नेपाल में शांति प्रक्रिया में और देरी
नेपाल की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के बीच शांति प्रक्रिया को लेकर सहमति नहीं बनी है और दशहरा के कारण इस प्रक्रिया को और आगे बढ़ा दिया गया है.
हालांकि प्रधानमंत्री बाबूराम भट्टराई के एक सहयोगी ने कहा है कि प्रधानमंत्री शांति प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक नए एक्शन प्लान पर काम कर रहे हैं.
भट्टराई के मुख्य निजी सचिव गंगा श्रेष्ठा ने बीबीसी से कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री इस दिशा में पूरी ईमानदारी और ज़ोर शोर से काम कर रहे हैं’’
श्रेष्ठा के अनुसार नई कार्य योजना अगले हफ्ते तक लोगों के सामने पेश कर दी जाएगी.
वैसे कम ही लोगों को लगता है कि नेपाल की आपस में झगड़ते रहने वाली पार्टियों के बीच शांति योजना पर भी जल्दी समझौता हो सकेगा.
इतना ही नहीं माओवादी दलों के व्यवहार पर भी लोग शंकित हैं कि वो नवंबर में खत्म हो रही संविधान सभा की अवधि से पहले शांति योजना को लागू करने के लिए राज़ी होंगे.
माओवादी पार्टियां पूर्व में भी उन समझौतों को लागू नहीं करने के लिए जानी जाती हैं जिन पर वो सहमत हुई हों.
भट्टराई 28 अगस्त को प्रधानमंत्री बने थे और उनकी यूनाइटेड कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल ने कहा था कि 45 दिनों में शांति प्रक्रिया के मूल कार्य पूरे कर लिए जाएंगे.
हालांकि अभी तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं दिख रही है.
माओवादी पार्टियों के अलावा नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल जैसे विपक्षी दलों के बीच भी सहमति नहीं बन पाई है.
विभिन्न दलों के बीच मुख्य रुप से इस बात पर सहमति नहीं बनती है कि उन माओवादी लड़ाकों का क्या होगा जो इस समय हथियारबंद हैं. उन्हें सुरक्षा बलों में शामिल किया जाए या नहीं.
ऐसे लड़ाकों की संख्या क़रीब 19000 है और इनके भविष्य पर सहमति नहीं बनने से शांति प्रक्रिया अधर में है.
इस शांतियोजना के पूरा नहीं होने के कारण संविधान बनाने की प्रक्रिया को भी नुकसान हो रहा है.B B C Hindi