जान का दुश्मन बन गया है चाइनीज़ मांझा : डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
हाल ही में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक दर्दनाक घटना सामने आई है।यहां चाइनीज मांझे के कारण 15 साल के बच्चे की जान चली गई।घटना के समय बच्चा अपने घर की छत पर पतंग उड़ा रहा था, इस दौरान पतंग बिजली के तार में फंस गई।बच्चे ने पतंग छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने चाइनीज मांझे को छुआ, उसे करंट लग गया।जिससे15 वर्षीय तुषार धमीजा के शरीर में तेज करंट दौड़ गया, देखते ही देखते उसके कपड़ों में आग लग गई और वह बुरी तरह से झुलस गया।उसे तुरंत जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, वहां उसकी गंभीर हालत को देखते हुए पीजीआई रेफर कर दिया गया, इसके बाद वहां से भी ऋषिकेश एम्स भेजा गया,जहां दो दिनों तक चले इलाज के बाद बीती 1 फरवरी की शाम को तुषार ने दम तोड़ दिया।वही छत्तीसगढ़ के रायपुर में चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध के बावजूद वहां के दुकानदार खुलेआम चाइनीज मांझा धड़ल्ले से बेच रहे हैं। वहां भी टिकरापारा थाना क्षेत्र में शाम 5 बजे चाइनीज धागे में एक बच्चे की गर्दन फंस गई। लहूलुहान बच्चे को तत्काल अस्पताल ले जाया गया ,जहां उसकी मौत हो गई। इसी तरह मकर सक्रांति के दिन मध्य प्रदेश और गुजरात में पतंग उड़ाने वाले चाइनीज मांझे से दो मासूम बच्चों की गर्दन कट गई,जिससे उनकी मौत हो गई।दोनों ही बच्चे घटना के समय अपने-अपने पिता के साथ बाइक पर सवार थे। मेरठ में भी चाइनीज मांझे से गर्दन कटने पर एक युवक की मौत और दो साल की मासूम बच्ची सहित होमगार्ड के घायल होने की खबर है। इस हादसे के बाद से पुलिस चाइनीज मांझा बेचने वालों की लगातार तलाश कर रही है।वही चीनी मांझे की चपेट में आने जौनपुर के एक बुनकर की गर्दन कट गई। पूरे देश में चाइनीज मांझा पर प्रतिबंध लगा हुआ है, फिर भी चाइनीज मांझा देशभर में चोरी-छिपे बिक रहा है। हर साल यह चाइनीज मांझा हजारों पक्षियों और अनेक लोगों की मौत का कारण बन जाता है। भारत में चाइनीज मांझे को किलर मांझा भी लोग कहने लगे हैं क्योंकि एक बार ये किसी के गर्दन या पक्षी के पंखों पर लग जाये तो उसे काट ही देता है। चाइनीज मांझे में 5 तरह के केमिकल और कई धातुओं का प्रयोग होता है। चाइनीज मांझे को नायलॉन के धागे में मैटेलिक पाउडर मिलाकर बनाया जाता है। नायलॉन के धागे पर कांच और लोहे को पीस कर पॉलिश लगाई जाती है।चाइनजी मांझा प्लास्टिक जैसा दिखता है और स्ट्रेचेबल होता है। इसे खींचते हैं तो टूटने के बजाय बढ़ जाता है। इसे काटना मुश्किल होता है। इसीलिए पतंग उड़ाने वाले बच्चे व बड़े लोग भी इसे पसंद करते हैं। अभी तक यह मांझा चीन से आया करता था लेकिन अब ये मांझा भारत में भी बनने लगा है।चाइनीज मांझा बारिश में भी खराब नहीं होता है। मेटल युक्त इस मांझे से करेंट लगने का भी खतरा होता है। अगर इस चाइनीज मांझे से 66 या 35 केवी की एक लाइन ट्रिप हुई तो करीब 2500 घरों में बिजली गुल होने का खतरा बढ़ जाता है। रेलवे लाइन पर यह चाइनीज मांझा गिरता है तब भी सप्लाई में बहुत बाधा आ सकती है।
दिल्ली के एक पक्षी अस्पताल के डॉक्टर हरअवतार सिंह कहते है कि उनके पास पक्षियों के घायल होने के ज्यादातर मामले चाइनीज मांझे की वजह से आते हैं। कई बार मांझे की वजह से पक्षियों की हड्डियां तक टूट जाती हैं। चाइनीज मांझे की अवैध बिक्री दिल्ली,उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब समेत देश के कई राज्यो में धड़ल्ले से हो रही है। दिल्ली में सन 2017 से ही चाइनीज मांझा बैन है। दिल्ली पर्यावरण विभाग ने 10 जनवरी 2017 को नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसके मुताबिक पतंग उड़ाने के लिए नायलॉन, प्लास्टिक और अन्य तरह के सिंथेटिक सामान से तैयार मांझों की बिक्री, उत्पादन, स्टोरेज, सप्लाई और उसे आयात करने पर पूरी तरह बैन लगाया गया है।
इसलिए पतंग उड़ाने के लिए दिल्ली में शार्प मांझे जैसे कि कांच, मेटल, केमिकल या अन्य चीजों से तैयार मांझों का उपयोग नहीं कर सकते, पतंग उड़ाने के लिए सूती मांझों पर कोई रोक नहीं है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जुलाई, 2017 में चाइनीज मांझे की खरीद-बिक्री पर देश भर में प्रतिबंध लगा दिया था।
दिल्ली सरकार ने सन 2017 में ही एक नोटिफिकेशन जारी कर चाइनीज मांझे रखने और इस्तेमाल करने पर पांच साल की सजा या एक लाख रुपये जुर्माना या फिर दोनों सजा हो सकती है। दिल्ली पुलिस ने सन 2022 में दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल अपनी एक स्टेटस रिपोर्ट में माना कि वह अगस्त 2019 से जुलाई 2022 तक दर्ज हुए चाइनीज मांझे से छह मौत और आठ के जख्मी होने के कुल 14 केस में से किसी को भी सॉल्व नहीं कर सकी। साथ ही सन 2017 से 31 जुलाई 2022 तक चाइनीज मांझा बेचने या इस्तेमाल करने के 256 केस दर्ज हुए थे।यही हालत वर्तमान में भी विभिन्न राज्यों की है।(लेखक सामाजिक चिंतक व वरिष्ठ साहित्यकार है)