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भारत ने कोई नाकाबन्दी नहीं की है, नेपाल के जारी संविधान में तराई उपेक्षित है : सुषमा स्वराज


श्वेता दीप्ति , ३ डिसेम्बर २०१५ |



भारतीय राज्यसभा में नेपाल भारत सम्बन्ध पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर भारत के विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारत की नीति और स्थिति को स्पष्ट किया है । उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि भारत सदैव नेपाल के हित में काम करता आया है । १९५० की संधि के अनुसार खुली सीमा, स्वतन्त्र आवागमन, नेपाली नागरिकों को भारत में शिक्षा और रोजगार के साथ निजामती सेवा में प्रतिस्पद्र्धा का अधिकार है और आज तक भारत इसका निर्वाह कर रहा है । भारत ने हमेशा नेपाल का साथ दिया है और आज भी नेपाल में स्थिरता और विकास हो इसी नीति के साथ काम कर रहा है ।

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एक दशक लम्बे अस्थिरता और हिंसा के पश्चात नेपाल में आए शान्ति प्रक्रिया में भारत ने हमेशा नेपाल का साथ दिया है । इतना ही नहीं नेपाल के नेताओं के आग्रह पर इस प्रक्रिया में भारत ने अपनी सक्रिय भूमिका भी निभाई है । नेपाल में संविधान जारी करने की प्रक्रिया में शान्त, स्थिर तथा सम्वेधानिक लोकतन्त्र स्थापना के प्रयास में नैतिक तथा भौतिक सहयोग प्रदान करने के लिए भारत में भी राजनैतिक समझदारी थी । २०१४ में प्रधानमंत्री ने अपने दो नेपाल भ्रमण में एक सच्चे पड़ोसी और शुभचिन्तक के रूप में नेपाल को सलाह दी कि वो बहुमत से अधिक सहमति के आधार पर सर्वसम्मत, समावेशी और दीर्घकालीन संविधान का निर्माण अतिशीघ्र करे ।

नेपाल में आए भूकम्प में भारत ने नेपाल का हर सम्भव और सबसे ज्यादा साथ दिया । समय समय पर नेपाल के सभी दलों के मुख्य नेताओं का भारत भ्रमण विगत के महीनो में होता आया है । हम सदैव सम्पर्क में रहे हैं । नेपाल में संविधान जारी होने से पूर्व हमारे विदेश सचिव का नेपाल भ्रमण हुआ जिसमें उन्होंने आनेवाले संकट की ओर नेपाल का ध्यानाकर्षण कराया और कहा कि कुछ वक्त देकर सहमति के आधार पर संविधान प्रक्रिया को आगे बढाएँ । किन्तु नेपाल के जारी संविधान में तराई के पूर्व अधिकारों को भी सीमित किया गया जिसकी वजह से पिछले तीन महीनों से वहाँ की जनता आन्दोलनरत है । सुशील कोइराला के नेतृत्व में तत्कालीन सरकार ने जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्र और समावेशी जैसे दो महत्वपूर्ण संशोधन प्रस्ताव को २ अक्टूबर २०१५ में अपने मंत्री मण्डल में प्रस्तवा पारित किया था । किन्तु वर्तमान सरकार इस संशोधन प्रस्ताव को आगे बढाने के प्रति उदासीन दिख रही है ।

नेपाल के तराई क्षेत्र में आन्दोलन की वजह से भारत से जुड़े उत्तरान्चल, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बैगाल और सिक्कम सहित १७५ कि.मी. खुली सीमा प्रभावित हुई है । रक्सौल बीरगंज रुट में प्रदर्शनकारियों को जबरदस्ती हटाने के क्रम में २ नवम्बर और २२ नवम्बर को सप्तरी में हुए दुर्भाग्यपूर्ण बल प्रयोग के कारण स्थिति और भी बिगड़ गई है । इस आन्दोलन में लगभग ५छ आन्दोलनकारियों की मृत्यु हो चुकी है जिसमें एक भारतीय नागरिक भी है जिसके लिए हमने अनुसंधान का माँग किया हुआ है । जहाँ तक नाकाबन्दी का सवाल है तो भारत ने कोई नाकाबन्दी नहीं की है । सीमाएँ अवरुद्ध हैं ऐसे में भारत के लिए अपने मालवाहकों को नेपाल भेजना मुश्किल है । हमारे ट्रक आज भी सीमा पर हैं और वातावरण सहज होने का इंतजार कर रहे हैं । जहाँ सीमा अवरुद्ध नहीं है वहाँ से सुविधानुसार सामानों को भेजा जा रहा है । किन्तु दीर्घकालीन समाधान राजनीतिक पहल से ही सम्भव है ।

नेपाल के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री कमल थापा जी से बात हुई है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि वार्ता की प्रक्रिया आगे बढ रही है । हम आशान्वित हैं कि नेपाल जल्दी ही समाधान खोज लेगा । भारत नेपाल में स्थिरता देखने का सदैव इच्छुक रहा है और आगे भी रहेगा ।



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