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प्रेम के बदले हत्या अपरिपक्व प्रेम– जिसने हादसे को जन्म दिया : कंचना झा

कंचना झा, हिमालिनी अंक फरवरी 025 । कुछ घटनाए दिल को दहला जाती है । अछाम जिलें की जो घटना अभी चर्चे में है उसे सुनकर आम नागरिक तो आश्चर्यचकित हैं ही पुलिस भी आश्चर्य में है । पुलिस को भी यह यकीन करने में समय लगा कि क्या सचमुच दो किशोरों द्वारा यह हत्या की गई होगी ? कुछ पल के लिए इसे स्वीकार करना असंभव सा लगा । एक १५ वर्ष की किशोरी की हत्या केवल इसलिए कि उसने अपने हम उम्र किशोर के प्रेम प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया । वही दूसरी हत्या इसलिए कि पहली हत्या के बारे में किसी को पता नहीं चले ।

घटना कुछ इस तरह की है कि आज से लगभग ११ दिन पहले अछाम के ढकारी गाँवपालिका–१ के स्थानीय जंगल में दो किशोरियों की लाश मिली । जिस अवस्था में किशोरियों को देखा गया उससे यही लगा कि दोनों की मृत्यु ऊँचाई से गिरने की वजह से हुई होगी । लेकिन अनुसंधान में जो बातें खुलकर आई या पुलिस ने जो जानकारी दी उसने एक पल के लिए सभी को सोचने के लिए मजबूर कर दिया । एक विभत्स घटना, जिसे बिना किसी सोच विचार कर, बिना किसी योजना के तहत अंजाम दिया गया ।

पुलिस अनुसंधान से पता चला कि यह हत्या प्रेम प्रस्ताव को अस्वीकार करने को लेकर की गई है । जिस उम्र के किशोर और किशोरी को दिखाया जा रहा है उससे इस बात को सच स्वीकार करना आसान नहीं हो रहा है । दो किशोर जो १५ और १७ वर्ष के हैं उन्होंने दो बच्ची की निर्मम हत्या कर दी वो भी पत्थर से मारकर । पहले पत्थर से मारा फिर पहाड़ से नीचे गिरा दिया । ताकि सभी यही समझें कि यह हत्या नहीं है । बच्चियां ऊँचाई से गिरने की वजह से मरी हैं । लेकिन पुलिस ने अपना काम किया और सच्चाई बाहर आई । खोजबीन अभी भी चल ही रही है । पुलिस अभी भी इसके तह में जाना चाहती है ।

अछाम की पुलिस का कहना है कि अछाम के ढकारी गाँवपालिका–१ में मृत पाई गईं दो किशोरियों की हत्या की गई थी । पुलिस की जांच में पता चला है कि बकरी चराने गयी दो किशोरियों की हत्या की गयी है । यह हत्या १५ और १७ वर्ष से कम उम्र के दो किशोर ने की । घटना माघ ११ गते (शुक्रवार) ढकारी गाँवपालिका–८ की १५ वर्षीय सरस्वती खड्का और १४ वर्षीय ईशरा बकरी चराने के लिए घर से जंगल की ओर निकली । लेकिन ये दानों ही बच्ची अपने घर से झूठ बोलकर या कहें कि बहाना बनाकर घर से निकली थी । शाम तक घर नहीं पहुँची तो खोजबीन शुरु हुई । शनिवार स्थानीय जंगल में दोनों बच्ची मृत अवस्था में पाई गई ।
पुलिस ने बताया कि १४ वर्षीय ईशरा का लम्बे समय से एक किशोर से प्रेम चल रहा था । दोनों अक्सर मोबाइल से बातें किया करते थे लेकिन दोनों ने एक दूसरे को देखा नहीं था क्योंकि दोनाें का गाँव एक दूसरे के गाँव से कुछ दूर था । किसी कामवश इशरा का प्रेमी इशरा के गाँव आता है और उससे फोन पर मिलने का समय मिलाता है । इशरा अपनी फूआ को साथ ले बकरी चराने के बहाने से लड़के से मिलने के लिए जाती है । लड़के ने भी अपने साथ अपनी फूआ के लड़के को लिया और इशरा से मिलने जंगल पहुँच गया ।

पुलिस की जानकारी अनुसार जंगल में जहाँ चारों की मुलाकात होती है वहाँ इशरा के प्रेमी ने प्रेम चिन्ह कहे या प्रेम प्रतीक स्वरूप इशरा से दुपट्टा मांगा, जिसे उसने दे दिया यानी दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे और बाद में विवाह करेंगे ऐसा माना जा सकता है । लेकिन लड़के के साथ जो उसका फुआ का लड़का था उसका भी मानना था कि ईशरा उससे भी फोन से बात करती थी यानी वो उसकी भी प्रेमिका है । इस बात को लेकर दोनों लड़काें के बीच कुछ काहासूनी हुई । ईशरा ने इनकार किया और लड़के से थोड़ी दूर जाकर बातें करने लगी ।

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वही वह दूसरा लड़का सरस्वती से बातें करने लगा और अपना प्रेम प्रस्ताव सरस्वती के सामने रखा जिसे सरस्वती से इनकार कर दिया । उसने सरस्वती से कहा कि ईशरा और लड़के की ही तरह वो शादी बाद में करेंगे लेकिन अभी वह उसके प्रेम को स्वीकार कर ले और अपना दुप्पटा उसे प्रतीक के स्वरूप में दें । लेकिन सरस्वती ने इससे भी इनकार किया । उसके बाद उसने शारीरिक संबंध बनाने की बात की और उससे जबरदस्ती करने लगा । सरस्वती ने प्रतिवाद किया जिसके बाद लड़के ने गुस्सा दिखाते हुए पत्थर से उसपर प्रहार किया । जिससे वह नीचे गिर जाती है और लड़के ने बार–बार पत्थर के प्रहार से उसकी निर्मम हत्या की ।
इस हत्या से अंजान इशरा और लड़का आपस में बातें कर रहे होते हैं कि वह दूसरा लड़का सरस्वती की लाश को ऊँचाई से नीचे फेंक देता है । नीचे गिरने की आवाज को सुनकर इशरा, उसका प्रेमी दोनों वहाँ आते हैं और सरस्वती को क्षत विक्षत अवस्था में देखते हैं । लड़के के पूछने पर वह दूसरा लड़का बताता है कि ऊचाई से गिरने की वजह से सरस्वती की मृत्यु हुई है । लेकिन इशरा समझ जाती है कि उसकी हत्या की गई है । वह चिल्लाती है कि वो गाँव में सबको बता देगी । इस बात को लेकर दोनों डर जाते हैं और ईशरा की भी हत्या करने की योजना बनाते हैं । सरस्वती की हत्या योजना के तहत नहीं की गई थी लेकिन ईशरा की हत्या योजना बनाकर की गई ताकि किसी को किसी बात का पता नहीं चले । दोनों लड़के ईश्रा की लाश को भी उंmचाई से गिरा देते हैं और वहाँ से निकल जाते हैं । पुलिस ने जानकारी दी है कि दोनों ने अपना अपराध कबूल कर लिया है । हलांकि पुलिस अभी भी कह रही है कि कुछ और लोग भी गिरफ्तार हो सकते हैं ।

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अब बात यहाँ आकर रुकती है कि बच्चों की उम्र कितनी थी ? चारों बच्चे १५ से लेकर १६ या १७ के बीच के रहे होंगे । ये उम्र बहुत नाजुक और कच्ची उम्र होती है । ये उम्र का वह दौर है जहाँ अभिभावक को बहुत सचेत होना होता है । बच्चे क्या कर रहे हैं ? बच्चे किससे क्या बातें कर रहे हैं ? किससे मिल रहे हैं ? उनकी संगत कैसी है ? अगर मोबाइल है तो वो मोबाइल में क्या देख रहे हैं ? ये सभी बातें बहुत मायने रखती है ।
२१वीं सदी में आकर हम यह कह दें कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखें तो नहीं रखा जा सकता है ये बात हर कोई जानता है । लेकिन हम नजर रख सकते हैं । आज सबसे बड़ी समस्या ही यही हो गई है कि हम अभिभावक स्वयं ही मोबाइल में इतने डूबे रहते हैं कि बच्चे क्या कर रहे हैं इस ओर ध्यान ही नहीं जाता है । रिश्ते का कोई मोल ही नहीं रह गया है ? बच्चे किस वक्त कहाँ जा रहे हैं ? कौन उनके साथ जा रहा है ? इस बात की जानकारी हम लेते ही नहीं है ।

रही बात प्रेम प्रसंग की तो जिस उम्र के बच्चे हैं यह कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन इतना जरूर है कि उन्हें बहुत सी बातों का पता ही नहीं रहता है । ये बताना हमारी जिम्मेदारी बनती है । अगर किशोरियों ने अपने घर में बात की होती तो शायद घर के लोग उन्हें नहीं जाने देते, उन्हें समझाते और हो सकता है कि इतनी बड़ी घटना से बचा जा सकता । लेकिन दोनों बच्चियां बिना किसी को जानकारी दिए उन लड़कों से मिलने जंगल चली गई ।
आजकल के बच्चे किसी बात में अपने बड़ों को शामिल नहीं करना चाहते हैं । दोनों बच्ची कक्षा ८ में पढ़ रही थी । स्कूल जाते आते बहुत सी सखी सहेली होती है लेकिन ईशरा ने किसी से कोई जिक्र नहीं किया कि वो किसी लड़के से बात करती है ? घर में माता पिता किसी को मालुम नहीं कि बच्ची मोबाइल में किससे बातें कर रही है ? या किससे कहाँ मिलने जा रही है । दुर्भाग्य यह है कि किसी के पास अपनों के लिए समय ही नहीं है । सब व्यस्त है मोबाइल में ।
प्रविधि का जमाना है । मोबाइल का जमाना है । इंटरनेट का जमाना है । कोई यह नहीं कह सकता है कि आप अपने बच्चों को माबोइल नहीं दें । क्योंकि आज सारा ज्ञान ही वहीं है । आपको किसी बात की जानकारी चाहिए आप गूगल कर जान सकते हैं । देश विदेश के बारे में कोई जानकारी चाहिए आपको आसानी से मिल जाएगी । आप अपना करिअर बनाना चाहते हैं ? क्या पढ़ना चाहते हैं ? क्या आपके लिए अच्छा रहेगा हर बात की जानकारी है यहाँ लेकिन कहते हैं न कि अच्छी बातों को कोई जल्दी नहीं अपनाता है पहली नजर कुछ गलत पर ही जाती है । जो आपको नुकसान पहुँचाता है ।

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इस तरह की घटना हो जाने के बाद किसी को दोष भी नहीं दिया जा सकता है । केवल अभिभावक को, आधुनिकता को, मोबाइल को, इंटरनेट को दोष नहीं दिया जा सकता है क्योंकि हम जिस समाज में रहते हैं वहाँ इस उम्र के बच्चों को केवल यह कहकर कि तुम कुछ नहीं जानते हो यह कहकर भी रोक दिया जाता है । जबकि हमें चाहिए कि हम उन्हें यह अवसर दें कि वो अपनी बात को कह सकें । एकतरफ हम आधुनिकता की दौर में शामिल हो रहे हैं चैट, जीपीटीपी की बात कर रहे हैं तो दूसरी ओर यह कहकर समझा रहे हैं कि तुम बच्चें हो । तो बच्चे क्या करें ? उसकी बातों को अभिभावक नहीं सुनेंगे, बड़े नहीं सुनेंगे तो कौन सुनेगा ?
जरूरी है कि अपने बच्चों के लिए समय निकालें, उन्हें समझाएं उनसे अपनी बात भी करें और उनकी बातों को भी समझें । बच्चे बहुत बातें करना चाहते हैं । उनमें इस उम्र में आकर बहुत तरह की बातों को जानने की, समझने की जिज्ञासा रहती है । घर में ऐसा माहौल हो कि बच्चे अपनी बातों को आपसे शेयर कर सकें । ताकि इस तरह की अप्रिय घटना आगे न हो । जिस उम्र के ये बच्चे थे । इस घटना को अपरिपक्व बाल प्रेम भी कह सकते हैं । इसी दौर से अभी बहुत बच्चें गुजर रहे होंगे उनसे बात करें । उन्हें बताए । कोई भी घटना बहुत कुछ सीखा कर जाती है । जो चले गए हैं उन्हें वापस नहीं लाया जा सकता है लेकिन जो हैं उन्हें समय पर समझाया जा सकता है, बचाया जा सकता है ।

कंचना झा,
कार्यकारी संपादक,
हिमालिनी ऑनलाइन
www.himalini.com

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