Wed. Dec 4th, 2024

बहुत प्राचीन है भारत एवं नेपाल के सेनाध्यक्ष काे जनरल मानद की उपाधि से सम्मानित करने की परम्परा

काठमान्डू 23 नवम्बर

भारत के थलसेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी काे  राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने  नेपाली सेना के जनरल की मानद उपाधि से सम्मानित किया है । नेपाल में भारतीय सेना के अधिकारियों को सम्मानित करने की पुरानी परंपरा रही है, खासकर उन्हें मानद रैंक प्रदान करने की. यह प्रथा भारत और नेपाल के बीच गहरे सैन्य और कूटनीतिक संबंधों को दर्शाती है, जो दशकों में विकसित हुए हैं. जनरल द्विवेदी अपने नेपाली समकक्ष जनरल अशोक सिग्देल के न्योते पर पांच-दिवसीय आधिकारिक यात्रा के लिए बुधवार को यहां पहुंचे थे. इस दौरे का उद्देश्य सैन्य संबंधों को मजबूत करना है.

नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने 1950 से चली आ रही इस परंपरा को जारी रखा. उन्होंने गुरुवार यानी 21 नवंबर को राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष समारोह में भारतीय सेना के प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी को नेपाल सेना के जनरल की मानद उपाधि से सम्मानित किया. इस मौके पर राष्ट्रपति ने जनरल द्विवेदी को एक तलवार, प्रतीक चिह्न और सम्मान आदेश का प्रमाण पत्र प्रदान किया. विशेष समारोह में प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली सहित विभिन्न गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.

यह भी पढें   आज का पंचांग: आज दिनांक 1 दिसंबर 2024 रविवार शुभसंवत् 2081

भारत के सेनाध्यक्ष काे नेपाली सेना के जनरल की मानद उपाधि से सम्मानित किया जाना करीब सात दशकों से चली आ रही ऐतिहासिक परंपरा का हिस्सा है. यह प्रथा 1950 में नेपाल द्वारा शुरू की गई थी. जब  भारतीय सेना प्रमुख को आधिकारिक दौरे के दौरान नेपाली सेना के जनरल का मानद रैंक प्रदान किया था. पहली बार भारतीय सेना के प्रमुख जनरल केएम करियप्पा को 1950 में मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था.  1950 से भारत और नेपाल की सेनाओं के बीच जारी संबंधों के तहत एक-दूसरे के सेना प्रमुखों को जनरल की मानद उपाधि देने की परंपरा रही है. इससे पहले, सितंबर 2022 में जनरल मनोज पांडे को नेपाल दौरे के दौरान इसी उपाधि से सम्मानित किया गया था.

नेपाल के आर्मी चीफ को भी मिलेगा सम्मान
जिस तरह भारतीय सेना प्रमुख को नेपाल सरकार मानद उपाध‍ि से नवाजती है. ठीक उसी तरह नेपाल के सेना प्रमुख को भारत में सम्मानित किया जाता है. अगले महीने नेपाल के सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल भारत दौरे पर जाने वाले हैं. उस दौरान भारत की सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें भारतीय सेना प्रमुख की मानद उपाधि से नवाजेंगी. कई बार दाेनाें देशाें के बीच रिश्तों में खटास भी आई, लेकिन यह परंपरा कभी बंद नहीं हुई. इस मानद उपाधि के बाद सेना प्रमुख को वही प्रोटोकॉल मिलता है जो कि उनके देश के सेना प्रमुख को दिया जाता है.

यह भी पढें   टॉस जीतकर विराटनगर ने गेंदबाजी को चुना

दरअसल ये समारोह दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी सम्मान और सहयोग का प्रतीक हैं, जो दाेनाें देशाें के  ऐतिहासिक संबंधों और सैन्य सहयोग को मजबूत करते हैं. ऐसे सम्मान सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देते हैं और भारत और नेपाल के बीच सद्भावना को बढ़ाते हैं, जो 1,850 किमी से अधिक की सीमा साझा करते हैं और जिनका इतिहास और समुदाय आपस में जुड़े हुए हैं.

भारत-नेपाल के बीच सैन्य सहयोग
इस रिश्ते का एक महत्वपूर्ण पहलू गोरखा रेजिमेंट्स के रूप में देखा जा सकता है. इस रेजिमेंट में दोनों देशों के सैनिक भारतीय सेना में विभिन्न भूमिकाओं में एक साथ सेवा करते हैं. इस अनोखे बंधन को संयुक्त कार्यक्रमों और समारोहों के माध्यम से मनाया जाता है, जो उनकी साझा विरासत का सम्मान करते हैं. भारत नेपाली सेना को प्रशिक्षण उपकरण और समर्थन प्रदान करता है. जिससे दोनों सेनाओं के बीच संचालन क्षमताओं और आपसी तालमेल में सुधार होता है. इसमें उच्च-स्तरीय दौरों के दौरान हल्के वाहनों और अन्य सैन्य संसाधनों का दान शामिल है.
जनरल द्विवेदी को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’
जनरल द्विवेदी ने दोनों सेनाओं के बीच चिरस्थायी मित्रता का संकेत देते हुए नेपाल सेना मुख्यालय के परिसर में रुद्राक्ष का पौधा भी लगाया. इसके अलावा जनरल द्विवेदी ने काठमांडू के टुंडीखेल में सेना मंडप में शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित करके श्रद्धांजलि दी. सेना मुख्यालय में उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ भी दिया गया. जनरल द्विवेदी काठमांडू के बाहरी इलाके शिवपुरी में ‘आर्मी स्टाफ कॉलेज’ का भी दौरा करेंगे. जनरल द्विवेदी के साथ उनकी पत्नी और भारतीय सेना की ‘आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन’ की अध्यक्ष सुनीता द्विवेदी भी हैं.

About Author

आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com
%d bloggers like this: