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नवीन कुमार नवल/सीतामढ बिहार: विश्व का सबसे बडÞा लोकतन्त्र पर्व २०१४ के लोकसभा चुनाव में भारत के प्रधानमंत्री पद के लिए जो कवायद शुरु है, वो राह आसान दिख नहीं रही है ।
मिडिया से लेकर जनसभा की रैली को देखने पर यह स्पष्ट लगता है कि प्रधानमंत्री के दौर में नरेन्द्र मोदी सबसे आगे हैं, और दूसरे स्थान पर राहुल गाँधी हैं, वहीं दोनांे का खेल बिगाडÞने के लिए अरविन्द केजरीवाल झाडÞू लेकर पीछे पडÞे हुए हैं, और कह रहे हंै, जाओ तुम चाहे जहाँ झाडÞू लेकर रहंेगे हम वहाँ । वैसे देखा जाय तो सभी बडÞी पार्टर्ीीें टिकट बटवारे में नियम कानून को ताक पर रखकर काम किया गया है । हर पार्टर्ीीे इधर से उधर और उधर से इधर आने वाले पुराने नेताओं को तरजीह देकर टिकट दिया है, ताकि किसी तरह चुनाव जीत सके । चुनाव जीतने के लिए हर पार्टर्ीीे पैसा, शोहरत और वर्चस्व वाले को ही टिकट दिया है । चाहे उसका इतिहास जो भी हो । आम आदमी पार्टर्ीीो छोडकर सभी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय पार्टर्ीींे वही लोग हंै जो पहले किसी न किसी पार्टर्ीीे थे । रही बात ‘आप’ के केजरीवाल की जो महंगाई एवं भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा एवं काँग्रेस को दिल्ली मे पछाडÞने एवं मुख्यमंत्री पद से अपने पिछडÞने के वाद देश के प्रमुख जगहों से अपने प्रत्याशी को उतारा है । जिसमें उसे अच्छे स्वच्छ लोगों कीे पहचान करने मे काफी समय की आवश्यकता थी, जो इतने कम समय मे सम्भव नही हो सका । वैसे देखा जाय तो देश में सबसे ज्यादा सक्रिय कार्यकर्ता भाजपा मंे दिख पडÞते हैं, तो काँग्रेस मे सबसे पुराने होने के नाते मजबूत एवं स्थिर वोटर अभी भी हैं । जब की आम आदमी पार्टर्ीीई है, नेता नए हैं और उसके कार्यकर्त्तर्ााी नए हैं ।
सबसे बडÞी बात यह है कि, राष्ट्रीय पार्टर्ीीाजपा एवं काँग्रेस को लगभग सभी राज्य मे क्षेत्रीय पार्टर्ीीे ही सामना करना पडÞ रहा है । इधर उत्तर भारत के बडÞे राज्य ८० सीटवाले यू पी मंे सत्ताधारी समाजवादी पार्टर्ीीमुलायम सिंह) एवं बहुजन समाजवादी पार्टर्ीीमायावती) का वर्चस्व है तो बिहार मे सत्ताधारी जदयू -नीतिश कुमार) पिछली बार भाजपा के साथ रहकर ३ तिहाई सीट लाई थी तो इस बार आमने-सामने है । वहीं काँग्रेस पार्टर्ीी५ वर्षों तक राज्य करने वाले राजद पार्टर्ीीे लालुजी की नाव पर सवार है, तो बिहार के तीसरे नेता के रूप में जानने वाले रामविलास पासवान जो १९९८ मे भाजपा के अटल जी की सरकार को १ वोट से गिराकर भागने मे सफल हुए वही इस बार फिर, भाजपा के नरेन्द्र मोदी के नाव पर लगभग पुरे परिवारके साथ सवार हैं । राजद के लालु जी पिछली बार साथ-साथ चुनाव लडÞने वाले रामविलास को छोडÞ कर अपने पार्टर्ीीे प्रधान महासचिव पटना से कई वार साँसद बनने वाले रामकृपाल यादव को धकेलते हुए अपने बेटा-बेटी व पत्नी को टिकट देकर परिवारवाद के लाइन मे सबसे आगे खडÞे हो गये है । मिला जुला कर देखा जाय तो बिहार मे भाजपा के स्थिति अच्छी मानी जाती है, तो लालु जी की राजद सांसद इकाइ से दहाई अंक मे जरुर जाएगी । वहीं नीतिश जी किसी तरह अपनी इज्जत और सरकार बचाने मे लगे हुए हैं ।
इधर मिथिलाञ्चल की बात करंे तो यहाँ नीतिश जी का विकास वाला जादू का असर भाजपा से अलग होने के कारण कम दिखाई दे रहा है । दरभंगा लोकसभा से भाजपा -कृति आजाद) एवं जदयू के सामने राजद -फातमी) सबल दिख रहा है, तो मधुवनी मे राजद -सिद्धकी) एवं भाजपा -हुकुमदेव) के सामने जदयू कमजोर मना जा रहा है । वही हाल शिवहर लोकसभा से भाजपा -रमा देवी) एवं राजद के -अनवारुल हक)े तुलना मे जदयू कमजोर माना जा रहा है ।  सबसे नाराज सीतामढÞी की जनता है । जहाँ भाजपा इसबार अपना टिकट काटकर एलान्स रालोसपा -उपेन्द्र कुशवाहा) को देने से नरेन्द्र मोदी को पी.एम. के रूप मंे देखने की इच्छा रखने वाली जनता विलकुल मौन है । इधर जदयू के अर्जुन राय रेल लाइन, फोर लाइन सडÞक एवं बडेÞ बडÞे पुल बनाकर, विकास के नाम पर इसवार फिर अपना सीट सुरक्षित रखना चाहते हंै । वहीं राजद के सीताराम यादव खत्म हो रहे वजूद को बचाने व त्रस्त अवसर शाही से निजात पाने के लिए माइ समीकरण  -मुस्लिम ± यादव) के बदौलत जीत की तरफ अग्रसर दिख रहे हैं ।
इस प्रकार देखा जाय तो हर पार्टर्ीीसी न किसी विवाद में उलझी नजर आ रही है । ऐसे मंे प्रधानमंत्री पद पाना किसी के लिए आसान नही दिख रहा है जनता भी क्या करे – महंगाई एवं भ्रष्टाचार के इस दलदल में किसको साथ दे, पर पब्लिक है, सब जानती है । फैसला उनके हाथ मंे है ।

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