आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर ने तालिबान चरमपंथियों से बातचीत करने की इच्छा जताई है.
भारत के आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर ने तालिबान चरमपंथियों को शांति और प्रेम का संदेश देते हुए उनसे बातचीत करने की इच्छा जताई है.
उन्होंने यह बातें इस्लामाबाद में अपने आश्रम ‘द आर्ट ऑफ लिविंग’ के उदघाटन के बाद बीबीसी से बातचीत करते हुए कहीं.
तालिबान चरमपंथियों से बातचीत के मुद्दे पर उन्होंने कहा, “बातचीत के लिए कोई पूर्वाग्रह लेकर नहीं जाते हैं और न ही कोई मन में ओर विचार होते हैं. मैं खुले दिल से तालिबान और अन्य चरमपंथियों से बातचीत करने के लिए तैयार हूँ.”
उन्होंने बताया, “मैं अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करुँगा और तालिबान तक शांति का संदेश पहुँचाऊँगा. मैं आज तक जहाँ भी ऐसी पहल की है उसमें ज्यादातर कामयाबी ही मिली है.”
श्री श्री रवि शंकर का कहना है कि वे शांति का झंडा लेकर पाकिस्तान पहुँचे हैं और केवल मानवता ही बात करने आएँ हैं क्योंकि मानवता ही सबसे अहम है.
‘शांति और प्रेम का संदेश’
उन्होंने कहा कि जब उन्होंने पाकिस्तान आने का फ़ैसला लिया तो भारत के लोगों ने जाने से रोका और कहा कि पाकिस्तान में आतंकवादी कार्रवाईयाँ हो रही हैं.
उन्होंने कहा, “जब लोगों को पता चला कि मैं पाकिस्तान जा रहा हूँ तो वह काफ़ी घबरा गए और कहने लगे कि वहाँ मत जाएँ क्योंकि वहाँ स्थिति बहुत ख़राब है तो मैंने कहा कि मेरी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी किसी और की है और मुझे कोई चिंता नहीं है.”
तालिबान को शांति का संदेश
“मैं खुले दिल से तालिबान और अन्य चरमपंथियों से बातचीत करने के लिए तैयार हूँ. मैं अपनी तरफ़ से पूरी कोशिश करुँगा और तालिबान तक शांति का संदेश पहुँचाऊँगा. मैं आज तक जहाँ भी ऐसी पहल की है उसमें ज़्यादातर कामयाबी ही मिली है.””
श्री श्री रवि शंकर, भारतीय आध्यात्मिक गुरु
भारत और पाकिस्तान के संबंधों पर बात करते श्री श्री रवि शंकर ने बताया कि दोनों देशों की जनता में संपर्क बहुत ज़रुरी है और व्यापार के बढ़ाने से भी तनाव कम होता है.
उन्होंने कहा कि उन्हें ख़ुशी होती है कि जब बंगलौर स्थित उनके आश्रम में पाकिस्तान से लोग आते हैं और मन की शांति प्राप्त करते हैं और इसी को देखते हुए उन्होंने पाकिस्तान में आश्रम खोलने का फैसला लिया है.
उन्होंने बताया कि उन्हें गर्व है कि पिछले साल पाकिस्तान में आई भयंकर बाढ़ के दौरान उनके स्वयंसेवक ने बाढ़ पीड़ितों का तनाव कम करने के लिए काफ़ी काम किया.
पाकिस्तान में बढ़ते हुए चमरपंथ और कट्टरवाद को देखते हुए श्री श्री रवि शंकर में काम करने का फ़ैसला लिया. उन्होंने कहा, “जहाँ आतंकवाद है वहीं शांति की बात करना जरुरी है और शांति की बात वहाँ करना जहाँ पहले से शांति है, कोई फायदा नहीं है.”
उनका कहना था कि शांति आध्यात्मिकता से ही संभव है और पाकिस्तान में काम करते हुए उन्हें काफी सफलता मिली है.
‘योगा ज़रुरी है’
द आर्ट ऑफ़ लिविंग के नाम से श्री श्री रवि शंकर का आश्रम इस्लामाबाद के सुंदर इलाके बनीलागा में है जिसमें सैंकड़ों लोग योगा करने आते हैं.
पाकिस्तान में द आर्ट ऑफ़ लिविंग के स्वयंसेवक नईम जमीनदार ने बताया कि जब आठ साल पहले उन्होंने श्री श्री रवि शंकर का संदेश पहुँचाया था तो पाकिस्तान में लोगों को ज्यादा पता नहीं था और अब लोग समझते हैं कि इस योगा की ज़रुरत है.
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान बड़े मुश्किल दौर से गुज़र रहा है और सबको तनाव मुक्त जीवन चाहिए और हम अपनी सांस के ज़रिए खुशियाँ हासिल कर सकते हैं.”
लाहौर के निवासी शहजाद चौधरी जो बंगलौर में श्री श्री रवि शंकर के आश्रम में करीब दो महीने रह कर आए हैं और उन्होंने बताया कि जब लोगों को पता चला कि वह पाकिस्तान से हैं तो भारतियों ने काफी सम्मान दिया.
श्री श्री रवि शंकर बुधवार को कराची जाएँगे जहाँ वह अपने आश्रम ‘द आर्ट ऑफ़ लिविंग’ का उदघाटन करेंगे.
बीबीसी हिंदी