भाषा आंदोलन, संस्कृति और साहित्य का अनूठा संगम केंद्र रहा चौथा राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव
परमशिला बनिया, (समीक्षा) । भगवानपुर हाट: भोजपुरी भाषा आंदोलन को समर्पित चौथा राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव की शुरुआत 12 मार्च को ग्रामीण परिवेश के परिधान, बाज, संस्कृति ,संस्कार ,झांकी, हाथी, घोड़ा और बैंड बाजों के साथ स्थानीय प्रखंड मुख्यालय के 2 किलोमीटर के परी क्षेत्र में भ्रमण कर लोगों को जागृत करने के साथ शुरू हुआ। इस रंग जुलूस में सैकड़ों की संख्या में समिति और स्थानीय लोग धोती कुर्ता और गमछा, एक परिधान में दिखें ।वही रंग जुलूस में शामिल ढेकी से पटौनी आकर्षण का केंद्र रहा । पुराने जमाने में एक परिवार से दूसरे परिवार तक संदेश पहुंचाने और उसके साथ शगुन की रस्म को पूरा करने के लिए बहंगी और कहार मानो लोगों को उनके पुराने समय में लेके चला गया हो , दूसरी तरफ भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर के आदम कद प्रतिमा उनके सामाजी के साथ लोगों के सेल्फी का केंद्र रहा है । रंग जुलूस सामाजिक ताना-बाना को जोड़ने का काम किया और भोजपुरी भाषा आंदोलन में लोगों कोे जुड़ने के लिए प्रेरित किया। इसमें स्थानीय प्रतिनिधि सामाजिक कार्यकर्ता और भोजपुरी के अनेक सिपाही जो बिहार के अनेक जिलों से इस सम्मेलन में शिरकत करने आए थे, ने हिस्सा लिया।
महोत्सव के दूसरे दिन भोजपुरी परंपरा और संस्कृति से सजी विभिन्न प्रकार के स्टॉल का उद्घाटन स्थानीय सांसद श्री जनार्दन सिंह सिग्रीवाल के द्वारा किया गया ।लगभग 20 की संख्या में बनी इंस्टॉल में पुराने अनाज चीना,सवा, कोदो, माल टांगउन, मडुआ सहित दर्जनों अनाज लोगों के प्रदर्शन के लिए लगाए गए थे ।वही पुराने कृषि संयंत्र, परिधान, मिट्टी के बर्तन, पुराने सिक्के ,प्रकाश के लिए उपयोग किए जाने वाले बत्ती, घरेलू उपयोग की पुराने समान और खानपान में पुराने चीजों के स्टालों ने ग्रामीण परिवेश के युवा महिला और बच्चों को अपनी तरफ खूब आकर्षित किया ।कुछ लोग इसे संस्कृति की धरोहर के रूप में सजोने की बात करते रहें, तो कुछ लोग इसे बच्चों के जानकारी का एक अच्छा साधन बताएं जबकि विदवत समाज भोजपुरी भाषा और शब्द संरक्षण के दृष्टिकोण से ऐसे प्रदर्शनी को सराहते हुए कहा कि यह भाषा को समृद्ध और सशक्त करने के लिए एक उपयुक्त साधन है इन प्रदर्शनों में कृषि विज्ञान केंद्र औषधीय पौधों पुस्तक प्रदर्शनी आदि ने एक अनोखी दृश्य को प्रदर्शित किया जहां युवा और जिज्ञासु लोग हमेशा देखे गए। मूर्तिकार जितेंद्र के द्वारा बनाए गए भिखारी ठाकुर की मूर्तियां और अन्य मूर्तियां मेला और प्रदर्शनी में मुख्य रूप से सेल्फी और फोटो लेने का जगह रहा वैसे तो सभी पुराने सामान का फोटो दर्शकों ने खूब अपने मोबाइल में बटोरा। मुख्य मुख्य कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए माननीय सांसद सिकरवार ने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए लोगों के बीच लोकसभा में पुरजोर ढंग से आवाज उठाने की बात कही जिससे लोगों ने पूरे जोश के साथ समर्थन दिया कार्यक्रम में मुख्य रूप से समिति के सदस्यों के साथ संयोजक डॉ उमाशंकर साहू अध्यक्ष हरेंद्र सिंह स्वागत अध्यक्ष श्री अनिल कुमार गुप्ता सचिव संजय शर्मा महासचिव अब्दुल कादिर उपाध्यक्ष प्रशांत कुमार सिंह मुन्ना चौधरी सुदामा सिंह प्रदीप कुमार मुन्ना गुप्ता प्रदीप शर्मा मनोज शर्मा सहित अनेक लोग और स्थानीय जनप्रतिनिधि श्री उपेंद्र सिंह जिला जदयू के अध्यक्ष श्री उमेश ठाकुर कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ शेखर पांडे वरिष्ठ समाजवादी नेता श्री अभिषेक सिंह पवन तिवारी मुख्य सचेतक श्री अजीत सिंह, कृष्ण मोहन सिंह और अनेक देश भोजपुरी क्षेत्रों के साहित्यकार कवि ,गीतकार और भोजपुरी भाषा आंदोलन से जुड़े लोग शामिल हुए। इस अवसर पर वार्षिक पत्रिका रंग रूप का चौथा अंक लोक अर्पित किया गया।
उद्घाटन के बाद पहले सत्र म मैं लोक अर्पित पत्रिका रंग रूप के विशेष अंक भोजपुरी प्रदेश के मेला पर समीक्षा प्रो सुखदेव प्रसाद के अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस सत्र का संचालन प्रोफेसर अशोक प्रियंबद ने किया और बीज वक्तव्य डॉ जनार्दन सिंह ने प्रस्तुत किया। इसमें भाग लेने वाले मुख्य वक्ता जनक देव जनक मुन्ना लाल शास्त्री डॉ कुमार कौशल डॉ आदित्य कुमार अंशु फतेह चंद बेचैन जितेंद्र स्वाध्याय वीरेंद्र मिश्रा अभय साहित्य अन्य लोग रहे। सभी भक्तों ने वक्ताओं ने भोजपुरी प्रदेश में लगने वाले महलों की प्रासंगिकता उपयोगिता आर्थिक प्रभाव धार्मिक और सामाजिक उद्देश्य सहित अन्य पक्षों को को रखा और पत्रिका को एक उच्च श्रेणी के संग्रह के लिए संपादक और संपादक मंडल को धन्यवाद दिया गया।
दूसरे सत्र में भोजपुरी भाषा एवं साहित्य से भोजपुरी शब्दों के बिलईला के असर विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता वीरेंद्र मिश्रा अभय तथा संचालन मुन्ना लाल शास्त्री ने किया। इस सत्र के मुख्य वक्ता श्री चंदेश्वर परवाना गोरखपुर ने भोजपुरी भाषा एवं साहित्य से विलुप्त हो रहे शब्दों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा की अनेक ऐसे भोजपुरी के शब्द है जिन के स्थान पर दूसरे भाषा के शब्दों का उपयोग समाजिक संस्कृति और आने वाले पीढ़ी के लिए घातक है। बाबूजी के जगह डैड नाई माई के जगह मॉम और दीदी भैया के जगह सिस और ब्रो जैसे शब्द हमें अप संस्कृत कर रहे हैं और आने वाले समय में नैतिकता की ओर ले जाएंगे इससे हमें बचना होगा और भोजपुरी के शब्दों को सही ढंग से उपयोग में लाकर इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है। अन्य वक्ताओं ने भी भोजपुरी के शब्दों के संरक्षण और उपयोग पर अपनी-अपनी दृष्टिकोण से इसके समर्थन में बातें रखें हालांकि कुछ वक्ताओं ने भोजपुरी को बढ़ाने के लिए आधुनिक शब्दों के साथ सहयोगात्मक रवैया रखते हुए आगे बढ़ाने की बात की । संध्या समय में भोजपुरी परंपराओं से सजी लोकगीत लोकगीत और सुगम संगीत के माध्यम से विभिन्न कलाकारों ने भोजपुरी लोक कलाओं की छटा बिखेरी। सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर हरेंद्र सिंह ने अपने उद्बोधन उद्बोधन के साथ शुरू किया। संगीत शिक्षिका मीरा मिश्रा ने शारदा सिन्हा के गीतों को प्रस्तुत कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया वही भगवानपुर हाट प्रखंड के ग्रामीण परिवेश की होली ने पारंपरिक होली की याद दिलाते हुए अखिलेश रस्तोगी एंड टीम ने लोगों का मनोरंजन किया। मालिनी अवस्थी और अन्य लोक गीतों की प्रस्तुति अमित कुमार टीम लक्ष्मी कुमारी सत्यम कुमार ने किया संगीतज्ञ सुदामा सिंह पटेल ने अपने पूर्वी से महेंद्र मिश्र और भिखारी ठाकुर को श्रद्धांजलि दी।
तीसरे दिन के कार्यक्रम में पहला सत्र भोजपुरी भाषा और संवैधानिक लड़ाई के ऊपर भोजपुरी प्रदेश के विभिन्न जीरो से आए हुए उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश दिल्ली बिहार के विद्वानों के द्वारा प्रस्ताव परिचर्चा और उसका अनुमोदन किया गया। इसमें पारित प्रस्ताव मैं कहां गया की भोजपुरी को प्रारंभिक विद्यालय से स्नातकोत्तर तक की कक्षाओं में पढ़ाई जाए।भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल की जाए और साथी इसे सरकारी कार्यालयों के कामकाज की भाषा बनाई जाए। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉक्टर हरेंद्र सिंह ने किया जबकि संचालन डॉ उमाशंकर साहू ने किया राष्ट्रीय पर चर्चा में जनार्दन सिंह चंदेश्वर परवाना बृजमोहन अनारी फतेह चंद बेचैन प्रोफेसर सुखदेव प्रसाद प्रोफेसर केके द्विवेदी सहित दर्जनों लोगों ने हिस्सा लिया और प्रस्ताव को पारित कर समापन समारोह में आए बिहार सरकार के मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री बिहार को स्मार पत्र सौंपा गया यह स्मार्ट पत्र मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश राज्यपाल उत्तर प्रदेश राज्यपाल बिहार मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश राज्यपाल मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल गुजरात को भी संप्रेषित किया जाएगा।
इसके बाद दूसरे सत्र में भोजपुरी भाषा और साहित्य के विकास में अखिल भारतीय साहित्य परिषद की भूमिका पर गोष्ठी आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता श्री जनार्दन सिंह ने किया जबकि बीज वक्तव्य दिवाकर राय बेतिया के द्वारा दिया गया इस सत्र में मुख्य रूप से अखिल भारतीय साहित्य परिषद के द्वारा किए जा रहे हैं विभिन्न प्रकार के आंचलिक और क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के साथ भोजपुरी के विकास के लिए उठाए गए सकारात्मक पहलुओं पर चर्चा की गई मुख्य वक्ता दिवाकर राय ने साहित्य परिषद को भारत की ऐसी संस्था बताया जिसमें क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण के लिए पूर्णता योगदान देने की बात कही गई है। संचालन बिहार प्रांत के संगठन मंत्री डॉ अशोक सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन बिहार प्रदेश के श्री संजय सिंह ने ने किया इस सत्र को डॉ उमाशंकर साहू डॉ कुमार कौशल विश्वनाथ शर्मा आदि ने संबोधित किया।
राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव के इस आयोजन में तीसरे सत्र के दौरान कवि सम्मेलन आयोजित किया गया जिसकी शुरुआत डॉ कन्हैया लाल गुप्ता के सरस्वती वंदना से शुरू हुआ। सुनेश्वर कुमार निर्भय की कविता कविता ‘५ साल भाई हो पेड़ के खा गई ल,फेरु तू आ गई ल,’ ज्ञानेश्वर गुंजन के व्यंग्यात्मक कविता’ बचल कुचल ले गईल पानी बलम हम अलार्म प्रधानी’ने लोगों को व्यंग्य चरम पर स्पर्श कराया वही उत्तर प्रदेश के कवि बृजमोहन आर्य ने अपने ग्रामीण परिवेश के दर्द के गीतों के माध्यम से लोगों को मार्मिक अनुभूति दिलाई कवि और गीतकार चंदेश्वर परवाना नेम तो श्रृंगार की इस कविता को कि लबरेज होके का भईल, ने लोगों को खूब भाया हास्य सम्राट और टीवी के कवि बादशाह प्रेमी प्रेमी ने कुकुर भोज से लोगों को खूब हंसाया इस अवसर पर मुन्ना लाल शास्त्री के हम ना जाने कईसन बिहान गुरुजी ने गरीबी और शिक्षक के बीच के बच्चों के चरित्र का चित्रण किया कवि सम्मेलन की अध्यक्षता श्री वीरेंद्र में अभय ने किया जबकि संचालन डॉ उमाशंकर साहू ने किया इस अवसर पर लोहा सिंह बाजोर विक्रमा पंडित शंभू शरण शंभू नाथ यादव शरण शुभम सहाय रेखा कुमारी शुभ नारायण सिंह शुभ दीपक कुमार गुरचरण गुरु श्याम देव श्याम सत्येंद्र सूक्ष्मदर्शी सहित अनेक कवियों ने काव्य पाठ किया।
अंतिम सत्र में सम्मान और समापन का दौर रहा राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव के द्वारा प्रतिवर्ष दिए जाने वाले विशेष सम्मान में प्रो बच्चू पांडेय साहित्य सम्मान श्री चंदेश्वर परवाना गोरखपुर को दिया गया रघुनाथ सिंह विसराद सम्मान दिवाकर राय बेतिया और दमदार भाई कभी सम्मान बादशाह प्रेमी स्वतंत्रता सेनानी स्वर्ण लता देवी सम्मान जनार्दन सिंह देवरिया और बैजनाथ प्रसाद विभाग कर साहित्य सम्मान प्रदीप भोजपुरिया टाटानगर को समर्पित किया गया। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष विभिन्न क्षेत्रों के भोजपुरी साहित्यकार कवि गीतकार और सामाजिक कार्यकर्ता को दिया जाता है इस पुरस्कार को बिहार सरकार के माननीय स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडे के हाथों सभी सम्मानित अतिथियों को दिया गया। इसके साथ इस सम्मेलन में शामिल सभी लोगों को मोमेंटो सौल और पुस्तकों से सम्मानित किया गया। समापन समारोह में समिति के सदस्यों के द्वारा डॉक्टर नरेंद्र सिंह और डॉ उमाशंकर साहू के नेतृत्व में अपने मांग के प्रति को माननीय बिहार सरकार के प्रतिनिधि श्री मंगल पांडे जी को दिया गया। इस अवसर पर बोलते हुए बिहार सरकार के मंत्री श्री मंगल पांडे जी ने कहां की माननीय नरेंद्र नरेंद्र मोदी भोजपुरी को और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के पक्षधर है और क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं इसलिए इ कहल जा सकता कि भोजपुरी के जल्दी है संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर लेवल जाई। सम्मान और समापन सत्र की अध्यक्षता डॉक्टर नरेंद्र सिंह ने किया जबकि संचालन अब्दुल कादिर ने किया।
अंत में पंकज सोनी सुदामा सिंह और भोजपुरी के लोक कलाकार फिल्म जगत के बड़े गायक श्री गोपाल राय के गीतों ने लोगों को रात्रि पढ़ तक खूब जमाया।कार्यक्रम की समाप्ति गोपाल राय के होली गीतों के माध्यम से हुआ।
कुल मिलाकर यह कहा जाए राष्ट्रीय भोजपुरी महोत्सव का यह चौथा आयोजन भोजपुरी आंदोलन के दिशाएं कुछ कमियों को छोड़ते हुए अपने विशेषताओं के लिए ज्यादा जाना जाएगा और भोजपुरी आंदोलन भाषा साहित्य के विकास में मील का पत्थर साबित होगा इस सफल आयोजन के लिए आयोजक मंडल को सहयोग करने वाले को भोजपुरी भाषी के चित्र में होने वाले उत्सव करता को बहुत-बहुत बधाई दिया जा सकता है । रिपोर्ट
परमशिला बनिया