नयी विचार धाराओं को अंगीकार करते आगे बढ़ने की आवश्यकता है राजपा को : लीला यादव
लीला यादव, काठमांडू ,६ मई |
मधेशी, जनजाति, पिछड़ावर्ग, अल्पसंख्यक, मुसलिम आदि समुदायों की समस्याओं को लंबे अरसे से वकलात करती आई तराई मधेश लोकतान्त्रिक पार्टी, सद्भावना पार्टी, राष्ट्रीय मधेश समाजवादी पार्टी, तराई–मधेश सद्भावना पार्टी नेपाल, नेपाल सद्भावना पार्टी व मधेश जनअधिकार फोरम (गणतान्त्रिक) के बीच वैशाख ७ गते एकीकरण हुआ है । विगत में ये सभी पार्टियां पृथक रुप से चुनाव लड़ते थे, संगठन विस्तार करते थे । यहां तक कि मधेश की जायज मांगों की पूर्ति हेतु संघर्ष एवं आन्दोलन भी करते थे । लेकिन अलग–अलग होने की वहज ये सभी पार्टियां पिछे पड़ती गई । हालांकि, प्रथम संविधानसभा में इन पार्टियों में संख्यात्मक दृष्टि से बढ़ोत्तरी हुई थी ।
एकीकरण से मधेश की जनता में खुशी व आशा की लहर जगी है, लेकिन खुशी व आशा के साथ–साथ वे आशंका भी करती हैं कि कहीं यह एकीकरण छलने की लिए तो नहीं किया गया है । फिर भी उन्हें विश्वास व भरोसा है कि एकीकृत होने की वजह से अवश्य ही वंचन व उत्पीड़न में पड़े समुदायों की मांगे पूरी होंगी ।
एकीकरण होेन के बाद भी राजपा नेपाल के सामने ढेर सारी चुनौतियां हैं । विगत में हुई कमी कमजोरियों को सुधार करते हुए मधेशी, दलित, मुसलिम, थारु, पिछड़ वर्ग, अल्पसंख्यक एवं पहाड़ एवं हिमाल के जनजाति, दलित, आदि समुदायों के अधिकारों को भी सुनिश्चित करते आगे बढ़ना होगा । इसी प्रकार आनेवाले दिनों में राजपा नेपाल को निम्न रणनीतियां अंगीकार करने की आवश्यकता है– सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक व सांस्कृतिक उत्थान कि ओर उन्मुख होना, निर्णय प्रक्रिया में समान अधिकार व सभी जाति, समुदायों की भागीदारी, स्थानीय स्तर से लेकर केन्द्र तक पार्टी में आपसी मेलमिलाप की भावना, सहनशील व विश्वास का माहौल सृजन करना तथा पार्टी के हर संगठनों में महिला, दलित, जनजाति, अल्पसंख्यक मुसलिम आदि समुदायों के लिए आरक्षण की व्यवस्था आदि ।
समग्रतः कहा जा सकता है कि आनेवाले दिनों में राजपा नेपाल को लोकतान्त्रिक मूल्य व मान्यताओं के साथ–साथ नयी विचार धाराओं को अंगीकार करते आगे बढ़ने की आवश्यकता है । यह समय की मांग हैं तथा शोषण, उत्पीड़न व वंचन में पड़े जाति, समुदायों की मांग हैं ।
(लीला यादव, राजपा नेपाल की नेतृी हैं ।)
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