भावनाओं से भरी फिल्म है ‘जय हो’, देखने को मिलेगी सलमान की जिंदादिली
सोहल खान निर्देशित सलमान खान अभिनीत ‘जय हो’ दर्शक को अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के घोषणा-पत्र सी लग सकती है, क्योंकि उसमें नायक संदेश देता है कि हर आम आदमी अपने जीवन में कम से कम तीन जरूरतमंद लोगों की सहायता करे तो अच्छाई की एक विराट श्रृंखला बन सकती है। हकीकत यह है कि अरविंद के राजनीति में आने के अर्से पहले सन 2006 में दक्षिण के सुपर सितारे चिरंजीवी ने राजनीति में प्रवेश करने के लिए एक फिल्म को अपने सिनेमाई घोषणा-पत्र की तरह गढ़ा था, उसी से प्रेरित है जय हो।
उन्होंने युवा लेखक निर्देशक मुरगदास को इस फिल्म के लिए अवसर दिया था- फिल्म का नाम ‘स्टालिन’ था। ज्ञातव्य है कि इसी मुरगदास ने ‘स्टालिन’ से ‘तपाकी’ तक अनेक सफल फिल्में बनाई हैं। आमिर खान अभिनीत ‘गजनी’ भी उन्हीं की फिल्म थी। यह भी गौरतलब है कुछ वर्ष पूर्व हॉलीवुड की एक कम बजट की दूसरे दर्जे की फिल्म ‘पेयिंग फॉरवर्ड’ में नायक तीन जरूरतमंदों की सहायता करता है और उनसे कहता है कि शुक्रिया कहने से बेहतर है कि वे भी अपने जीवन में कम से कम तीन मजबूर लोगों की सहायता करें।
दरअसल ये तीनों फिल्में आम आदमी को अच्छाई का एक मंच दे रही हैं क्योंकि दुनिया के इतिहास के हर कालखंड में अच्छे लोगों की संख्या बुरे लोगों से ज्यादा ही होती है परंतु वे अपनी अच्छाई में डूबे रहते हैं और उनके पास कोई मंच भी नहीं है। यह फिल्म संदेश देती है कि किसी राजनीतिक मंच की आवश्यकता नहीं है और किसी भव्य तामझाम या प्रचार तंत्र की भी जरूरत नहीं है, केवल कम से कम तीन जरूरतमंदों की मदद करके इसकी श्रृंखला खड़ी कर दें।
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