राम ही राम मेरा उपक्रम : गोलोक विहारी राय
*राम ही राम मेरा उपक्रम*
सीधा सा मेरूदंड हूँ
अगरबत्ती की गंध हूँ
मैं अभय हूँ
मैं अजय हूँ
मैं रैदास की
कठौती की गंगा हूँ
ममता समता के हितार्थ
मैं भक्ति का छंद हूँ
मैं निष्ठा का अनुबंध हूँ
श्रम में राम
राम में श्रम
राम ही राम
मेरा उपक्रम
वे जल से नहा कर
केवल स्वच्छ होते हैं
मैं पसीने से नहा कर
पवित्र होता हूँ
मैं कर्मशील,
मैं चर्मशिल्पी
चर्म मेरे जीवन का सच
विराग-पुष्प का पराग हूँ
दलितों का महाभाग हूँ
अस्पृश्यता मेरी नहीं
उनकी समस्या है
जिनका मन आज भी
पूर्णिमा में अमावस है !
कल मैं कमांच था,
आज मैं पलाश हूँ,
मैं प्रणत रविदास हूँ
मैं प्रणत रविदास हूँ।
* कमांच — अति मुलायम (एक प्रकार का रेशमी वस्त्र )
* पलाश – कठोर हृदय (पवित्र)