भारत अमेरिका संबंधों के बढ़ते कदम ? : रूचि सिंह
रूचि सिंह …….अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद नतीजे के लिए जिस तरह.से संसद में हाय तौबा का माहौल बना उससे लग रहा था कि भारत अमेरिका संबंधों पर भी कही गाज़ न गिरे क्योंकि भारत अमेरिका के लिए एक बहुत बड़ा आर्थिक सेक्टर भी बन सकता है।बरहाल जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनते ही सारी अटकलें खारिज होती चली गई है?गौरतलब है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नतीजे को लेकर पूर्व राष्ट्रपति डाँनाल्ड ट्रपं का जिद्दी हठ उभर कर सामने आया है।उससे अमेरिका किया छवि क्यों ना धूमिल पड़ गई हो पर इसे संभालने की जिम्मेदारी नये राष्ट्रपति जो बाइठेन के कंधों पर पड़ गया है। काबिलेगौर हैकि अमेरिका को महान बनाने का नारा देकर डानल्ड ट्रपं ने जो तुरप की चाल चली वह नाकाम हो गई।वजह बनी राष्ट्रपति के.सिहासन पर बैठतें ही ट्ंप खुद को अमेरिकी लोकतंत्र के नियमों और संस्थाओं से उपर समक्षने लगे थे।डाँनाल्ड ट्ंप को जैसे ही पता चला कि वह राष्ट्रपति चुनाव में अपनी पराजय निश्चित कर चुके है? वह बखौला गये मतदाताओं का फैसला मानने से इंकार कर दिया।लिहाजा जिस दिन चुनाव नतीजों पर संसद की मोहर लगनी थी उसीदिन डानल्ड ट्रंप के अंधभक्तों ने संसद में घुस कर जो उत्पात मचाया वह अमेरिकी इतिहास में काले पन्ने के रुप में हमेशा हमेशा के लिए दर्ज हो गया है।ट्रंप अपने एक ही कार्य काल में दो बार महाअभियोग के चक्रव्यूह में फंस गए है।
फिलवक्त विश्व में लिबरल राजनीतिक धाराओं का चलन ऐसे हुल्लड़ बाजों की ताकतों पर लिपापोती करने का चलन बनता ही जा रहा है।इसके बावजूद अमेरिकी संसद ने ट्रंप के उपर महाअभियोग लगा कर यह साबित कर दिया है कि अमेरिकी संवैधानिक ढांचा किसी राजनीति का मोहरा नहीं है जो शह और मात की जद में हो? अमेरिकी लोकतांत्रिक व्यवस्था में दंगा करने वाले और कराने वालों के लिए लक्ष्मण रेखा है. ट्रंप की तुकलदी अदा तभी सामने आ गई जब पेरिस जलवायु समक्षौते से वह खुद यह कहते हुए वाक आउट हुए कि यह समक्षौता पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने किया था। काबिलेतारीफ है कि अमेरिकी इतिहास में सबसे बुजुर्ग जो बाइडेन ने 46 वे राष्ट्रपति का ताज बाइडेन बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहने के दौरान उस समय यह उप राष्ट्रपति थे।डानल्ड ट्रंप के चलते बेशक 152 साल की परंपरा क्यों ना टूट गई हो।वजह बनी ट्रंप का नये राष्ट्रपति के शपथग्रहण समारोह में शामिल नहीं होना।यह अमेरिका के इतिहास में नया चेप्टर बन गया है। 1937 से ही 20 जनवरी को ही राष्ट्रपति के शपथ लेने की पद्धति चली आ रही है।जो बाइडेन ने 2008 में भारत अमेरिका पर परमाणु समक्षौते को पास कराने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।उस वक्त बराक ओबामा भी हिचकचा रहे थे। बाइडेन ने डे्मोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों से बात करके इस मुद्दे को सुलझाया था।2006 में अमेरिका भारत संबंधों पर अपना दृष्टिकोण रखते हुए कहा था कि मेरा सपना हैकि 2020 मेंभारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया के दो सबसे करीबी देश होगे।डेलोवेयर राज्य में लगभग तीन दशकों तक सीनेटर के पद पर रहने वाले जो बाइडेन शुरू से ही भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने के पक्षधर रहे है।काबिलेगौर है कि डानल्ड ट्रंप प्रशासन ने विगत में भारतीय आईटी पेशेवरों को एक बड़ा क्षटका देते हुए एच.1बी.वीजा एंव विदेशी कार्य वीजा को 2020 तक निलंबित कर दिया था।जो बाइडेन ने 20भारत वंशीयो को अपने साथ रख कर यह तो बता दिया कि भारत के साथ उनकी आत्मियता है।पहले दिन ही इमिग्रेशन प्रणाली को उदार बनाया. इससे हजारों भारतीय आई.टी.पेशवरो को लाभ होगा।अतःभारत को फंडिंग और टेक्नोलॉजी शेयरिंग के अवसर हासिल होने की पूरी पूरी संमभावना है। इसके वाबजूद भी जो बाइडेन का नजरिया चीन .पाकिस्तान और कश्मीर मुद्दे पर क्या होगा यह समक्षना होगा? सवाल यह पैदा होता. हैकि जो बाइडेन भारत अमेरिका संबंधो की डोर को कहा तक ले जायेंगे।…
.
.रुचि सिंह(वरिष्ठ पत्रकार)