस्वती शिशु मंदिर कक्षा 6 से इंटर तक की पढ़ाई जनता इंटर कॉलेज तथा बी.कॉम. कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल से किया.
अपने जीवन की खेल यात्रा पर प्रकाश डालिए.
मुझे बचपन से ही खेलों में रुचि थी सामान्य बच्चों की भांति मैंने भी कराटे अभ्यास गुरु जी मोहम्मद हसन खान जी के देखरेख में प्रारंभ किया. वर्ष 2014 में राष्ट्रीय पैरालंपिक प्रतियोगिता भुनेश्वर जिसमें एथलेटिक्स में लंबी कूद और गोला फेंक में तृतीय स्थान प्राप्त किया. सन 2017 जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में आयोजित राष्ट्रीय पैरालंपिक प्रतियोगिता में एक बार फिर गोला फेंक में तृतीय स्थान प्राप्त किया. राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कई पदक प्राप्त किए. दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए वर्ष 2017 में जिला स्तरीय एथेलेटिक्स प्रतियोगिता का आयोजन, स्पेशल ओलम्पिक भारत की जिला स्तरीय प्रतयोगिता का आयोजन, वर्ष 2018 में भारत, नेपाल एवं बांग्लादेश के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन वर्ष 2019 गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, एवं उत्तराखण्ड के बीच राष्ट्रीय व्हीलचेयर क्रिकेट प्रतियोगिता सहित अनेकों खेल प्रतियोगिताएँ सफलतापूर्वक आयोजित की. मैंने भारतीय दिव्यांग टीम के साथ बांग्लादेश का दौरा किया. वहीँ भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम की उप कप्तानी करते हुए काठमांडू नेपाल में आयोजित भारत एवं नेपाल के बीच तीन मैचों की श्रृंखला में 3-0 से विजय भी प्राप्त की.
जीवन के अनमोल क्षण
वर्ष 2015 में हरीश रावत जी (तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तराखंड) द्वारा खेल राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके जबकि अलावा वर्ष 2019 खेल मंत्री अरविंद पांडे जी ( वर्तमान उत्तराखंड सरकार) द्वारा दिव्यांग खेलों विकास कार्यों के उल्लेखनीय योगदान के लिए ₹50000 पुरुस्कार राशि मिलना तथा मेरे जीवन पर बनी बायोपिक फिल्म ““उत्तराखंडी वॉरियर्स” मेरे जीवन के यादगार लम्हे रहे हैं.
आपका सबसे अधिक पसंदीदा खिलाडी-जिससे आप मिलना चाहते हैं?

क्रिकेट के भगवान भारत रत्न सचिन तेंदुलकर एवं अर्जुन अवॉर्डी पैरालंपिक एथलीट दीपा मलिक
कुछ खास नाम जिन्होने हमेशा आपका मनोबल बढाया.
माता पिता एवं परिवार के सभी सदस्यों का भरपूर सहयोग मिला. वहीँ कोच मोहम्मद हसन खान, हारून रशीद, एसएस डोगरा, भारत भूषण चुघ, जेबी सिंह, डॉ नागेंद्र प्रसाद शर्मा, सुभाष अरोरा, मेयर रामपाल सिंह, वन विकास निगम अध्यक्ष सुरेश परिहार,खेल उत्तराखंड सरकार अरविंद पांडे, पूर्व सांसद बलराज पासी, शोभित राय, राजेंद्र सिंह, उमा जोशी इन सभी लोगों की प्रेरणा से ही इस मुकाम तक पहुंचा हूं.
आपके द्वारा विकसित कुछ खिलाडी-जो राष्ट्रीय अथवा अंतराष्ट्रीय स्तर पर नाम कर चुके हैं
अर्जुन अवॉर्डी मनोज सरकार, शरद जोशी, निर्मला मेहता, प्रेमा विश्वास, धन सिंह कोरंगा, दिग्विजय सिंह, धनवीर, रेखा मेहता, नीलिमा राय, सुबोध कुमार,कमल जादे, दीपू राणा, नेहा सक्सैना, अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा कर आगे बढ़ाने में योगदान दिया.
आपका नाम उत्तराखंडी वारियर्स कैसे पडा।
ये बड़ा दिलचस्प किस्सा है, सन 2018 में मेरे खेलों के प्रति लगन एवं उपलब्धियों से प्रभावित होकर वरिष्ठ खेल पत्रकार एसएस डोगरा जी ने मुझ पर “उत्तराखंडी वॉरियर्स” बायोपिक बनाई जो संयोगवश देहरादून इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बड़े परदे पर स्क्रीनिंग के बाद विवेक वासवानी, सुरेन्द्रपाल एवं उत्तराखंड सरकार में केन्द्रीय मंत्री हरक सिंह रावत जी द्वारा पुरुस्कृत भी हुई. इस फिल्म को खूब मीडिया सुर्खियां मिली. और तभी से लोग मुझे उत्तराखंडी वॉरियर्स के नाम से पुकारने लगे.
दिव्यांग खिलाडियों के लिए विशेष सन्देश
देखिए दिव्यांग खिलाडियों को नार्मल खिलाडियों से अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है लेकिन यदि आपने जीवन में कुछ विशेष करना है तो विपरीत स्थितियों में भी बेहतर देने का प्रयास करें. आत्म निर्भर बनने का प्रयास करें. अपने आसपास खेल कैंप-प्रतियोगिता आयोजनों में बढचढ कर हिस्सा लें. अपनी फिटनेस एवं खेल कौशल पर नियमित रूप से अभ्यासरत रहें.
आपकी क्या अभिलाषा है ?
मैं उत्तराखंड के दिव्यांग खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलते हुए देखना चाहता हूं इसके लिए मैं एक खेल स्टेडियम का निर्माण करना चाहता हूं जिसमें रहकर दिव्यांग खिलाड़ी अपना खेल अभ्यास भी कर सकें और देश के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिभाग कर पदक अर्जित करें.



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