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छठ का पर्याय शारदा सिन्हा : कंचना झा

काठमांडू, कार्तिक २१ –    कंचना झा
८० का दशक एक खनकती सी आवाज जो हर घर पहुँच रही थी । ये थी शारदा सिन्हा की आवाज । इस आवाज को पूरा मिथिलांचल सुनता था । धीरे–धीरे ये आवाज मिथिलांचल से बाहर निकलने लगी । और होते होते मुम्बई पहुँची फिर हिन्दी सिनेमा तक पहुँच गई । सबसे ज्यादा पहचान मिली इन्हें मैथिली और भोजपुरी गीतों को लेकर । ऐसा लगता जैसे वो बनी ही थीं मैथिली और भोजपुरी के लोक गीतों के लिए । इनके गीत के बिना छठ में सूर्य नहीं उगते थे । खासकर छठ में जब सप्तमी के सुबह उगते सूर्य की सभी प्रतीक्षा करते रहते है । ऐसा लगता कि जबतक उनका गीत नहीं बजे , उनकी आवाज नहीं आती भगवान दिनकर सच में नहीं उगेंगे । दिनकर दिनानाथ भी उनकी आवाज के कायल है ऐसा कहा जा सकता है ।
नहीं रही स्वर कोकिला शारदा सिन्हा । ये सच है कि हम उन्हें नहीं देख पाएंगे लेकिन उनके द्वारा गाए छठ के गीत, शादी ब्याह के गीत के साथ ही धार्मिक गीत भजन, सिनेमा के गाए गीत सबके दिलों में रह गए । आपने बहुत कुछ दिया है बिहार को, संगीत जगत को । बहुत सम्मान दिया मैथिली और भोजपुरी को ।
आज आपके निधन से संगीत जगत ही नहीं आपसे प्यार करने वाले, संगीत से प्यार करने वाले सभी शोक में डूबे हैं ।
दिल्ली के एम्स में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली । कुछ दिनों से उनकी तबीयत अचानक अधिक बिगड़ी गई थी जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ा था । शारदा सिन्हा के गाये छठ गीत अभी भी हर तरफ बजते हैं लेकिन बिहार की स्वर कोकिला अब हमारे बीच नहीं रहीं ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया और कहा, “सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन से अत्यंत दुख हुआ है । उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं । आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी । उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है । शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं । ओम शांति!”
वैसे आज सुबह से ही शारदा सिन्हा के बारे में मीडिया में तरह तरह की बातें आ रही थी । कितनी बार उनके पुत्र अंशुमान ने सोशल मीडिया पर आकर उनकी तबियत के बारे में जानकारी दी थी । उन्होंने एक वीडियो जारी किया है और बताया कि उनकी मां की हालत नाजुक है । सोमवार ४ नवंबर को दोपहर के समय से ही उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गई जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया था ।
यहां तक कि छठ २०२४ के मौके पर भी उन्होंने अपने प्रशंसकों को निराश नहीं किया । उन्होंन जाते–जाते सभी श्रोताओं को छठ का तोहफा दिया । आज सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शारदा सिन्हा के बीमार होने पर उनकी खबर ली थी ।
शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के मिथला क्षेत्र के सुपौल जिला के हुलास गाँव में १ अक्टूबर १९५२ में हुआ । इनके पिता सुखदेव ठाकुर बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में अधिकारी थे । शारदा जी को बचपन से ही संगीत से बहुत लगाव था । उन्होंने अपने कई इंटरव्यू में बताया था कि कैसे वो मैथिली और भोजपुरी गीतो की दुनिया में आई । अपने भाभी के एक गीत को बोल को बताने के बाद उन्होंने उसे अपने तरीके से बनाया और गाना शुरु किया । बाद में इनके पिता ने भी उनकी रुचि को जाना और उनके लिए एक संगीत शिक्षक को रखा । जिन्होंने उन्हें संगीत की शिक्षा दी । शारदा सिन्हा ने अपनी पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से पूरा किया । इसके बाद उनका विवाह हो गया ।
ससुराल में इनकी गायकी को लेकर बहुत विरोध हुआ लेकिन पति का बहुत साथ मिला । उन्होंने इनकी गायकी को कभी रुकने नहीं दिया । अपने पति के साथ के बाद उनकी कला में और निखार आया । १९७४ में उन्होंने पहली बार भोजपुरी गीत गाया । १९७८ में उनका छठ गीत ‘उग हो सुरुज देव’ रिकॉर्ड किया गया, जिसके बाद शारदा सिन्हा का नाम घर–घर में प्रसिद्ध हो गया ।
शारदा सिन्हा ८० के दशक में मैथिली, भोजपुरी आ मगही भाषा में परंपरागत गीत गाने की वजह से प्रसिद्ध हुई । उन्होंने महाकवि विद्यापति के अनगनित गीत को अपनी आवाज दी । मैथिली, भोजपुरी, अवधि में उन्होंने शादी ब्याह के अवसर के गीत गाएं । उन्होंने फिल्मो में भी गीत गाए ।
हिंदी फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ के गीत कहे तोसे सजना से सिन्हा ने हिंदी जगत के लोगों का मन भी अपनी आवाज से मोह लिया । फिर हम आपके हैं कौन में भी उनके द्वारे गाए गीत को लोगों ने बेहद पसंद किया ।
वो हमेशा अपने गीतों की गूंज से सबके दिलों जीवित रहेंगी । उनका जाना संगीत जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है ।

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