आँल इंडिया एस.सी./एस.टी.रेल्वे एम्प्लॉईज असोसिएशन ओपन लाईन मनमाड शाखा की ओर से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस

नासिक- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में मध्य रेल,भुसावल की ओर से आँल इंडिया एस.सी./एस.टी.रेल्वे एम्प्लॉईज असोसिएशन ओपन लाईन मनमाड शाखा में समाज को विशेष दिशा प्रदान करनेवाली तथा अपने कर्तृत्व से समाज को प्रकाशित करनेवाली महिलाओं को सम्मानित किया गया।इस कार्यक्रम को विशेष अतिथि के रूप में अंतरराष्ट्रीय हिन्दी साहित्यकार मनीषा खटाटे रहीं।इस कार्यक्रम में डॉ.वर्षा झाल्टे ने कार्यक्रम की अध्यक्षता निभाई और इंजि.सुजाता पगारे,अँड.आम्रपाली निकम,हेडकाँन्सटेबल संतोषी राठोड का विशेष रूप से सम्मानित किया गया।मा.श्री.जे.के.आर्या (AISC/STREA) ने
सचिव सीएसटिएम मुंबई तथा मंच पर उपस्थित मा.बी.के. खोईया साहब (AISC/STREA झोनल अध्यक्ष
मुंबई CSMT),मा. अमोल कुचेकर(AISC/STREA झोनल सचिव),मा. सुधीरभाऊ जंजाले (AISC/STREA झोनल कार्याध्यक्ष मुंबई CSMT)
मा. अमर वाडते(AISC/STREA झोनल कोषाध्यक्ष मुंबई CSMT) आदी अतिथियों का महिला दिवस के ऊपलक्ष्य में शुभकामना संदेश पढ़कर सुनाया तथा नारी शक्ति की भारतीय रेल में हो रहें योगदान और सहभागिता को भी सराहा। स्रियां न केवल ट्रेनों को चला रही हैं बल्कि रेलवे के विभिन्न विभागों में नेतृत्व की भूमिका भी निभा रही हैं। रेलवे में महिलाओं की भागीदारी से यह साबित होता है कि यदि अवसर मिले तो महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हैं और नई ऊँचाइयाँ छू सकती हैं।
मैं एक समुदाय की प्रगति को महिलाओं की उस प्रगति से मापता हूँ, जो उस समाज में प्राप्त हुई है।” ऐसा भारत रत्न डाॅ.बाबासाहब आंबेडकर जी ने कहा था ।उन्हें विनम्रतापूर्वक नमन करते हुए आज “अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की आप सभी को शुभकामनाएं देती हूँ।
मनुष्य जाति की आधी आबादी स्त्रियाँ ही है और सृष्टि के बाद सृजन और पोषण करने की शक्ति सिर्फ स्त्री के पास ही होती है तो स्री सम्मानीय होनी चाहिएं क्योंकि छत्रपति शिवाजी महाराज,महात्मा फुले,शाहू महाराज,भारत रत्न बाबासाहब आंबेडकर इन महापुरूषों को भी स्त्री चेतना ने ही परिपोषित किया है वह माँ,पत्नी,बहन या कोई भी स्त्री शक्ति रहीं हो।स्त्री शक्ति के रूप में,चेतना के रूप में हमेशा सम्मानित होनी चाहिएं,ऐसा मनीषा खटाटे ने महिलाओं को संबोधित करते हुएं कहा। “बादलों को चीरकर सूरज,
तुम निकलोगे ही एक दिन,
पर्वतों से निकली हुई पानी की धारा,
नदी बनकर बहेगी ही एक दिन,
सपने भी हमारे इतिहास रचेंगे,
जब-जब दिया जायेगा स्त्री शक्ति का नारा,
अभिमान से लिखा जायेगा नाम हमारा।”
अपने “मरूस्थल” खण्ड-काव्य की इन पंक्तिंयो से मनीषा खटाटे ने उपस्थित महिलाओं में जोश भरा।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए
मा. सतिष एच. केदारे,मा.डॉ. नितीन जाधव,मा. इंजि. पद्माकर पगारे,मा. प्रदीप गायकवाड,मा. संजयभाऊ कटारे ,देवानंद संसारे
मा.चेतन आहिरे इन्होने और उनकी पूरी टिम ने विशेष परिश्रम किएं तथा मा.मिलिंद उबाले ने यशस्वी सूत्र संचालन किया।