जबर ओली की राजनीति का ढलता सूरज
काठमांडू 2 वैशाख ।छह कारण जो उनकी ताकत को कमज़ोर कर रहे हैं ।
नेपाल की राजनीति में एक समय ऐसा था जब केपी शर्मा ओली का नाम सत्ता और रणनीति का पर्याय बन चुका था। भाषणों में धार, जनसमर्थन की लहर और राजनीतिक चतुराई से वे लंबे समय तक नेपाली राजनीति पर हावी रहे। लेकिन अब वह वही जोश, वही प्रभाव और वही पकड़ खोते नज़र आ रहे हैं। आखिर क्यों? आइए जानते हैं उन छह प्रमुख कारणों को जिनकी वजह से ओली की ऊर्जा और राजनीतिक प्रभाव में गिरावट आई है:
1. अस्थिर और अवसरवादी सत्ता गठबंधन
ओली ने सरकार बनाने के लिए जो गठबंधन रचा है, वह वैचारिक नहीं बल्कि अवसरवादी है। ऐसे गठबंधन में विश्वास की कमी होती है और यह थोड़े समय बाद दरकने लगता है। नीतिगत एकरूपता की अनुपस्थिति ने ओली को कठोर निर्णय लेने से रोका है।

2. अर्थव्यवस्था की बदहाली
देश की आर्थिक स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण है। राजस्व में भारी गिरावट, बेरोज़गारी में वृद्धि और महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है। इस आर्थिक संकट का राजनीतिक असर सीधा ओली की लोकप्रियता पर पड़ा है। पुराने दिनों की तरह अब वह आर्थिक मोर्चे पर कोई करिश्मा नहीं दिखा पा रहे।
3. राज्यसंयंत्र पर कमजोर पकड़
पहले ओली को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जाता था जो प्रशासन, सुरक्षा एजेंसियों और न्याय व्यवस्था पर मजबूत पकड़ रखते थे। लेकिन आज उनके आदेशों को पहले जैसी गंभीरता से नहीं लिया जाता। सरकार के अंदर निर्णय लेने की गति धीमी है, और इसका नुकसान सीधे ओली की छवि को हुआ है।
4. पार्टी के भीतर असंतोष और भविष्य की अनिश्चितता
UML पार्टी कभी एक सशक्त संगठन के रूप में जानी जाती थी, लेकिन अब उसमें वो अनुशासन और ऊर्जा नहीं दिखती। ओली के बाद पार्टी का नेतृत्व कौन करेगा, यह सवाल अधर में है। युवाओं में भी उत्साह की कमी है, और पार्टी भीतर ही भीतर टूट रही है।
5. विद्या भण्डारी की संभावित सक्रियता
पूर्व राष्ट्रपति विद्या भण्डारी की सक्रिय राजनीति में वापसी की अटकलें ओली के लिए नई चुनौती बन रही हैं। यदि वह पार्टी या देश की राजनीति में लौटती हैं, तो ओली की केंद्रीयता और पकड़ को बड़ा झटका लग सकता है।
6. भारत के साथ तनावपूर्ण संबंध
ओली का भारत विरोधी रुख उन्हें कभी लोकप्रियता दिलाने वाला हथियार लगता था, लेकिन अब वही नीति बूमरैंग साबित हो रही है। भारत के साथ संबंध सहज नहीं हैं, और इससे नेपाल को कूटनीतिक और आर्थिक मोर्चों पर नुकसान हो रहा है।
निष्कर्ष: केपी शर्मा ओली आज भी नेपाली राजनीति में एक बड़ा नाम हैं, लेकिन उनका राजनीतिक ग्राफ धीरे-धीरे नीचे जा रहा है। न तो पार्टी में पहले जैसी मजबूती बची है, न ही जनता के बीच वही लोकप्रियता। अगर वह फिर से अपने प्रभाव को वापस पाना चाहते हैं, तो उन्हें केवल गठबंधन की राजनीति से ऊपर उठकर नीतिगत साहस और संगठनात्मक पुनर्गठन की ओर बढ़ना होगा। ऑनलाइन खबर के सम्पादक बसन्त बस्नेत के आलेख पर आधारित, एस तिवारी द्वारा तैयार।