Mon. Oct 2nd, 2023

18 वां जी-20 शिखर-सम्मेलन का आगाज : प्रेमचंद्र सिंह



प्रेमचंद्र सिंह, लखनऊ ।  ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के प्रतीक-उद्घोष के साथ जी-20 शिखर बैठक का आगाज दिनांक 9 सितंबर, 2023 को दिल्ली में हो गया। भारतीय वैदिक दर्शन के ‘महाउपनिषद’ से लिया गया इस उद्घोष का तात्पर्य है कि संपूर्ण वसुधा ही एक परिवार है। इस उद्घोष का स्वाभाविक संक्रियात्मक नीति है- ‘एक पृथ्वी’, ‘एक परिवार’ और ‘एक भविष्य’। इस उद्घोष की भाषा है संस्कृत, जो विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक भारतीय सभ्यता की भाषा रही है। इस प्रतीक-उद्घोष को जी-20 के एक सदस्य-देश को छोड़कर सभी सदस्य-देशों ने इस्तकबाल किया, वह अकेला देश भारत का पड़ोसी देश है और उसने जी- 20 के इस उद्घोष को यह कहकर विरोध किया कि यह उद्घोष संस्कृत भाषा में है तथा संस्कृत भाषा यूएनओ की पांच स्वीकार्य भाषा में सम्मिलित नही है। जी-20 के इस शिखर बैठक के पूर्व भारत के 60 नगरों में 220 से अधिक बैठकों में सदस्य देशों के प्रतिनिधिमंडलो की सक्रिय सहभागिता रही और उनमें वैश्विक-कल्याण, सदस्य देशों की विकास तथा वैश्विक- उन्नयन के विभिन्न आयामों पर महत्वपूर्ण विमर्श हुआ। इन बैठकों में से एक बैठक भारत के अरुणाचल प्रदेश में हुई और दूसरी कश्मीर में हुई जिनमे से एक पर भारत के एक पड़ोसी ने नाराजगी जाहिर की तो वहीं दूसरी बैठक पर भारत के दूसरे पड़ोसी का तेवर चढ़ गया। वैश्विक समस्यायों और मानवीय वेदनाओं के सम्यक समाधान के लिए सामूहिक मानवीय प्रयासों से इन दोनो देशों की चिढ़ इनकी वैश्विक अलगाव को रेखांकित करती है।

इस वैश्विक शिखर-सम्मेलन के लिए दिल्ली अपनी शान-ओ शौकत और पूर्ण आभामंडल के साथ अपने सम्मानित मेहमानों की मेजबानी अपनी समृद्ध संस्कृति एवं उन्नत परंपराओं के अनुरूप कर रही है। इस शिखर-सम्मेलन का केंद्र ‘भारत मंडपम’ है जो बहुआयामी भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विभिन्न पहलुओं को अपने में संजोए हुए है। ‘भारत मंडपम’ में घुसते ही स्वदेशी टेक्नोलॉजी से लैस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित भारतीय परिधानों से सुसज्जित रोबोटिक भारतीय महिला अपने आगंतुकों की मुखाकृति से उन सबकी पहचान सुनिश्चित करते हुए उनकी ही भाषा और आवभाव में उनका अभिनंदन और मेहमानदारी कर रही हैं। इसके साथ ही स्वदेशी एआई आधारित ‘भासीनी’ इंटरफेस की सुविधा भी मेहमानों को उपलब्ध कराया गया है जिसमे किसी भी भाषा का इनपुट डालकर मनोबांछित भाषाओं के ऑडियो और लिपियों के विभिन्न प्रारूपों में उनका पुनः प्रस्तुतिकरण और उपयोग मेहमानों द्वारा किया जा सकता है। इसके साथ ही ‘वॉल ऑफ डेमोक्रेसी’ नाम का 26 पैनल वाला एआई आर्किटेक्चर है जिसमे 26 बृहत डिजिटल स्क्रीन भी लगे हैं। इन 26 डिजिटिटल सेटों के सामने जैसे ही कोई मेहमान आएगा उसके चेहरे की तत्काल पहचान करते हुए उन्ही की अपनी भाषाओं में भारत की पिछले 5000 वर्ष की लोकतांत्रिक यात्रा की अलग-अलग पड़ावों और गाथाओं को प्रस्तुत करेगा और उनके प्रश्नों का सटीक जवाब भी देगा। भारत विश्व में लोकतंत्र की जननी है, इस तथ्य से यह इंटरफेस अपने मेहमानों को रूबरू कराएगा। इसके अतिरिक्त ‘इ-गीता’ का एक एआई इंटरफेस है जो अपने वैश्विक मेहमानों को उनकी ही भाषा में गीता के विभिन्न विषय-वस्तुओं को समझाएगी और उनकी जिज्ञासाओं को संतुष्ट करने का प्रयास करेगी। उपस्थित सभी देशों के प्रतिनिधिमंडलो के सभी सदस्यों के भारतीय तकनीकी आधारित यूपीआई अकाउंट में मेजबान देश भारत द्वारा 1000-1000 रुपए डाल दिया गया है और उनसे निवेदन किया गया है कि वे ‘भारत मंडपम’ में आयोजित भारतीय शिल्प और तकनीक से निर्मित उत्पाद मेला से अपनी पसंदीदा उत्पाद का खरीद-फरोख्त करे और सहज, सरल और पारदर्शी भारतीय डिजिटल ट्रांजेक्शन तंत्र का लुफ्त उठायें। मेजबान देश भारत की ओर से भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी सभी गणमान्य अतिथियों की अगवानी कोणार्क सूर्य मंदिर की सूर्य घड़ी की पृष्ठभूमि में कर रहे हैं जो उन सभी प्रतिनिधियों को यह स्पष्ट संदेश दे रही है कि भारत के पास सन 1300 से ही सूर्य की गति से संचालित घड़ी की तकनीक सुलभ रही है जबकि तत्समय विश्व समय निर्धारण की यांत्रिक पहलुओं से अनभिज्ञ था। इस सम्मेलन में विभिन्न बैठकों के बीच-बीच में मेहमानों के मनोरंजन के लिए ‘ई-म्यूजिकल-जर्नी’ की भारतीय संगीत से लबालब कार्यक्रम है जो मेहमानों की रुचि के अनुसार विभिन्न भारतीय संगीत विधाओं से उनका मनोविनोद कर उन्हे तरोताजा रखेगा। भारतीय स्वदेशी तकनीक से सुशोभित और भी अनेक पहलुओं का दिलकश प्रदर्शन वैश्विक प्रतिनिधिमंडलों को इस शिखर सम्मेलन में मजा देने बाला है।

यह भी पढें   भारत-नेपाल सीमा से एक और नाबालिग लड़की का किया गया रेस्क्यू, एक मानव तस्कर गिरफ्तार

भारत की अध्यक्षता में जी-20 शिखर-सम्मेलन का आगाज करते हुए प्रधानमंत्री मोदी जी ने सबसे पहले मोरक्को में हुए जानलेवा भूकंप पर अपनी और जी-20 देशों की ओर से संवेदना व्यक्त करते हुए खुले दिल से मानवीय सहायता का आश्वासन दिया और कहा कि इस संकट की घड़ी में पूरा विश्व मोरक्को के साथ है। ‘वैश्विक विश्वसनीयता की अभाव’ को उजागर करते हुए उन्होंने ‘समावेशी वैश्विक व्यवस्था’ की पुरजोर वकालत की और मानवीय संकट की चुनौतियों का सम्यक और ससमय समाधान के लिए ‘सबका साथ’, ‘सबका प्रयास’, ‘सबका विकास’ और ‘सबका विश्वास’ की रणनीति का आह्वान किया। भारत स्थित 2500 वर्ष पुरानी एक प्राकृत भाषा की शिलालेख को संदर्भित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का प्राचीनकाल से धारणा रही है कि नीतिगत निर्णयों के केंद्र में मानवकल्याण ही अनिवार्यतः रहना चाहिए। शिखर – सम्मेलन की ‘एक पृथ्वी’ शीर्षक पहला सत्र की अपने उद्घाटन संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी जी ने ‘मानव केन्द्रित विकास’ के लिए भारत की ‘लाइफ मिशन मॉडल’ को रेखांकित करते हुए कुछ महत्वपूर्ण नीतियों और कार्यक्रमों का उल्लेख किया जिसमे ‘एक सूर्य’, ‘एक विश्व’, ‘एक ग्रिड’ के तहत ‘भारतीय ग्रीन ग्रिड मिशन’, ‘अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष’, ‘प्राकृतिक कृषि’ और ‘भारतीय राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन’ की प्रभावी जिक्र किया। इस सत्र के अध्यक्षीय संबोधन के केंद्र में मोटे तौर पर जलवायु परिवर्तन, सतत विकास लक्ष्यों तथा वैश्विक समावेशन ने प्रमुखता से अपनी जगह बनाई। अफ्रीका के 55 देशों के अफ्रीकी यूनियन को जी-20 का सदस्य भारत की पहल और अगुवाई में हुई, जो ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ के बीच में बढ़ती दरार को पाटने में कारगर भूमिका निभायेगी।

यह भी पढें   बाणिज्य महादूतावास ने आयोजित किया ' 19बांओपन हाउस फर कन्सुलर ग्रिभान्सेज'

इस अवसर पर सदस्य देशों के अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटीनियो गुटेरस, विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की चेयरपर्सन कृस्तिलिन जौर्गिव सहित अनेकों बहुपक्षी संस्थाओं के शीर्ष प्रतिनिधिगण अपनी उपस्थिति से इस शिखर सम्मेलन को गौरवान्वित कर रहे हैं। इस सम्मेलन के अवसर पर विश्वबैंक के अध्यक्ष ने कहा है कि भारत ‘डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर’ (डीपीआई) के मामले में पिछले 47 वर्ष का लंबित कार्य को पिछले मात्र 6 वर्षों में पूरा किया है, जो बेहद सराहनीय है। विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित ‘जी-20 ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर फाइनेंशियल इंक्लूजन’ दस्तावेज (जीपीएफआई) का उल्लेख करते हुए अजय बंगा जी ने कहा कि ‘यूपीआई’, ‘जनधन अकाउंट’, ‘आधार’, ‘ओएनडीवी’, ‘कोविन’ आदि सरीखे अन्य डीपीआई भारत ने स्वदेशी तकनीक से विकसित कर प्रसंसनीय कार्य किया है। वित्तीय समावेशन हेतु ‘जनधन खाता’, ‘आधार’, ‘मोबाइल नेटवर्क’ का विस्तार और सशक्तिकरण इसके मूल में रहा है। वर्ष-2008 में भारत में वित्तीय समावेशी दर केवल 25% था जो बढ़कर अब 80% तक पहुंच गया है। भारत में वित्तीय धोखाधड़ी जांचने और पकड़ने के लिए विकसित तंत्र के खर्चे में 66% की कमी आई है। डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में भारत अपने द्वारा विकसित यूपीआई के माध्यम से अपनी कुल जीडीपी की की आधी धनराशि से अधिक का लेनदेन कर अद्वितीय वैश्विक मानक स्थापित किया है। केवल पिछले जुलाई महीने में ही 9.96 बिलियन अमेरिकी डॉलर अर्थात रुपया 15.34 लाख करोड़ का लेनदेन मात्र एक माह में होना सफलता की नई कीर्तिमान है। उन्होंने आगे कहा कि फ्रांस, सिंगापुर सहित विश्व के दर्जनों देशों के साथ भारत की यूपीआई इंटरलिंकिंग से सहज, तेज और पारदर्शी क्रॉसबॉर्डर वित्तीय लेनदेन को गति मिली है।

यह भी पढें   स्वास्थ्यकर्मी पर आक्रमण करने वाले दोषियों पर कारबाही के लिए गृह मन्त्रालय प्रतिबद्ध

भारत में ‘तकनीकी नवाचार’ के कारण बैंकों में खाता खोलने का खर्च 23 यूएस डॉलर से घटकर मात्र 0.1 यूएस डॉलर हो गया है। आगे और स्पष्ट करते हुए बताया कि सरकार के खाते से लाभार्थी के खाते में धन का सीधा ट्रांसफर योजना (डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर) के तहत 361 बिलियन यूएस डॉलर की धनराशि का रिकॉर्ड ट्रांसफर भारत ने अपने ‘डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर’ के तहत सुनिश्चित करके अपनी तकनीकी नवाचार का मिशाल पेश किया है, इस डिजिटल फाइनेंशियल ट्रांसफर प्रणाली के कारण भारत को 33 बिलियन यूएस डॉलर की बचत हुई है जो भारत की जीडीपी का 1.14% है।

कोविड महामारी के दुष्प्रभाव से उत्पन्न ग्लोबल नॉर्थ और ग्लोबल साउथ के बीच विश्वसनीयता का अभाव के मूल में विश्व की विकसित 30% जनसंख्या द्वारा अपने जीवन रक्षा के लिए विश्व की 70% विकासशील जनसंख्या की जीवन-रक्षा के मामलों की की गई अनदेखी, अमानवीय व्यवहार और पक्षपातपूर्ण रवैया मुख्य कारक है। भारत द्वारा ग्लोबल साउथ के देशों को मानवीय आधार पर कॉविड वैक्सीन, दवायें, मास्क, कीट आदि आबश्यक सुविधाओं की आपूर्ति और यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान खाद्य सुरक्षा हेतु आवश्यक खाद्य सामग्री की आपूर्ति और  उपलब्धता सुनिश्चित कर इस बढ़ती दूरी को पाटने का प्रयास किया है। शिखर-सम्मेलन के दौरान अफ्रीका के विकासशील 55 देशों के ‘अफ्रीकी-समूह’ को जी-20 का सदस्य बनाकर एक ऐसे वैश्विक आर्थिक समूह में ला दिया है जो दुनिया की 85% जीडीपी और 75% वैश्विक व्यापार का सर्वेसर्वा है। भारत की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था और गतिशील तकनीकी नवाचार का प्रभाव जी-20 से जी-3 की ओर भारत की यात्रा का पदचिन्ह साफ-साफ दिखने लगा है।

प्रेमचन्द्र सिंह



About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Loading...
%d bloggers like this: