भ्रम में मत रहना कि मर जाएँगे, तेरे सितम ही दिल को पत्थर कर गए…..
कदम दर कदम कारवाँ बनता गया
कुछ साथ चले कुछ बिछड गए ।
जिन्हें दिल ने माना था कि अपने हैं
वो ही अपने, दर्द गहरे देकर गए ।
जिनसे हँसाने की थी उम्मीद दिल को
मजे की बात है कि वही रुला कर गए ।
कमबख्त दिल क्यों यकीन नहीं करता कि
वो दोस्त ही थे जो दर्द का समन्दर दे गए ।
इस भ्रम में मत रहना कि हम मर जाएँगे
तेरे सितम ही मेरे दिल को पत्थर कर गए ।
डा.श्वेता दीप्ति
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