स्वास्थ्य मंत्री को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए, सन्दर्भ: डॉ.संगीता मिश्रा के साथ अन्याय
नेपाल सरकार में स्वास्थ्य सचिव पद पर डॉ. संगीता मिश्रा की अनदेखी राज्य की दोहरी नीतियों को उजागर करती है
बिनय मिश्रा, 10 मार्च, 2025 | नेपाल में महिलाओं और मधेशियों के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया एक बार फिर सामने आया है, जब डॉ. संगीता मिश्रा को स्वास्थ्य सचिव के पद से वंचित कर दिया गया। यह मामला स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्री प्रदीप पौडेल की पक्षपातपूर्ण नीतियों को दर्शाता है, जिन्होंने डॉ. विकास देवकोटा को इस पद के लिए चुना, जबकि डॉ. संगीता मिश्रा योग्यता और वरिष्ठता के आधार पर इस पद की सबसे उपयुक्त उम्मीदवार थीं।

पिछले साल, उन्हें स्वास्थ्य सेवा विभाग के महानिदेशक पद से भी हटा दिया गया था। इस बार, संघीय लोक सेवा आयोग द्वारा भेजी गई तीन उम्मीदवारों की सूची में उनका नाम शीर्ष पर होने के बावजूद, उन्हें इस पद से वंचित कर दिया गया। यह घटना बताती है कि नेपाल सरकार किस प्रकार लैंगिक और जातीय भेदभाव को बढ़ावा देती है।
नियमों की अनदेखी और निष्पक्षता का अभाव
नियुक्ति की प्रक्रिया नेपाल स्वास्थ्य सेवा अधिनियम, 1997 (धारा 19) के तहत होती है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि स्वास्थ्य सचिव की नियुक्ति वरिष्ठता और योग्यता के आधार पर की जानी चाहिए।
डॉ. संगीता ने इस अधिनियम में उल्लिखित सभी योग्यताओं को पूरा किया, लेकिन उन्हें “अस्वीकार्य” करार देते हुए दरकिनार कर दिया गया। यह घटना स्पष्ट रूप से दिखाती है कि कानून का अस्तित्व तो है, लेकिन उसका पालन नहीं किया जाता।
यदि कोई सरकार निष्पक्षता और पारदर्शिता का पालन करती है, तो उसे कानून के दायरे में रहकर कार्य करना चाहिए। लेकिन इस मामले में, स्वास्थ्य मंत्री ने मनमाने तरीके से फैसला लिया, जो सीधे तौर पर भेदभाव और दोहरे मापदंड को दर्शाता है। यह मामला निश्चित रूप से न्यायिक समीक्षा और जांच का विषय बनता है।
नेपाल में महिलाओं के साथ भेदभाव
यह प्रकरण नेपाल में महिलाओं की सत्ता में स्थिति को भी उजागर करता है। सरकार महिलाओं की प्रतीकात्मक भागीदारी तो सुनिश्चित करती है, लेकिन जब प्रभावशाली और उच्च पदों पर नियुक्ति की बात आती है, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है।
हालांकि, स्थानीय स्तर पर महिला प्रतिनिधियों की संख्या संतोषजनक है, लेकिन प्रतिनिधि सभा और राष्ट्रीय सभा में उनकी भागीदारी बेहद कम है। इसके अलावा, नागरिक सेवा में 21% महिलाओं की भागीदारी के बावजूद, शीर्ष पदों पर उनकी संख्या नगण्य है।
महिलाओं के साथ भेदभाव सिर्फ लैंगिक आधार पर नहीं, बल्कि जातीयता के आधार पर भी किया जाता है। डॉ. संगीता मधेशी समुदाय से आती हैं, और यही कारण है कि उन्हें स्वास्थ्य सचिव पद से वंचित कर दिया गया।
स्वास्थ्य मंत्री की भूमिका और जिम्मेदारी
स्वास्थ्य मंत्री ने यह दावा किया कि उन्होंने इस फैसले में कोई भूमिका नहीं निभाई और यह निर्णय कैबिनेट द्वारा लिया गया। लेकिन संवैधानिक रूप से, मंत्री कैबिनेट निर्णयों के लिए उत्तरदायी होता है। यदि वह इस निर्णय का बचाव नहीं कर सकते, तो उन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए।
डॉ. संगीता मिश्रा के साथ हुआ यह अन्याय संयुक्त राष्ट्र महिला भेदभाव उन्मूलन संधि (CEDAW) और कैबिनेट प्रणाली की सामूहिक जिम्मेदारी के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। मंत्री को या तो कैबिनेट निर्णय का समर्थन करना चाहिए या फिर पद से इस्तीफा देना चाहिए।
अंतमें
डॉ. संगीता मिश्रा को स्वास्थ्य सचिव पद से वंचित किया जाना नेपाल सरकार की दोहरी नीतियों और जातीय एवं लैंगिक भेदभाव को उजागर करता है। यह मामला दर्शाता है कि महिलाओं और मधेशियों को अब भी समान अवसर नहीं मिलते। यह सरकार के लिए एक परीक्षा की घड़ी है, कि क्या वह समानता और निष्पक्षता के सिद्धांतों का पालन करेगी, या फिर भेदभाव की अपनी पुरानी नीतियों पर कायम रहेगी।
बिनय मिश्रा (PhD) एक नीतिगत विश्लेषक और शिक्षाविद हैं। Binay0138@gmail.com