आग ही आग है नीरव के शंखनाद में, सीतामढ़ी में जुटे दिग्गज साहित्यकार
सीतामढ़ी, 8 अक्टूबर 23 का दिन माँ सीता की पुण्य भूमि सीतामढ़ी के लिए ऐतिहासिक रहा. जानकी विद्या निकेतन राजोपट्टी के सभागार में सीतामढ़ी के राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित उपन्यासकार रामबाबू नीरव के पांचवे उपन्यास *शंखनाद* का *लोकार्पण* बिहार के जाने माने वरिष्ठ साहित्यकारों के कर कमलों द्वारा हुआ. कार्यक्रम सीतामढ़ी जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में, सीतामढ़ी संस्कृति मंच तथा प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा आयोजित किया गया. इस ऐतिहासिक साहित्यिक समारोह की अध्यक्षता मुजफ्फरपुर से आए वरिष्ठ साहित्यकार भगवती चरण भारती ने की वहीं समारोह के मुख्य अतिथि मुजफ्फरपुर के ही वरिष्ठ साहित्यकार सह समालोचक डा० संजय पंकज थे. उद्घाटन दिनेशचन्द्र द्विवेदी, डा० मनोज कुमार, रानी कुमारी, (जिला पार्षद) , रामशंकर शास्त्री, पत्रकार, डा० सुभद्रा ठाकुर, प्राचार्या, डा० कल्याणी शाही, कवि सुरेश वर्मा, कवयित्री नैना साहु, अरुण माया, वीरेंद्र सिंह (चौथी वाणी), संजय चौधरी, स्वतंत्र शांडिल्य, द्वारा सम्पन्न हुआ वहीं शंखनाद का लोकार्पण एक नयी सुबह के संपादक डा० दशरथ प्रजापति, डा० संजय पंकज, गोयनका कालेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डा० आरले लक्ष्मण राव, डा० प्रमोद कुमार प्रियदर्शी, डा० उमेश कुमार शर्मा, शिवशंकर सिंह, सुचित्रा नीरव, डा० अमित कु० मिश्रा, डा० पंकजवासिनी, डा० चंदीर पासवान, बाल्मीकि कुमार, नेपाल से आए पत्रकार अजय कुमार झा, पूर्व शिक्षक राम एकबाल साहु, श्रीकृष्ण साह श्रीलंका से विशेष रूप से पधारे नीरव के मित्र आसिफ करीम आदि द्वारा किया गया. मंच संचालन पुपरी के वरिष्ठ कवि उदयसिंह करुणाकर, युवा कवि राहुल चौधरी एवं गौतम कुमार वात्स्यायन ने संयुक्त रुप से किया. विषय प्रवेश कराते हुए हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री विमल कुमार परिमल ने नीरव के शंखनाद की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए उपन्यास में कतिपय लेखकीय भूल की ओर इशारा किया, वही रामबाबू नीरव ने लेखकीय वक्तव्य में अपनी साहित्यिक यात्रा को उद्घाटित करते हुए बताया कि बचपन में वे अपने बाल मित्रों के साथ रामलीला किया करते थे और उसमें सीता की भूमिका निभाया करते थे. वहीं से उन्हें अभिनय तथा नाट्य लेखन की प्रेरणा मिली. मुख्य अतिथि डा० संजय पंकज ने कहा कि शंखनाद वर्तमान पूंजीवादी व्यवस्था पर करारा चोट है. वहीं डा० लक्ष्मण राव और डा० उमेश शर्मा ने बताया कि नीरव के उपन्यास में आग ही आग है. आग की यह लपट पूंजीवादी व्यवस्था को जलाकर भस्म कर देगी. अध्यक्षीय उद्गार व्यक्त करते हुए भगवती चरण भारती ने नीरव को आंचलिक कथाकार बताते हुए कहा कि ये बिहार के वर्तमान लेखकों में एकमात्र कथाकार है जिन्होंने अपनी कृतियों में ग्रामीण समाज की दुर्दशा को उभारा है. डा० दशरथ प्रजापति, डा० चंदीर पासवान, डा० पंकजवासनी, डा० सुभद्रा ठाकुर, डा० कल्याणी शाही के साथ साथ अन्य वक्ताओं ने भी अपने अपने विचार रखे. दिनेशचन्द्र द्विवेदी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ प्रथम सत्र की समाप्ति हुई. दूसरे सत्र राज्य स्तरीय कवि सम्मेलन की अध्यक्षता सुरेश वर्मा ने की. कवि सम्मेलन में डा० मनोज कुमार, बाल्मीकि कुमार, नैना साहु, बच्चा प्रसाद विह्वल, डा० पंकजवासिनी, रामकिशोर सिंह चकवा, अरूण माया, शिवशंकर सिंह, प्रकाश मोहन मिश्र, आचार्य धीरेन्द्र माणिक्य, जितेंद्र झा आजाद, रामबाबू सिंह, संजय चौधरी, कमल एकलव्य, प्रकाश मोहन मिश्रा, राहुल चौधरी, उदय सिंह करुणाकर, गौतम कुमार वात्स्यायन, ईशान गुप्ता आदि ने अपना अपना जलवा बिखेरा. अंत में रामबाबू नीरव ने अपने छठे उपन्यास *तिष्यरक्षिता” के शीघ्र प्रकाशन की घोषणा की.