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माघी पूर्णिमा के दिन खुद भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं।

जब कर्क राशि में चन्द्रमा और मकर राशि में सूर्य प्रवेश करते हैं, तब माघ पूर्णिमा का पवित्र योग बनता है। इस वर्ष यह 27 फरवरी को है। ब्रह्मवैवर्त पुराण, पद्मपुराण और निर्णयसिंधु में कहा गया है कि माघी पूर्णिमा के दिन खुद भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। अत: इस पावन दिन मान्यता है कि गंगा जल के स्पर्श मात्र से समस्त पापों का नाश हो जाता है। ज्योतिषीय आकलन के अनुसार, इस योग में स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है। इसीलिए सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए माघी पूर्णिमा का स्नान बहुत फलदायी माना जाता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना और उत्तम गति प्रदान करता है।

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शास्त्रों में कहा गया है-मासपर्यन्त स्नानासंभवे तु त्रयहमेकाहां वायात् अर्थात् जो मनुष्य स्वर्गलोक में स्थान पाना चाहते हैं, उन्हंे माघ मास में सूर्य की मकर राशि में स्थित होने पर तीर्थ स्नान अवश्य करना चाहिए। इस दिन स्नान-दान करते समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: का जाप अवश्य करें। यह भी माना जाता है कि इस दिन सभी देवता पृथ्वी पर आकर प्रयाग में स्नान, दान करने के साथ-साथ मनुष्य रूप धारण करके भजन, सतसंग आदि करते हैं और माघ पूर्णिमा के दिन सभी देवी-देवता अंतिम बार स्नान करके अपने लोकों को प्रस्थान करते हैं।

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इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करने का विशेष महत्व है। कल्पवासी क्षौरकर्म, मुंडन आदि के बाद विधि-विधान से गंगा स्नान कर सत्यनारायण की पूजा करते हैं। यथाशक्ति दान करें। कंबल, कपास, गुड़, घी, मोदक, छाता, फल और अन्न आदि दक्षिणा दी जानी चाहिए। इस दिन पितरों का श्राद्ध-तर्पण करने की भी परंपरा है। इससे सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। विष्णु भगवान की पूजा में केला पत्ता, पंचामृत, सुपारी, पान, शहद, मिष्ठान, तिल, मौलि, कुमकुम, दूर्वा का उपयोग अवश्य करें

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