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माँ की ममता, माँ का महत्व (सन्दर्भ : मदर्स डे)

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विजय यादव/हिमालिनी
काठमांडू, २६ अप्रील ।

बीते कुछ सालों में नेपाल में भी ‘मदर्स डे’ मनाने का प्रचलन काफी बढ़ा है । एैसी प्रचलनों से हमारे सोए हुए रिश्तों को जगाया है । अमेरिकी महिला अन्ना जारविस ने मदर्स डे की शुरूआत की थी । वह मां के त्याग, प्यार और बलिदान को उस दिन धन्यवाद देना चाहती थीं । लेकिन मां की तपस्या और त्याग के आगे धन्यवाद शब्द बेहद छोटा है ।

मां के लिए सिर्फ एक दिन तय करना अन्याय होगा पर भागदौड़ की जिंदगी में एक दिन भी हम सुकून से अपनी मां से बात कर सकें, उनकी खुशियों का ख्याल रख सकें या उनके लिए कुछ ऐसा कर सकें जिससे उन्हें लगे कि हम उनकी भावनाओं का महत्व समझते हैं, तो उसकी मेहनत सार्थक हो जाएगी ।

हर एक के जीवन में माँ एक अनमोल इंसान के रुप में होती है जिसके बारे शब्दों से बयाँ नहीं किया जा सकता है । ऐसा कहा जाता है कि भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता इसलिए उसने माँ को बनाया । एक माँ ही हैं जो हमारे जीवन की हर छोटी बड़ी जरुरतो का ध्यान रखने वाली और खूबसूरत इंसान होती है । वो बिना किसी अपने व्यक्तिगत लाभ के हमारी हर जरुरत के लिये हर पल ध्यान रखती है ।

इस दुनिया में किसी भी चीज को माँ के सच्चे प्यार और परवरिश से नहीं तौला जा सकता । वो हमारे जीवन की एकमात्र ऐसी महिला है जो बिनी किसी मंशा के अपने बच्चे को ढ़ेरा सारा प्यारा परवरिश देती है । एक माँ के लिये बच्चा ही सबकुछ होता है । जब हम मजबूर होते है तो वो हमेशा जीवन में किसी भी कठिन कार्य को करने के लिये हमें प्रेरित करती है । वो एक अच्छी श्रोता होती है । वो हमें कभी रोकती नहीं और किसी हद में नहीं बाँधती । वो हमें अच्छे–बुरे का फर्क करना सीखाती है ।

सच्चे प्यार का दूसरा नाम माँ है जो केवल एक माँ हो सकती है । उस समय से जब हम उसकी कोख में आते है, जन्म लेते है और इस दुनिया मे आते है पूरे में जीवन भर उसके साथ रहते है । माँ से अनमोल कुछ भी नहीं जो भगवान के द्वारा आशीर्वाद समान होता है इसलिये हमें ईश्वर का आभारी होना चाहिये । वो सच्चे प्यार, परवरिश और बलिदान का अवतार होती है ।

वो एक ऐसी है जो पहली बार हमारे स्कूल की शुरुआत घर में ही करती है हमारे जीवन की सबसे पहली और प्यारी शिक्षक होती है । वो हमें जीवन का सच्चा दर्शन और व्यवहार करने का तरीका सीखाती है । इस दुनिया में हमारे जीवन के शुरु होते ही वो हमें प्यार करती है और हमारा ध्यान देती है अर्थात उसकी कोख में आने से उसके जीवन तक । बहुत दुख और पीड़ा सहकर वो हमें जन्म देती है लेकिन इसके बदले में वो हमेशा हमें प्यार देती है ।

इस दुनिया में कोई भी ऐसा प्यार नहीं है जो बहुत मजबूत, हमेशा के लिये निस्वार्थ हो, शुद्ध और समर्पित हो । वो आपके जीवन में अंधकार को दूर करके रोशनी भरती है । लेकिन माँ के प्यार पुरी तरह निस्वार्थ होता हैं । वो हमेशा हमारे स्वास्थ्य, शिक्षा, भविष्य और अजनबियों से हमारी सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित रहती है । वो हमेशा हमें जीवन में सही दिशा की ओर आगे बढ़ाती है और सबसे खास बात कि वो हमारे जीवन में खुशियाँ फैलाती है । वो हमें छोटे और असमर्थ बच्चे से मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और बौद्धिक मनुष्य बनाती है । वो हमेशा हमारा पक्ष लेती है और भगवान से हमारे स्वास्थ्य और अच्छे भविष्य के लिये पूरे जीवन भर प्रार्थना करती है इसके बावजूद कि हम कई बार उनको दुखी भी कर देते है । लेकिन हमेशा उसके मुस्कुराते चेहरे के पीछे एक दर्द होता है जिसे हमें समझने की जरुरत है ध्यान रखने की जरुरत है ।

कहतें हैं भगवान हर जगह हर समय उपलब्ध नहीं हो सकता हैं, और इसी लिए भगवान नें माँ को बनाया हैं । दुनिया में अगर आप के पास धन नहीं है तो भी आप गरिव नहीं हैं क्यों की आप परिश्रम से धन प्राप्ति कर सकते हैं । लेकिन आप के पास अपार सम्पती हैं मगर माँ नहीं है तो इस वड़ी निर्धनता और कोइ नहीं हैं ।

किसी के भी जीवन में एक माँ पहली, सर्वश्रेष्ठ और सबसे अच्छी व महत्वपूर्ण होती है क्योंकि कोई भी उसके जैसा सच्चा और वास्तविक नहीं हो सकता । वो एकमात्र ऐसी है जो हमेशा हमारे अच्छे और बुरे समय में साथ रहती है । अपने जीवन में दूसरों से ज्यादा वो हमेशा हमारा ध्यान रखती है और प्यार करती है जितना कि हम काबिल नहीं होते है। अपने जीवन मे वो हमें पहली प्राथमिकता देती है और हमारे बुरे समय में उम्मीद की झलक देती है । जिस दिन हम पैदा होते है वो माँ ही होती है जो सच में बहुत खुश हो जाती है । वो हमारे हर सुख–दुख का कारण जानती है और कोशिश करती है कि हम हमेशा खुश रहें ।

माँ और बच्चों के बीच में यहाँ एक खास बंधन होता है जो कभी खत्म नहीं हो सकता है । कोई माँ कभी भी अपने प्यार और परवरिश को अपने बच्चे के लिये कम नहीं करती । वो हमें कभी गलत नहीं समझती और हमेशा एक छोटे बच्चे की तरह माफ कर देती है । वो हमारी हर बात को समझती है । वो नहीं चाहती कि हमें किसी दूसरे से तकलीफ पहुँचे और दूसरों से अच्छा व्यवहार करने की सीख देती है । माँ को धन्यवाद देने और आदर के लिये हर साल मातृ दिवस (औशीं) के रुप में मनाया जाता है ।



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