हसन नसरल्लाह माैत : ईरान ने इजरायल से बदला लेने की खाई कसम
काठमान्डू 30 सितम्बर
हिजबुल्लाह अभी भी अपने पुराने नेता हसन नसरल्लाह की हत्या से उबर नहीं पाया है. समूह उनकी मौत पर शोक मना रहा है और अपने विकल्पों पर विचार कर रहा है, जबकि इजरायल ने और हमले किए हैं, जिसमें हिजबुल्लाह के अधिकांश शीर्ष नेता मारे गए हैं. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का तर्क है कि नसरल्लाह की हत्या मध्य पूर्व में शक्ति संतुलन को नया आकार देगी. और उन्होंने हिजबुल्लाह के मुख्य समर्थक ईरान को चेतावनी दी है कि इजरायल की सेना क्षेत्र में कहीं भी हमला कर सकती है, जहां उसे जरूरत हो. तेहरान ने जवाबी कार्रवाई की कसम खाई है, कहा है कि इजरायल को अपने किए पर पछतावा होगा.
इजरायल की एयर स्ट्राइक में नसरल्लाह के मारे जाने के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने बड़े-बड़े बयान जरूर दिए हैं लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि उसे पता है कि वो चाह कर भी इजरायल का कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं. वो सीधे तौर पर इजरायल के खिलाफ जंग में उतर पाने की स्थिति में नहीं हैं.हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह के खात्मे के बाद जहां एक ओर इजरायल के हौसले बुलंद हैं. वहीं, दूसरी तरफ ईरान अजीब दुविधा में फंसता नजर आ रहा है. हिजबुल्लाह को पालने पोसने से लेकर आधुनिक हथियार पहुंचाने तक का सारा काम ईरान के जिम्मे ही था .
इजरायल और हमास के बीच बीते एक साल से जारी जंग में हिजबुल्लाह खुलकर इजरायल के विरोध में आ गया था और लेबनान से इजरायल में ताबड़तोड़ बमबारी की. हालांकि मजबूत एयरडिफेंस सिस्टम के चलते वो इजरायल का कुछ नहीं बिगाड़ सका. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कसम खाई कि नसरल्लाह की मौत व्यर्थ नहीं होगी. इसी तर्ज पर उपराष्ट्रपति मोहम्मद रजा अरेफ ने कहा कि यह घटना इजरायल का विनाश लाएगी. न्यूज एजेंसी एएफपी से बातचीत करते हुए इंटरनेशनल क्राइसेस ग्रुप के चीफ अली वेज ने कहा कि हिजबुल्लाह चीफ की हत्या ने इस तथ्य को नहीं बदला है कि ईरान अभी भी चल रहे संघर्ष में सीधे तौर पर शामिल नहीं होना चाहता है. ईरान एक गंभीर दुविधा में है.
नसरल्लाह की मौत हमास लीडर इस्माइल हनियेह की जुलाई के अंत में तेहरान में हत्या के लगभग दो महीने बाद हुई. वो इस हत्या का बदला तक नहीं ले पाया है. ईरान पर विशेष नजर रखने वाले प्रोफेसर मेहदी जकरियन के कहा बढ़ती आर्थिक चुनौतियों के बीच हिजबुल्लाह को फिर से खड़ा करना ईरान के लिए आसान नहीं है. अगर ईरान लेबनान को फिर से खड़ा करने और हिजबुल्लाह को मजबूत करने की कोशिश करता है तो उसके अपने आर्थिक संकट और बढ़ जाएंगे. अमेरिकी प्रतिबंध के बीच ईरान में गरीबी, बेरोजगारी जैसी समस्या से जूझ रहा है.
वेज ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि लगभग 40 सालों से हिजबुल्लाह में निवेश कर रहा ईरान रातोंरात उसे छोड़ देगा क्योंकि उस स्थिति में वह अपने अन्य सहयोगियों को भी खो देगा. सीरिया, लेबनान, इराक और यमन में ईरान समर्थित आतंकवादी समूह हमास के खिलाफ इजरायल के युद्ध के बाद से बढ़ते क्षेत्रीय तनाव में शामिल हो गए हैं. उन्होंने कहा कि ईरान के सामने एक और बड़ी दुविधा हिजबुल्लाह से बातचीत करना और उसे हथियार बेचने का नेटवर्क तैयार करना हे. इजरायल की सेना ने ईरान को बेरूत हवाई अड्डे के माध्यम से हिजबुल्लाह को हथियार आपूर्ति करने से रोकने की कसम खाई है और कहा कि उसके लड़ाके ऊपर आसमान में गश्त कर रहे हैं.