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पद्मभूषण भगवतीचरण वर्मा स्मृति समारोह का आयोजन



चेन्नई। दक्षिण भारत हिदी प्रचार सभा में भगवतीचरण वर्मा स्मृति संस्थान द्वारा स्मृति समारोह का आयोजन किया गया। प्रख्यात कथाकार डॉ सूर्यबाला ने कहा कि भगवतीचरण वर्मा व्यावहारिक जीवन के मंत्र द्रष्टा थे।वे मानते थे कि विश्वास, अनुभव और प्रयोग के बिना लेखन अधूरा है। उन्हें समझौते कभी रास नहीं आए। उनकी अनूठी तर्कशक्ति सच्चाइयों को खोलते हुए जीवन का साक्षात्कार कराती है। ‘ चित्रलेखा’ की धूम सिनेमा के साथ पाठकों के बीच आज भी कायम है।
प्रमुख वक्ता मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ करुणाशंकर उपाध्याय ने कहा कि जो साहित्य अपने समय साक्षात्कार का करते हुए नयी दृष्टि नहीं देता,वह बुझ जाता है। उनके साहित्य में भारत बोध,जातीय स्मृति, संस्कृति का अस्मिता- बोध,इतिहास, चिन्तन और अपूर्व तर्कशक्ति से उस काल को भी प्रभावित किया और आज भी वे जीवन्त है। पद्मभूषण सम्मान और राज्यसभा की सदस्यता उस काल में उनकी पहचान कराती है।पर आज भी उनके पाठक उनके उपन्यास ‘टेढ़े मेढ़े रास्ते’, चित्रलेखा और व्यंग्य कथाओं में जीवन को तलाशते हैं।वे भारतीय ज्ञान परंपरा को पुरस्कृत करने वाले वाद निरपेक्ष लेखक हैं।इनके लेखन द्वारा व्यक्ति के अंतर्बाह्य संघर्ष, व्यक्ति और परिवेश का संघर्ष अत्यंत सहज भाषा में कलात्मक वैभव के साथ आता है।
कुलपति डॉ. पी. राधिका ने कहा कि वर्मा जी उपदेशक नहीं थे। वे सामाजिक यथार्थ के साथ
अंधविश्वासों पर चोट करनेवाले समर्थ कथाकार थे। मद्रास विश्वविद्यालय की हिदी विभागाध्यक्ष डॉ अन्नपूर्णा चिट्टी ने कहा कि वर्मा जी ने संक्रांत जीवन को मूल्यपरक बनाया। वे भाग्यवादी नहीं, बल्कि कर्मनिष्ठ नियतिवादी दर्शन के रचनाकार थे।
साहित्यकार बी. एल. आच्छा ने कहा कि वर्मा जी ने शास्त्र के बजाय अनुभव को केन्द्रीय बनाया।उन्होंने लेखकीय विमर्श को पाठकीय लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र किया।
डॉ दीनानाथ सिंह ने उनके उपन्यासों की सामाजिक, पारिवारिक, राजनीतिक चिंतन की पृष्ठभूमि को स्पष्ट किया।दक्षिण रेलवे के राजभाषा उपनिदेशक डॉ. सहदेव सिंह पूरती ने कहा कि उस काल की सभी समस्याओं का विमर्श उनके कथासाहित्य में असरदार है।
इस अवसर पर भगवतीचरण वर्मा स्मृति व्यंग्य कथा संग्रह का विमोचन किया गया।आरंभ में संस्थान के निदेशक वसिष्ठ जौहरी ने अतिथियों का स्वागत किया।दीप प्रज्वलन के साथ छात्राओं ने नृत्य प्रस्तुत किया। संचालन रोचिका शर्मा ने किया।
दूसरे सत्र में भगवतीचरण वर्मा के साहित्य पर डॉ मनोजकुमार सिंह,डॉ हर्षलता शाह,डॉ, सुनीता जाजोदिया एवं खवासे ने शोध पत्रों का वाचन किया। शोध-पत्रों के लिए डॉ मनोजकुमार सिंह,डॉ. एस. प्रीति,डॉ. रजिया बेगम,एवं शोध छात्रों में भावना शर्मा,दीपा खवासे एवं विनीता के. को प्रमाण पत्र और मानदेय से पुरस्कृत किया गया। काव्यपाठ में दिनेश छत्री,तेजस शर्मा और विनयश्री को प्रमाण पत्र एवं राशि से सम्मानित किया गया।रोचिका शर्मा ने वर्मा जी की प्रायश्चित कहानी का पाठ किया।कुलसचिव डॉ मंजूनाथ,डॉ. नीरज गोर्रमकुंडा एवं डॉ. संतोषी का योगदान सराहनीय रहा।अंत में भगवतीचरण वर्मा की पौत्री सीमा जौहरी ने आभार प्रदर्शन किया।



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