Thu. Mar 28th, 2024

नई दिल्ली फर्जी एजुकेशन लोन रैकेट वैसे ही चलाया जाता था, जैसे फोन पर फ्रेंडशिप क्लब चलता है। इसके लिए गिरोह ने 8 लड़कियों का इस्तेमाल किया। लड़कियों को इस बात की बाकायदा ट्रेनिंग दी गई थी कि उन्हें लोन लेने वाले स्टूडेंट का शिकार कैसे करना है। इसके लिए हर लड़की को 10,000 रुपये सैलरी के अलावा हर लोन पर 10 फीसदी इंसेंटिव अलग से मिलता था। रैकेट के मास्टरमाइंड संदीप कक्कड़ को इसका आइडिया अपने पुराने दोस्त अजय से करीब दो साल पहले मिला था। अजय भी इसी तरह का एक रैकेट रोहिणी इलाके में चलाता था। इस मामले में बैंक कर्मचारियों के रोल की भी जांच की जा रही है।
क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के मुताबिक , इस फर्जीवाड़े में जो 300 से ज्यादा स्टूडेंट ठगे गए हैं, उनमें से दिल्ली का सिर्फ एक ही स्टूडेंट अभी तक की जांच में मिला है। करीब 250 स्टूडेंट बिहार और झारखंड के हैं। पुलिस को अलग – अलग नामों से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नैशनल बैंक समेत कई और बैंकों में जो 36 सेविंग अकाउंट मिले हैं, उनमें उन बैंकों के स्टाफ की भूमिका की भी जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि अकाउंट खुलवाने के लिए जरूरी है कि किसी का अकाउंट उस बैंक में हो। ऐसे में बैंक की जिम्मेदारी बनती है कि वह तमाम तरह की जांच करने के बाद ही अकाउंट खोले , मगर इन खातों को खोलते वक्त इस तरह की जांच नहीं की गई। अगर जांच की गई होती तो फर्जी नाम और पते से खोले गए अकाउंट का राज वक्त से पहले ही खुल जाता। पता यह भी लगा है कि इससे पहले इन लोगों ने 50 बैंक अकाउंट बंद कर दिए थे।मनीष अग्रवालनवभारत टाइम्स |



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