नेपाल भारत के साथ सीमा मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहता है : श्रेष्ठ
नेपाल ने हाल ही में जारी नए नोट में विवादित नक्शे का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है । जिसके बाद से सियासी गलियारे में नेपाल भारत के संबन्धों की खटास पर चर्चे होने लगे हैं । माना जा रहा है कि यह निर्णय राजनीतिक अवसरवादिता के लिए बिना किसी विमर्श के जल्दबाजी में लिया गया है। विवादित नक्शे के साथ करेंसी नोट जारी करने की घोषणा के कुछ दिनों बाद अब सरकार की तरफ से यह कहा जा रहा है कि नेपाल भारत के साथ सीमा मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहता है। उपप्रधामंत्री और विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ ने कहा है कि काठमांडू राजनयिक माध्यमों से विवाद को सुलझाने के पक्ष में है।
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श्रेष्ठ ने कहा है कि, ‘हम भारत के साथ सीमा मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि कूटनीतिक माध्यमों और बातचीत के माध्यम से चीजें ठीक हों। हम इसके लिए पहल भी कर रहे हैं।’ इससे पहले शनिवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सख्ती के साथ कहा था कि हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है। नेपाल के इस कदम से जमीनी हकीकत नहीं बदलेगी। नेपाल के साथ हम एक स्थापित मंच के माध्यम से अपनी सीमा मामलों पर चर्चा कर रहे हैं लेकिन इस बीच उन्होंने कुछ एकतरफा कदम उठाए हैं।
सूत्रों की मानें तो यह राजनीतिक अवसरवाद था जिसने नेपाल के नक्शे के साथ 100 रुपए के नए नोट छापने के फैसले को चिह्नित किया। सरकार के एक पक्ष ने भी सरकार के इस अप्रत्याशित फैसले पर आश्चर्य व्यक्त किया है । सूत्रों ने दावा किया कि निर्णय लेने से पहले पर्याप्त चर्चा और परामर्श नहीं किया गया। सूत्रों ने ऐसे समय में इस कदम के समय पर भी सवाल उठाया जब भारत में चुनाव हैं और बातचीत चल रही है। भारत-नेपाल सीमा वार्ता अभी तक तय नहीं हुई है। भारत का दावा है कि लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा उसके हिस्से हैं। नेपाल की भारत के राज्यों- सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी और उत्तराखंड के साथ करीब 1850 किलोमीटर की सीमा है। बिजली व्यापार की शुरूआत सहित पिछले तीन साल में दोनों देशों के रिश्ते बेहतर होते दिखे हैं लेकिन कालापानी सीमा विवाद दोनों देशों के बीच बड़ा मुद्दा है। ऐसे मे सरकार द्वारा बिना किसी पूर्व तैयारी के इस निर्णय ने एकबार फिर नेपाल भारत के रिश्तों में तल्खी ला दी है ।